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Wednesday, January 30, 2008

समझदारी...


हाल ही में, श्रीमान जी MBBS कर स्वदेश आते हैं
लोगों को इकट्ठा कर
नशा मुक्त जीवन की युक्ति बताते हैं
बीड़ा उठाते हैं
आइये अपने देश को
नशा मुक्त बनाते हैं
इसी सिलसिले में
एक मयखाने पहुंच जाते हैं
टाई को संभालकर जोर से चिल्लाते हैं
मेरे युवा भाइयो गौर से सुनिये
नशे को नही खुशहाली को चुनिए
ये शराब, ये नशा करता है दुर्दशा
कैसे लोग मरते हैं इसको पीकर
सिद्ध करता हूँ आपके सामने
फिर निकालते हैं अपने बैग से २ बीकर
एक बीकर में पानी दूसरे में शराब लेते हैं
और फिर दोनो में कुछ-कुछ केचुए डाल देते हैं
पानी में केचुए मस्ती से छलाँग लगाते हैं
मगर शराब में केचुए बिलबिलाते हैं
कट जाते हैं फट जाते हैं
श्री मान डाक्टर साहब
निशब्द महफ़िल में मुस्कुराते हुए पुछते हैं
बताइए दोस्तो ?
इससे हम किस निष्कर्ष पर आते हैं
सबके मुहं सिले हैं
महफ़िल में सन्नाटा है
तभी कुछ शब्द मौन भंग करते हुए
टूटे - फूटे से
लड़खड़ाते हुये पीछे से आते हैं
डाक्टर साहब!!
इससे पता चलता है कि
शराब पीने से
पेट के सारे कीड़े मर जाते हैं!!!!!!!
मेरे प्यारे दोस्तो,
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं
जो सुनना चाहते हैं वही सुनते हैं
जो समझना चाहते हैं वही समझते हैं
और फिर बाद में अपनी नासमझी पर नही
अपनी समझदारी पर रोते हैं.....

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

6 कविताप्रेमियों का कहना है :

रंजू भाटिया का कहना है कि -

मजेदार लिखा है राघव जी ..:)

मेरे प्यारे दोस्तो,
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं
जो सुनना चाहते हैं वही सुनते हैं
जो समझना चाहते हैं वही समझते हैं
और फिर बाद में अपनी नासमझी पर नही
अपनी समझदारी पर रोते हैं.....

और जो समझाया है इन पंक्तियों में वह बहुत अच्छा लगा !!

Alpana Verma का कहना है कि -

राघव जी यह प्रसंग एक चुटकले के रूप में सुना था.मगर आप की कारीगरी ने इसे एक मजेदार कविता का रूप दे दिया.जो अंत में नैतिक शिक्षा भी दे जाती है.
बहुत अच्छे!

शोभा का कहना है कि -

राघव जी
भुत बढ़िया हास्य और व्यंग्य अपने प्रस्तुत किया -
आइये अपने देश को
नशा मुक्त बनाते हैं
इसी सिलसिले में
एक मयखाने पहुंच जाते हैं
टाई को संभालकर जोर से चिल्लाते हैं
मेरे युवा भाइयो गौर से सुनिये
अति सुंदर

Anonymous का कहना है कि -

मस्त कर दिया राघव जी आपने.
बहुत ही मजेदार लिखा.
आलोक सिंह "साहिल"

seema gupta का कहना है कि -

श्री मान डाक्टर साहब
निशब्द महफ़िल में मुस्कुराते हुए पुछते हैं
बताइए दोस्तो ?
इससे हम किस निष्कर्ष पर आते हैं
सबके मुहं सिले हैं
महफ़िल में सन्नाटा है
तभी कुछ शब्द मौन भंग करते हुए
टूटे - फूटे से
लड़खड़ाते हुये पीछे से आते हैं
डाक्टर साहब!!
इससे पता चलता है कि
शराब पीने से
पेट के सारे कीड़े मर जाते हैं!!!!!!!
" बहुत खूब, हमेशा की तरह हास्य से परिपूर्ण रचना , बहुत अच्छी लगी"

RAVI KANT का कहना है कि -

राघव जी,
बहुत सही अंदाज है आपका पाठकों तक बात पहुँचाने का।

मेरे प्यारे दोस्तो,
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं
जो सुनना चाहते हैं वही सुनते हैं
जो समझना चाहते हैं वही समझते हैं
और फिर बाद में अपनी नासमझी पर नही
अपनी समझदारी पर रोते हैं.....

बधाई।

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