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Tuesday, December 04, 2007

सीमा गुप्ता का बयान 'मोहब्बत न कर'


कल आपने पढ़ा नवम्बर माह की यूनिकवयित्री डॉ॰ अंजलि सोलंकी की क्षणिकाएँ। लेकिन हमें आगे भी तो बढ़ना है, तो चलिए आज पढ़ते हैं दूसरे स्थान की कवयित्री की कविता। दूसरे स्थान पर हैं सीमा गुप्ता। इस बार टॉप १० कवियों में ६ कवयित्रियाँ हैं।

परिचय-

11-10-1971 को अम्बाला में जन्मी कवयित्री सीमा गुप्ता ने अपनी पहली कविता 'लहरों की भाषा' तब ही लिख ली थी जब वो चौथी कक्षा की छात्रा थीं। यहीं से इन्हें लिखने की प्रेरणा मिली। वाणिज्य में परास्नातक कवयित्री सीमा गुप्ता नव शिखा पोली पैक इंडस्ट्रीज, गुड़गाँव में महाप्रबंधक की हैसियत से काम कर रही हैं। इनकी रचनाएँ 'हरियाणा जगत', 'रेपको न्यूज़' आदि जैसे कई समाचार पत्रों में कई बार प्रकाशित हो चुकी हैं। मुख्यरूप से ये दुःख, दर्द और वियोग आदि पर कविताएँ लिखती हैं, जिसका ये कोई कारण नहीं बता पाती हैं, बस्स खुद को सहज महसूस करती हैं।

साहित्य से अलग इनकी दो पुस्तकें 'गाइड लाइन्स इंटरनल ऑडटिंग फॉर क्वालिटी सिस्टम' और 'गाइड लाइन्स फॉर क्वालिटी सिस्टम एण्ड मैनेज़मेंट रीप्रीजेंटेटीव' प्रकाशित हो चुकी हैं।

संपर्क-
सीमा गुप्ता
महा प्रबंधक,
नव शिखा पोली पैक इंडस्ट्रीज
प्लॉट नं॰ १९४, फेज़-१
उद्योग विहार, गुड़गाँव- १२२००१

कविता- मोहब्बत न कर

मैं सहमा हूँ तो मेरे इखलास से मोहब्बत न कर
यू न बेदर्द हो, मेरे अहसास से मोहब्बत न कर

मैं तेरे पास नहीं तो तेरा सुकूँ तो बरकरार है
तू बेकरार न हो, मेरी याद से मोहब्बत न कर

भूल जा मुझको, दो घड़ी चैन से जी ले हमदम
तू यूँ तड़प के मेरे औसाफ़ से मोहब्बत न कर

हम जो सिमटे थे बिखर के तेरी बाँहों में कभी
और मुझे यूँ न रुला, उन लम्हात से मोहब्बत न कर

यूँ बयाँ है ज़माने में कुछ तेरा मेरा अफ़साना
खुद को बदनाम न कर, उन औकात से मोहब्बत न कर

तू मेरे ज़िस्म-ओ-जाँ में बसा है मेरा लहू बन कर
उन ज़ख्मों को न सहला, मेरे इंतज़ार से मोहब्बत न कर

जजों की दृष्टि-


प्रथम चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ६॰२, ६
औसत अंक- ६॰१
स्थान- उन्नीसवाँ


द्वितीय चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ७॰७५, ६॰५, ६, ६॰१ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰५८७५
स्थान- पंद्रहवाँ


तृतीय चरण के ज़ज़ की टिप्पणी-शेर बिखरे हुए हैं। परिश्रम और अभ्यास की आवश्यकता है।
मौलिकता: ४/१॰५ कथ्य: ३/१ शिल्प: ३/२॰५
कुल- ५
स्थान- सातवाँ


अंतिम ज़ज़ की टिप्पणी-
कोमल भावनाओं को गज़ल खूबसूरती से निभा ले गयी है। अच्छी रचना।
कला पक्ष: ७/१०
भाव पक्ष: ७/१०
कुल योग: १४/२०


पुरस्कार- प्रो॰ अरविन्द चतुर्वेदी की काव्य-पुस्तक 'नक़ाबों के शहर में' तथा डॉ॰ कुमार विश्वास की पुस्तक 'कोई दीवाना कहता है' की स्वहस्ताक्षरित प्रति

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29 कविताप्रेमियों का कहना है :

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

सीमा जी,

गज़ल अच्छी है,आपका थोडा ध्यान कुछ शेरों पर चाहती है। अच्छी रचना और पुरस्कार की बधाई स्वीकारें।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Sajeev का कहना है कि -

तू मेरे ज़िस्म-ओ-जाँ में बसा है मेरा लहू बन कर
उन ज़ख्मों को न सहला, मेरे इंतज़ार से मोहब्बत न कर
भाव अच्छे हैं पर ग़ज़ल को और निखारा जा सकता है

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

हम जो सिमटे थे बिखर के तेरी बाँहों में कभी
और मुझे यूँ न रुला, उन लम्हात से मोहब्बत न कर
-- अच्छी बन पडी है |
शेर अच्छे है.
अवनीश तिवारी

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

सीमा जी,

आपकी गजल असीमित गहराई लिये है..

हम जो सिमटे थे बिखर के तेरी बाँहों में कभी
और मुझे यूँ न रुला, उन लम्हात से मोहब्बत न कर

यूँ बयाँ है ज़माने में कुछ तेरा मेरा अफ़साना
खुद को बदनाम न कर, उन औकात से मोहब्बत न कर

तू मेरे ज़िस्म-ओ-जाँ में बसा है मेरा लहू बन कर
उन ज़ख्मों को न सहला, मेरे इंतज़ार से मोहब्बत न कर

बहुत बहुत बधाई

रंजू भाटिया का कहना है कि -

हम जो सिमटे थे बिखर के तेरी बाँहों में कभी
और मुझे यूँ न रुला, उन लम्हात से मोहब्बत न कर

यूँ बयाँ है ज़माने में कुछ तेरा मेरा अफ़साना
खुद को बदनाम न कर, उन औकात से मोहब्बत न कर

भाव अच्छे हैं इसके सीमा जी !!

नीरज गोस्वामी का कहना है कि -

सीमा जी
आप के पास बहुत अच्छे शब्द हैं और सुंदर भाव हैं. लेकिन ग़ज़ल लेखन की अपनी कुछ सीमायें होती हैं यदि उनके भीतर लिखा जाए तो ग़ज़ल निखर सी जाती है जैसे बहर, काफिये का निर्वाह और मात्राएँ. ये विधा बहुत आसन नहीं है और मैं भी अभी सीख ही रहा हूँ. आप भी इस और गौर कीजिये फ़िर देखिये आप के लेखन men कैसा निखार आता है.
यूनी कवि बनने पर हार्दिक बधाई.
नीरज

Nikhil का कहना है कि -

सीमा गुप्ता जी,
आपको बधाई हो...इतनी कठिन प्रतियोगिता से गुज़र कर आपकी रचना दूसरे स्थान पर आ गई, मगर यह कविता और भी बेहतर हो सकती थी....ये मेरा मानना है....काफिये में कहीं-कहीं दोष है और प्रवाह भी टूटता है....
खैर..हिंद युग्म पर हार्दिक स्वागत....मुझे संजीदा रचनाएं पढ़ना पसंद है और आपकी रचना में यह तत्त्व भरपूर है..मज़ा आया...

निखिल आनंद गिरि

Anonymous का कहना है कि -

सीमा जी,
आपकी ग़ज़ल के भाव अछे है और जो आप कहना चाह रही है आप उसमे कही हद तक कामयाब भी हुई है ...पर पता नहीं पड़ते हुए कुछ कमी से महसूस हो रही है...
जैसे प्रवाह नदारद है.. आपने कुछ शब्द का उपयोग किया है .. उसका मतलब मुझे अभी भी समझ नहीं आया.. "इखलास"..और "औसाफ़"? अन्तिम तीन शेरो मै दूसरा पद थोडा लम्बा साफ दिखता है...
आप कोशिश कीजिए.. आपमे अपर क्षमता है आप बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखे
पुरस्कार के लिए हार्दिक बधाई
-सादर
शैलेश जम्लोकी (मुनि )

Unknown का कहना है कि -

सीमा जी,

आपकी गजल गहराई लिये है.
अच्छी रचना की बहुत बहुत बधाई.
भाव अच्छे हैं पर ग़ज़ल को और निखारा जा सकता है.

Ravi Gupta,
Ferodo, Gurgaon.

Anonymous का कहना है कि -

सीमा गुप्ता जी आपकी ग़ज़ल ही काफ़ी है बता देने वास्ते की आप दुसरे स्थान की उपयुक्त हकदार हैं.
इतनी प्यारी ग़ज़ल जिसकी अल्फाजों में में चुटिलापन है और भाव इतने मर्म्स्परसी कि जवाब नहीं.
बेहद जोरदार रचना.
दिल से ढेरों शुभकामनाएं और बधाई.
अलोक सिंह "साहिल"

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

आप अच्छा लिख रही हैं लेकिन बहुत अच्छा लिखने के लिए अभी आपको बहुत अधिक वर्ज़िश की ज़रूरत है। आगे के लिए शुभकामनाएँ।

Alpana Verma का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
Alpana Verma का कहना है कि -

दूसरे स्थान पर आने की बधाई -
आप की ग़ज़ल में भाव अच्छे हैं लेकिन कसाव की कमी दिख रही है.
ग़ज़ल लिखने के लिए कुछ नियमों को देखना होता है-जैसा neeraj जी ने बताया है-उनका ध्यान रखें--

Anonymous का कहना है कि -

bahut sunder kavita he..
WonderFull
:)
Keep it up Dear

-- Amit Verma

Anonymous का कहना है कि -

Dear Mam,

Loved your poetry "Mohabbat Na Kar". Today i was very disturb & suddenly saw ur kavita. Whatever u have written it's all correct. After reading it i am completely relaxed & stressfree. You have taken me out of the pain. But i really need to know that we never get what we want, we never want what we get, we never have what we like & never like what we have but still why we people love & hope. Is it because everyday start with the new light of hope???

Love Nimmi Sandhu:-)

मनीष वंदेमातरम् का कहना है कि -

सीमा जी!
सुंदर रचना।
आगे के लिए शुभकामनाएं।

Anonymous का कहना है कि -

Great & congratulations!!. Very nice and do keep it up. Wonderfull thoughts and equally good expression.

"Harshvardhan"

Anonymous का कहना है कि -

Hi

Ur Poem was good but A bit frustrated I don't like frustrated poem. U should write poem Mohhabbat Kar Ok

URs

vipin chauhan का कहना है कि -

खुदा दे शौहरत इस कदर तुम को
की तेरे नाम से आगे किसी का नाम ना हो
मेम ग़ज़ल बहुत प्यारी है बस ये समझ लीजिये की आप का नाम सब से आगे देखना चाहता हूँ
इस के लिए सारे प्रयास आप को करने होंगे
जब भी आप किसी प्रतियोगिता में शामिल हों तो दुआ है की प्रथम विजेता आप हों
बाकी थोडा सा कसाव पर और लय पर ध्यान दीजिये
बाकी सब अपने आप हो जायेगा

James John का कहना है कि -

Seema ji,
We know you write well & sharp. Your poems have to much sharp edges. Please write your “JEEVANI” so that everyone understand the deep feelings of you.

Please write from the beginning i.e from your child hood. Everything you gave to world & what things the world gave you. Where u born – Village / city. (Ambala).

Anonymous का कहना है कि -

तारीफ . . . . . . तारीफ उस खुदा की जिसने तुम्हे बनाया !

Sunil Neemli का कहना है कि -

वाह सीमा जी! वास्तव में आपकी रचनाएँ बहुत ही रोमांचक और ज्ञानवर्धक है ! निश्संधय ही आप बहुत लायक रचनाकार हैं !

Sunil Neemli का कहना है कि -

वाह सीमा मर डाले !

Sunil Neemli का कहना है कि -

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Unknown का कहना है कि -

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