कल आपने पढ़ा नवम्बर माह की यूनिकवयित्री डॉ॰ अंजलि सोलंकी की क्षणिकाएँ। लेकिन हमें आगे भी तो बढ़ना है, तो चलिए आज पढ़ते हैं दूसरे स्थान की कवयित्री की कविता। दूसरे स्थान पर हैं सीमा गुप्ता। इस बार टॉप १० कवियों में ६ कवयित्रियाँ हैं।
परिचय-
11-10-1971 को अम्बाला में जन्मी कवयित्री सीमा गुप्ता ने अपनी पहली कविता 'लहरों की भाषा' तब ही लिख ली थी जब वो चौथी कक्षा की छात्रा थीं। यहीं से इन्हें लिखने की प्रेरणा मिली। वाणिज्य में परास्नातक कवयित्री सीमा गुप्ता नव शिखा पोली पैक इंडस्ट्रीज, गुड़गाँव में महाप्रबंधक की हैसियत से काम कर रही हैं। इनकी रचनाएँ 'हरियाणा जगत', 'रेपको न्यूज़' आदि जैसे कई समाचार पत्रों में कई बार प्रकाशित हो चुकी हैं। मुख्यरूप से ये दुःख, दर्द और वियोग आदि पर कविताएँ लिखती हैं, जिसका ये कोई कारण नहीं बता पाती हैं, बस्स खुद को सहज महसूस करती हैं।
साहित्य से अलग इनकी दो पुस्तकें 'गाइड लाइन्स इंटरनल ऑडटिंग फॉर क्वालिटी सिस्टम' और 'गाइड लाइन्स फॉर क्वालिटी सिस्टम एण्ड मैनेज़मेंट रीप्रीजेंटेटीव' प्रकाशित हो चुकी हैं।
संपर्क-
सीमा गुप्ता
महा प्रबंधक,
नव शिखा पोली पैक इंडस्ट्रीज
प्लॉट नं॰ १९४, फेज़-१
उद्योग विहार, गुड़गाँव- १२२००१
कविता- मोहब्बत न कर
मैं सहमा हूँ तो मेरे इखलास से मोहब्बत न कर
यू न बेदर्द हो, मेरे अहसास से मोहब्बत न कर
मैं तेरे पास नहीं तो तेरा सुकूँ तो बरकरार है
तू बेकरार न हो, मेरी याद से मोहब्बत न कर
भूल जा मुझको, दो घड़ी चैन से जी ले हमदम
तू यूँ तड़प के मेरे औसाफ़ से मोहब्बत न कर
हम जो सिमटे थे बिखर के तेरी बाँहों में कभी
और मुझे यूँ न रुला, उन लम्हात से मोहब्बत न कर
यूँ बयाँ है ज़माने में कुछ तेरा मेरा अफ़साना
खुद को बदनाम न कर, उन औकात से मोहब्बत न कर
तू मेरे ज़िस्म-ओ-जाँ में बसा है मेरा लहू बन कर
उन ज़ख्मों को न सहला, मेरे इंतज़ार से मोहब्बत न कर
जजों की दृष्टि-
प्रथम चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ६॰२, ६
औसत अंक- ६॰१
स्थान- उन्नीसवाँ
द्वितीय चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ७॰७५, ६॰५, ६, ६॰१ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰५८७५
स्थान- पंद्रहवाँ
तृतीय चरण के ज़ज़ की टिप्पणी-शेर बिखरे हुए हैं। परिश्रम और अभ्यास की आवश्यकता है।
मौलिकता: ४/१॰५ कथ्य: ३/१ शिल्प: ३/२॰५
कुल- ५
स्थान- सातवाँ
अंतिम ज़ज़ की टिप्पणी-
कोमल भावनाओं को गज़ल खूबसूरती से निभा ले गयी है। अच्छी रचना।
कला पक्ष: ७/१०
भाव पक्ष: ७/१०
कुल योग: १४/२०
पुरस्कार- प्रो॰ अरविन्द चतुर्वेदी की काव्य-पुस्तक 'नक़ाबों के शहर में' तथा डॉ॰ कुमार विश्वास की पुस्तक 'कोई दीवाना कहता है' की स्वहस्ताक्षरित प्रति
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29 कविताप्रेमियों का कहना है :
सीमा जी,
गज़ल अच्छी है,आपका थोडा ध्यान कुछ शेरों पर चाहती है। अच्छी रचना और पुरस्कार की बधाई स्वीकारें।
*** राजीव रंजन प्रसाद
तू मेरे ज़िस्म-ओ-जाँ में बसा है मेरा लहू बन कर
उन ज़ख्मों को न सहला, मेरे इंतज़ार से मोहब्बत न कर
भाव अच्छे हैं पर ग़ज़ल को और निखारा जा सकता है
हम जो सिमटे थे बिखर के तेरी बाँहों में कभी
और मुझे यूँ न रुला, उन लम्हात से मोहब्बत न कर
-- अच्छी बन पडी है |
शेर अच्छे है.
अवनीश तिवारी
सीमा जी,
आपकी गजल असीमित गहराई लिये है..
हम जो सिमटे थे बिखर के तेरी बाँहों में कभी
और मुझे यूँ न रुला, उन लम्हात से मोहब्बत न कर
यूँ बयाँ है ज़माने में कुछ तेरा मेरा अफ़साना
खुद को बदनाम न कर, उन औकात से मोहब्बत न कर
तू मेरे ज़िस्म-ओ-जाँ में बसा है मेरा लहू बन कर
उन ज़ख्मों को न सहला, मेरे इंतज़ार से मोहब्बत न कर
बहुत बहुत बधाई
हम जो सिमटे थे बिखर के तेरी बाँहों में कभी
और मुझे यूँ न रुला, उन लम्हात से मोहब्बत न कर
यूँ बयाँ है ज़माने में कुछ तेरा मेरा अफ़साना
खुद को बदनाम न कर, उन औकात से मोहब्बत न कर
भाव अच्छे हैं इसके सीमा जी !!
सीमा जी
आप के पास बहुत अच्छे शब्द हैं और सुंदर भाव हैं. लेकिन ग़ज़ल लेखन की अपनी कुछ सीमायें होती हैं यदि उनके भीतर लिखा जाए तो ग़ज़ल निखर सी जाती है जैसे बहर, काफिये का निर्वाह और मात्राएँ. ये विधा बहुत आसन नहीं है और मैं भी अभी सीख ही रहा हूँ. आप भी इस और गौर कीजिये फ़िर देखिये आप के लेखन men कैसा निखार आता है.
यूनी कवि बनने पर हार्दिक बधाई.
नीरज
सीमा गुप्ता जी,
आपको बधाई हो...इतनी कठिन प्रतियोगिता से गुज़र कर आपकी रचना दूसरे स्थान पर आ गई, मगर यह कविता और भी बेहतर हो सकती थी....ये मेरा मानना है....काफिये में कहीं-कहीं दोष है और प्रवाह भी टूटता है....
खैर..हिंद युग्म पर हार्दिक स्वागत....मुझे संजीदा रचनाएं पढ़ना पसंद है और आपकी रचना में यह तत्त्व भरपूर है..मज़ा आया...
निखिल आनंद गिरि
सीमा जी,
आपकी ग़ज़ल के भाव अछे है और जो आप कहना चाह रही है आप उसमे कही हद तक कामयाब भी हुई है ...पर पता नहीं पड़ते हुए कुछ कमी से महसूस हो रही है...
जैसे प्रवाह नदारद है.. आपने कुछ शब्द का उपयोग किया है .. उसका मतलब मुझे अभी भी समझ नहीं आया.. "इखलास"..और "औसाफ़"? अन्तिम तीन शेरो मै दूसरा पद थोडा लम्बा साफ दिखता है...
आप कोशिश कीजिए.. आपमे अपर क्षमता है आप बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखे
पुरस्कार के लिए हार्दिक बधाई
-सादर
शैलेश जम्लोकी (मुनि )
सीमा जी,
आपकी गजल गहराई लिये है.
अच्छी रचना की बहुत बहुत बधाई.
भाव अच्छे हैं पर ग़ज़ल को और निखारा जा सकता है.
Ravi Gupta,
Ferodo, Gurgaon.
सीमा गुप्ता जी आपकी ग़ज़ल ही काफ़ी है बता देने वास्ते की आप दुसरे स्थान की उपयुक्त हकदार हैं.
इतनी प्यारी ग़ज़ल जिसकी अल्फाजों में में चुटिलापन है और भाव इतने मर्म्स्परसी कि जवाब नहीं.
बेहद जोरदार रचना.
दिल से ढेरों शुभकामनाएं और बधाई.
अलोक सिंह "साहिल"
आप अच्छा लिख रही हैं लेकिन बहुत अच्छा लिखने के लिए अभी आपको बहुत अधिक वर्ज़िश की ज़रूरत है। आगे के लिए शुभकामनाएँ।
दूसरे स्थान पर आने की बधाई -
आप की ग़ज़ल में भाव अच्छे हैं लेकिन कसाव की कमी दिख रही है.
ग़ज़ल लिखने के लिए कुछ नियमों को देखना होता है-जैसा neeraj जी ने बताया है-उनका ध्यान रखें--
bahut sunder kavita he..
WonderFull
:)
Keep it up Dear
-- Amit Verma
Dear Mam,
Loved your poetry "Mohabbat Na Kar". Today i was very disturb & suddenly saw ur kavita. Whatever u have written it's all correct. After reading it i am completely relaxed & stressfree. You have taken me out of the pain. But i really need to know that we never get what we want, we never want what we get, we never have what we like & never like what we have but still why we people love & hope. Is it because everyday start with the new light of hope???
Love Nimmi Sandhu:-)
सीमा जी!
सुंदर रचना।
आगे के लिए शुभकामनाएं।
Great & congratulations!!. Very nice and do keep it up. Wonderfull thoughts and equally good expression.
"Harshvardhan"
Hi
Ur Poem was good but A bit frustrated I don't like frustrated poem. U should write poem Mohhabbat Kar Ok
URs
खुदा दे शौहरत इस कदर तुम को
की तेरे नाम से आगे किसी का नाम ना हो
मेम ग़ज़ल बहुत प्यारी है बस ये समझ लीजिये की आप का नाम सब से आगे देखना चाहता हूँ
इस के लिए सारे प्रयास आप को करने होंगे
जब भी आप किसी प्रतियोगिता में शामिल हों तो दुआ है की प्रथम विजेता आप हों
बाकी थोडा सा कसाव पर और लय पर ध्यान दीजिये
बाकी सब अपने आप हो जायेगा
Seema ji,
We know you write well & sharp. Your poems have to much sharp edges. Please write your “JEEVANI” so that everyone understand the deep feelings of you.
Please write from the beginning i.e from your child hood. Everything you gave to world & what things the world gave you. Where u born – Village / city. (Ambala).
तारीफ . . . . . . तारीफ उस खुदा की जिसने तुम्हे बनाया !
वाह सीमा जी! वास्तव में आपकी रचनाएँ बहुत ही रोमांचक और ज्ञानवर्धक है ! निश्संधय ही आप बहुत लायक रचनाकार हैं !
वाह सीमा मर डाले !
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