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Tuesday, December 11, 2007

अम्मा के सपने --


कुछ चीज़ें हर रोज़ होतीं .....
देहरी पर बैठकर बुआ का खाँसना
अम्मा का पत्थर पर कपड़े का पीटना
और छोटू संग हम सबका चीखना ।

कुछ चीज़ें कई दिनों होतीं .....
घर के आँगन में चूल्हा जलना
चौके में बर्तन की आवाज़
और रात को भरपेट खाना ।

कुछ चीज़ें कई हफ़्तों पर होतीं .....
अम्मा के चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान
बुआ का हम सबको बेवज़ह डाँटना
और बाबूजी का हमारे संग खेलना ।

कुछ चीज़ें कई महीनों पर होतीं .....
अम्मा-बुआजी की तू-तू मैं-मैं
बाबूजी का अम्मा को मारना
और हम सबका डर से छिप जाना ।

कुछ चीज़ें कई सालों पर होतीं .....
दादाजी-फूफाजी....फिर बाबूजी का गुजर जाना
बाढ़ में घर का बह जाना
और भूख से छोटू का मर जाना ।

कुछ चीज़ें शायद कभी न हों .....

अम्मा के चेहरे पर हँसी
हमारा लहलहाता खेत
और अम्मा के सपने पूरे.........

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17 कविताप्रेमियों का कहना है :

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

अभिषेक जी,
बहुत मर्मस्पर्शी कविता है। दिल को छू गई। बहुत अच्छी है।

Anonymous का कहना है कि -

कुछ चीजें हमेशा होती हैं और दुआ है की हमेशा होती रहें,
अभिषेक जी दिल छु जाने वाली कविताऍ,
और पढने के बाद प्यारी प्यारी प्रतिक्रियाऍ.

बधाई स्वीकार करें..

मनीष वंदेमातरम् का कहना है कि -

अभिषेक जी!
एक-एक लाईन ज़िंदा है,बहुत ही अच्छी और भावुक कविता

Anonymous का कहना है कि -

वक्त एक ऐसा कारक है,जिस पेर किसी का वश नही होता,बालपन के आकांक्षाओं ले लबरेज एक बेहद मर्मस्पर्शी कविता.
पाटनी जी, आपकी कविता मी गजब का आकर्षण है,
बेहद प्यारी रचना
शुभकामनाओं समेत
अलोक सिंह "साहिल"

Alpana Verma का कहना है कि -

अभिषेक जी,
आप की कविता में हर कड़ी एक दूसरे से जुड़ रही है.जो इस की खासियत है.
एक भावुक मगर सीधी सच्ची सी कविता है .
[पर क्या आज भी घरों में आँगन होता है? गैस के जमाने में आज भी चूल्हे जलते हैं??]

रंजू भाटिया का कहना है कि -

दिल को छू जाने वाली कविता है अभिषेक जी ..सिलसिलेवार कड़ी से कड़ी जुड़ती और अंत दिल को छू गया !

Sajeev का कहना है कि -

वाह अभिषेक जी, आपकी लेखनी में मीठी की खुशबू मिली, यथार्थ का करीब , सवेद्नाओ को जगाती रचना

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

अभिषेक जी


इसे कहते है जमीन से जुडा लेखन। इस सादगी का कायल हुआ जा सकता है।


*** राजीव रंजन प्रसाद

Shailesh Jamloki का कहना है कि -

अभिषेक जी
आपकी कविता
१) शीर्षक पर बहुत सही लगती है
२) बहुत छोटी छोटी बातो को धयान मै रख कर बनाया है
३) कविता किसी बच्चे का संवाद है ,,ये साफ छलकता है भाषा से.. अतः आप जो कहना चाह रहे थी कविता के माध्यम से कहना, उसमे आप सफल हुए है
बस एक बात कहना चाहूँगा
१) कविता वैसे तो लगती है बच्चे का संवाद है, पर बोल कुछ निराशा के है.. जो की बच्चे से शोभा नहीं देते ....
(मुझे ऐसा लगा, क्यों की कविता पड़ते हुए मुझे ऐसा लगा की ये बच्चे के संवाद है (अम्मा ,छोटू शब्दों से )
बाकि अच्छी रचना अच्छी है बधाई !!!
सादर
शैलेश

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

अम्मा के सपने जल्दी पूरे हों, इसी कामना के साथ
- गौरव

Anupama का कहना है कि -

dil ko chu lene wali adhbuth prastuti

Avanish Gautam का कहना है कि -

कविता की बुनावट में कसावट की थोडी कमी है. बाकी कविता ठीक है.

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

अभिषेक जी,

क्या बोलूँ? इस कविता ने इस प्रकार जोड़ लिया कि वाह-वाही करना भी नहीं जँच रहा।

mona का कहना है कि -

Very sweet poem. Touching lines :
कुछ चीज़ें शायद कभी न हों .....
अम्मा के चेहरे पर हँसी
हमारा लहलहाता खेत
और अम्मा के सपने पूरे.........

Anonymous का कहना है कि -

bhaut sahi poem hai sir,..aama k sapne kabhi sach nahi ho pate hai...kash ho jate!

Anonymous का कहना है कि -

bhaut sahi poem hai sir..aama k sapne kabhi sach nai ho pate hai,,,kash ho jate!!

Anonymous का कहना है कि -

bahut sahi poem hai sir,,aama k sapne kabhi sach nahi ho pate hai...kash ho jate ..kash hum kar pate!

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