दोस्तो,
पिछले महीने से हिन्द-युग्म ने अनूदित कविताओं को प्रकाशित करने का कार्य आरम्भ किया है। हिन्द-युग्म कुमुद अधिकारी जी का बहुत आभारी है जिनकी प्रेरणा से हिन्द-युग्म पर नेपाली भाषा का उत्कृष्ट साहित्य हम तक हिन्दी में पहुँच रहा है और हिन्द-युग्म की कुछ कविताओं का नेपाली अनुवाद नेपाली भाषी भी पढ़ पा रहे हैं।
पिछले माह हिन्द-युग्म पर मनु मन्जिल की कविता 'पुरखों के प्रति' कविता को प्रकाशित करके हमने यह शुरूआत की थी। गौरव सोलंकी की कविता 'बाज़ार जा रही हो तो॰॰' का नेपाली अनुवाद साहित्यसरिता के २०वें अंक में प्रकाशित हुआ। इसी से प्रेरणा पाकर नवम्बर माह की यूनिकविता 'क्षणिकाओं' का गुजराती अनुवाद विजयकुमार दवे ने किया और अपने गुजराती ब्लॉग पर प्रकाशित भी किया। अच्छी ख़बर यह है कि सागर चन्द्र नाहर भी हिन्द-युग्म की कविताओं के अनुवाद में लग गये हैं।
इस बार कुमुद अधिकारी ने मनीष वंदेमातरम् की क्षणिकाओं का नेपाली में अनुवाद किया है जोकि साहित्यसरिता के २१वें में प्रकाशित होंगी।
नेपाली कविताओं से हम इस बार चुनकर लाये हैं मुकुल दाहाल की कविता 'जीवनवृत्त'।
मुकुल दाहाल- एक परिचय
नामः मुकुल दाहाल
जन्मः 1965
जन्मस्थानः शनिश्चरे-5, झापा, नेपाल
शिक्षाः एम. ए. ( अंग्रेजी साहित्य )
प्रकाशनः 1) सीमातीत सीमान्त ( कविता संग्रह )
2) अंग्रेजी जालपत्रिकाएँ www.magnapoets.blogspot.com,
www.quillandink.netfirms.com , www.boloji.com आदि में अंग्रेजी में
कविताएँ प्रकाशित
सम्पादनः 1) सम्पादक, ‘साहित्यिक कोसेढुङ्गा’ त्रैमासिक
2) सम्पादक, ‘पेनहिमालय’ (www.penhimalaya.netfirms.com)
3) सहयोगी सम्पादक, ‘साहित्यसरिता’ (www.sahityasarita.org )
4) सम्पादक, The Little Buddha in Tokyo. (Anthology of Short Stories by Parashu Pradhan, Published from Bangladesh)
आबद्धताः 1) संस्थापक अध्यक्ष, ‘साहित्यसञ्चार समूह’, इटहरी
2) सदस्य वाणी प्रकाशन, विराटनगर
3) सदस्य, साहित्यिक पत्रकार संघ
4) सदस्य, माडर्न लैंगवेज एसोसिएसन, न्यूयार्क
पुरस्कारः श्री वाणी पुरस्कार, सीमातित सीमान्त के लिए
ई-मेलः mukulnp@hotmail.com, mukul.dahal@gmail.com
सम्प्रतिः स्वानसि विश्वविद्यालय, यू.के. में क्रियटिव राइटिंग में एम.एफ.ए कर
रहे हैं।
कविता- जीवनवृत्त
शाम की सुपारी दातों से काटता हूँ
उससे आगे की गोधूली का चूइंगम चबाता हूँ
आँखों में भार लादकर
दिन के मस्त उजाले में
प्रवेश कर जाता हूँ।
सूरज के साथ घूमने निकलता हूँ।
हवा के छोर तक पहुँच
लौट पड़ता हूँ।
रात की रजाई ओढ़ता हूँ
आँखों को दबाकर पूरी रात
नीँद की सिटकनी फँसाता हूँ।
सबेरे का चॉकलेट चूसता हूँ।
जीवन के चक्रपथ में भोग ऊँचा हो रहा है
बुद्धि की जीभ चलाता हूँ।
शब्दातीत सत्य के तलाश में
हर क्षण का स्वाद लेता हूँ।
और फिर खुद को
रूपए-दो रुपए की तरह
चलाता रहता हूँ
खर्च करता रहता हूँ।
मूल नेपाली से अनुवादः कुमुद अधिकारी
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16 कविताप्रेमियों का कहना है :
मुकुल दाहाल को बधाई! बहुत बढिया कविता! कुमुद अधिकारी साधुवाद के पात्र है जिनके सौजन्य से हम आधुनिक नेपाली कविता से रूबरू हो पा रहे हैं
शब्दातीत सत्य के तलाश में
हर क्षण का स्वाद लेता हूँ।
और फिर खुद को
रूपए-दो रुपए की तरह
चलाता रहता हूँ
खर्च करता रहता हूँ।
बेहतरीन रचना। कुमुद अधिकारी जी का विषेश आभार जिनके प्रयासों से हम मुकुल जी व उनकी रचना से परिचित हो सके।
हिन्द युग्म के इस स्तंभ में अपार संभावनायें हैं।
*** राजीव रंजन प्रसाद
बहुत ही अच्छी कविता, गुलज़ार साहब की झलक मिलती है, ऐसे उपमाओं को तलाश कर कविता लिखना वाकई काबिल-ए-तारीफ है, आपको नमन
पंकज रामेन्दू मानव
जीवन के चक्रपथ में भोग ऊँचा हो रहा है
बुद्धि की जीभ चलाता हूँ।
शब्दातीत सत्य के तलाश में
हर क्षण का स्वाद लेता हूँ।
और फिर खुद को
रूपए-दो रुपए की तरह
चलाता रहता हूँ
खर्च करता रहता हूँ।
वाह क्या बात है....
शब्दातीत सत्य के तलाश में
हर क्षण का स्वाद लेता हूँ।
और फिर खुद को
रूपए-दो रुपए की तरह
चलाता रहता हूँ
खर्च करता रहता हूँ।
बहुत अच्छी ..लगी यह कविता .कुमुद अधिकारी जी का विषेश आभार जिस से हम यह पढ़ पाये ..और इंतज़ार रहेगा नई रचनाओं का !!
वाह ......
कुमुद अधिकारी जी का बहुत धन्यवाद. आपके प्रयासों से हम समृद्ध नेपाली साहित्य से भी युग्म पाठकों को अवगत करा सकेंगे
अविनाश जी, राजीव रंजन जी, पंकज जी, सजीव सारथी जी,रंजू जी और श्रीकांत जी, आप सबको नमन। अगर आपलोग इसीतरह हौसला-अफ़ज़ाई करते रहें तो हममें शक्ति बनी रहेगी।
कुमुद।
मुकुल जी वाह
बहुत सुन्दर विचारों से आप ने हमारा परिचय करवाया है
रचना बहुत सुन्दर लगी
और कुमुद अधिकारी जी को कोटि कोटि धन्यबाद कि उनके सौजन्य से हमे यह कविता पढ़ने को मिली
विपिन
सुदर रचना
शब्दातीत सत्य के तलाश में
हर क्षण का स्वाद लेता हूँ।
और फिर खुद को
रूपए-दो रुपए की तरह
चलाता रहता हूँ
खर्च करता रहता हूँ।
बहुत बढिया
कुमुद जी
एक सुंदर कविता को आपने सब तक पहुँचाया इसके लिए हार्दिक बधाई. कविता बहुत सुंदर है. जीवन इसी का नाम है.
कवि मुकुल जी को भी बहुत बहुत बधाई.
मुकुल जी बहुत ही मीठी सी रचना, कुमुद जी हम आपके सहयोग के लिए भी आभारी हैं, जिनके योगदान से ये सुअवसर हमें मिला.
आलोक सिंह "साहिल"
शब्दातीत सत्य के तलाश में
हर क्षण का स्वाद लेता हूँ।
और फिर खुद को
रूपए-दो रुपए की तरह
चलाता रहता हूँ
खर्च करता रहता हूँ।
बहुत सुन्दर!मुग्ध कर देनेवाली रचना। मुकुल जी एवं कुमुद जी को कोटिशः साधुवाद।
'बुद्धि की जीभ चलाता हूँ।
शब्दातीत सत्य के तलाश में
हर क्षण का स्वाद लेता हूँ।'
उपमाओं का इस्तमाल खूब किया आपने-
बहुत ही अच्छी कविता है.मुकुल जी बधाई!
कुमुद अधिकारी जी को धन्यवाद कि उनके प्रयासों से हमे यह कविता पढ़ने को मिली.
I respect everyone for your kind words. Thank you a lot. I beg your pardon for not writing in Hindi because I am not good at all. I thank Kumudjee for all the trouble he took to translate it and post in your blog. Many thanks to you all.
आखरी पंक्तियाँ दिल को छू जाती हैं...
सुनीता
इस कविता को हिन्द-युग्म की शीर्ष ५० कविताओं में रखा जा सकता है। कुमुद अधकारी जी की जितनी तारीफ की जाय उतनी कम है। ये केवल अनुवाद ही नहीं कर रहे हैं बल्कि आधुनिक नेपाली साहित्य को हम तक पहुँचा रहे हैं।
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