पहला दिन
पहला आश्वासन
बहका दिया कवि का मन
महका दिया कवि का चमन
हार गया दिल उसी दिन
जैसे कमलपत्र पर अश्रू के कण ..
क्या सचमुच भेंट होगी?
या शब्द-शब्द में
कविता के लिए
बन जायेगा कोई चित्र
किसी शबरी के आँख का
जिसकी हथेली में समंदर
उसके द्वीप में काई का घर ....
और कवि के लिए ....
चांदनी रात
रेती का रथ
और हाँ रेती का सिंहासन भी.....
- सुनीता यादव
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
rachana sundar lagee
lekin such puchho to mujhe arth kam samjhaa |
shesh sab sundar
snsneh -
avaneesh tiwaree
सुनीता जी, अच्छी कविता कही जा सकती है,काफ़ी हद तक मैं अवनीश जी के विचारों से सहमत हूँ.
शब्द तो बड़े ही करीने से सजाये गए हैं,परन्तु भाव बहुत स्पष्ट नहीं हो पाया,
सप्रेम
आलोक सिंह "साहिल"
कवि किसी प्रेम करता है ...किसी के द्वारा दिए गए आश्वासन से बहक जाता है ...आश्वासन आख़िर आश्वासन ही है जब समझ जाता है ..उसका दिल हार जाता है ...उसे लगता है इंतजार की घडी कब समाप्त होगी? या उसकी विरह में रची गयी कविताओं के साथ-साथ कोई चित्र भी बन जायेगा किसी शबरी के आंख का....जिसकी हथेली में अश्रू के समंदर ...उसके द्वीप में .. अंतस में काई का घर .....और ख़ुद के लिए रेती का रथ ,सिंहासन जिसकी कल्पना खूबसूरत होने के बावजूद वह चांदनी रात में प्रेयसी की याद में उठी अश्क के ज्वार में बिखर जाता है....
भाव समझने में कठिनाई हो रही हे तो प्रयास करूंगी अगली बार सरल शब्दों में लिखूं ....
सुनीता जी
बहुत सुंदर लिखा है.
क्या सचमुच भेंट होगी?
या शब्द-शब्द में
कविता के लिए
बन जायेगा कोई चित्र
किसी शबरी के आँख का
जिसकी हथेली में समंदर
उसके द्वीप में काई का घर ....
बधाई स्वीकारें
सुनीता जी,
सुंदर लगी रचना। कविता की चित्रात्मकता अच्छा प्रभाव छोड़ती है।
सुनीता जी आप की कविता पढी और आप की व्याख्या भी.
यह एक कोम्पक्ट कविता लगी जिसमे बहुत सारी बातों का थोड़े में कह दिया गया है-
ये पंक्तियाँ: ''जिसकी हथेली में समंदर
उसके द्वीप में काई का घर ....''अनूठी कल्पना लगीं.
शीर्षक 'आश्वासन ' उपयुक्त है क्योंकि आश्वासन अधिकतर अनिश्चितता को ही जन्म देते हैं.इन पर टिका जीवन पेंडुलम की तरह हो जाता है.
चित्र भी कविता को समझने में सहायक है.
अच्छी रचना है.
धन्यवाद.
सुनीता जी बहुत बढ़िया शब्द संयोजन है..
थोडे शब्दों में बहुत कुछ बखान करती कविता..
अलपना जी से सहमत..
बधाई स्वीकारें
बिम्ब जटिल अवश्य हो गये हैं किंतु रचना बहुत अच्छी है। बधाई स्वीकारें..
*** राजीव रंजन प्रसाद
सुंदर भाव उत्कृष्ट रचना
और बढ़िया लिखिए
थोड़ा आसान लिखिए और थोड़ा विस्तृत...आपकी रचना बहुत अच्छी बन जाएगी...
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