तुम्हारा और मेरा मिलन,
या तो प्रथम है या आखिरी....
तुम्हारी लहरों सी चंचल आँखे,
यूँ जड़ होती है एकाएक,
उनसे ढुलकती असीम वेदना
कंपा देती है मन मेरा
समूचे विश्व की व्यथा समेटे ये दृष्टि
या तो प्रथम है या आखिरी......
उन कठोर हाथों का कोमल स्पर्श,
तुम्हें असाधारण बनाता है अनायास ही
और उस दैवीय स्पर्श की अनुभूति
संवारती है जीवन मेरा
इतना पवित्र, इतना निश्छ्ल एहसास
या तो प्रथम है या आखिरी.........
हर बार मिलके लगता है
हम हर युग में मिलते रहे
या युगों से बिछड़े रहे
हर बार सर्वस्व त्याग कर तुमने मांगा
केवल एक क्षण मेरा
आज निर्णय कर ही लें कि यह विरह
प्रथम है या आखिरी?
प्रथम होगा, हम अगर रचयिता है
और आखिरी, अगर सम्पूर्णता है
न प्रेम कभी सोच पाया,
न समय कभी जी पाया,
सब भ्रमित है, मुझको विदित है
कि यह मिलन प्रथम है और आखिरी भी...
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
11 कविताप्रेमियों का कहना है :
प्रथम या आखिरी…… शुरुआत और अन्त ऐसे कटु सत्य है जिन्हे हमें स्वीकार करना ही पड़ता है। भाव प्रंसशा के काबिल है।
प्रथम होगा, हम अगर रचयिता है
और आखिरी, अगर सम्पूर्णॅता है
न प्रेम कभी सोच पाया,
न समय कभी जी पाया,
सब भ्रमित है, मुझको विदित है
कि यह मिलन प्रथम है और आखिरी भी...
पढ़ कर बहुत अच्छा लगा
सरल ,सुगठित और सुंदर प्रवाह लिए हुए आप की कविता भावों को बखूबी व्यक्त रही है.शब्दों का चयन कविता को समझने में आसान कर रहा है.
सब जानते हैं कि प्रथम और आखिरी दोनों ही सच हैं.
और ख़ुद कविता जवाब दे रही है -
''प्रथम होगा, हम अगर रचयिता है
और आखिरी, अगर सम्पूर्णॅता है''
आखिरी पंक्ति ''सब भ्रमित है, मुझको विदित है''कह कर कवियत्री ने जैसे अपने लिए उत्तर की तलाश भी कर ली है ''कि यह मिलन प्रथम है और आखिरी भी...
बहुत खूब!
बधाई इस कविता के लिए.
न प्रेम कभी सोच पाया,
न समय कभी जी पाया,
सब भ्रमित है, मुझको विदित है
कि यह मिलन प्रथम है और आखिरी भी...
बहुत सुंदर भाव हैं इस रचना के ...बधाई!!
सुन्दर भाव-युक्त अभिव्यक्ति
उन कठोर हाथों का कोमल स्पर्श,
तुम्हें असाधारण बनाता है अनायास ही
और उस दैवीय स्पर्श की अनुभूति
संवारती है जीवन मेरा
इतना पवित्र, इतना निश्छ्ल एहसास
या तो प्रथम है या आखिरी.........
प्रथम होगा, हम अगर रचयिता है
और आखिरी, अगर सम्पूर्णता है
न प्रेम कभी सोच पाया,
न समय कभी जी पाया,
सब भ्रमित है, मुझको विदित है
कि यह मिलन प्रथम है और आखिरी भी...
- बहुत बहुत बधाई
बहुत खूब
आपका यह मिलन प्रथम हो, द्वितीय हो और अनत हो
ऐसी आशा के साथ -
अवनीश तिवारी
प्रथम होगा, हम अगर रचयिता है
और आखिरी, अगर सम्पूर्णता है
न प्रेम कभी सोच पाया,
न समय कभी जी पाया,
सब भ्रमित है, मुझको विदित है
कि यह मिलन प्रथम है और आखिरी भी...
बेहतरीन रचना, बधाई स्वीकारें।
*** राजीव रंजन प्रसाद
तुम्हारी लहरों सी चंचल आँखे,
यूँ जड़ होती है एकाएक,
उनसे ढुलकती असीम वेदना
कंपा देती है मन मेरा
समूचे विश्व की व्यथा समेटे ये दृष्टि
या तो प्रथम है या आखिरी......
" itna sunder likha hai, aseem gehraee liye ,pure ristey ko ek hee line mey pero dala या तो प्रथम है या आखिरी......" superb,amezing"
Regards
बहुत सुंदर रचना
प्रथम होगा, हम अगर रचयिता है
और आखिरी, अगर सम्पूर्णता है
न प्रेम कभी सोच पाया,
न समय कभी जी पाया,
सब भ्रमित है, मुझको विदित है
कि यह मिलन प्रथम है और आखिरी भी...
अंजलि जी भावों का इतना सरल प्रवाह! आनंदित कर दिया आपने तो,
प्रथम और आखिरी, खूब, बहुत खूब
शुभकामनाओं समेत
आलोक सिंह "साहिल"
अंजलि जी,
आपकी शीर्षक पंक्तियाँ बहुत दार्शनिक तरीके से पाठकों के मन में उतरती हैं। कविता का उपसंहार बहुत सुंदर है।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)