हिन्द-युग्म परिवार की ओर से सभी को क्रिस्मस की हार्दिक बधाइयाँ। हमने भी अपने शुभचिंतकों के लिए एक नायाब उपहार का प्रबंध किया है। आज पूरे विश्व में उपहारों की ही बात होती है। और हिन्द-युग्म इस दुनिया से ज़ुदा नहीं हैं।
हमारा उपहार हमारा ही चतुर्थ संगीतबद्ध गीत है। हिन्द-युग्म ने अक्टूबर महीने में अपना पहला स्वरबद्ध बनाया था तो यह नहीं सोचा था कि एक महीने में ही दूसरा और एक महीने से भी कम में तीसरा गीत बना लेगा। सजीव सारथी के सक्रिय होने का यह लाभ देखिए कि सभी सदस्यों में उत्साह भर गया और बहुत हर्ष की बात है कि हम अपना चौथा गीत 'तू है दिल के पास' एक सप्ताह के भीतर लॉन्च कर रहे हैं।
इस गीत की गायिका और रचनकार हमारी बेहद सक्रिय सदस्या सुनीता यादव है। पिछले महीने इन्होंने जब यह गीत लिखा और इसका एक धुन सोचकर संगीतकार रवीन्द्र प्रधान को सुनाया तो उन्होंने कहा कि यह तो बहुत बढ़िया है, आपको इसे रिकार्ड करना चाहिए। सुनीता जी भी उत्साहित हुई और सोचा कि रिकार्ड कर ही लिया जाय। इस प्रकार समय निकालते-निकालते गीत पिछले सप्ताह संगीतबद्ध हो ही गया।
सुनीता यादव
रवीन्द्र प्रधान
अब यह कैसी बनी है, यह तो आप श्रौता ही बतायेंगे। आपकी प्रतिक्रियाएँ हमें बेहतर करने में सहयोग करती हैं।
नीचे ले प्लेयर से गीत सुनें और ज़रूर बतायें कि कैसा लगा?
(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)
यदि आप इस गीत को उपर्युक्त प्लेयर से नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)
VBR MP3
64Kbps MP3
Ogg Vorbis
गीत के बोल
आ तुझे कुछ बोल दूँ ......
तू है दिल के पास आ तुझे कुछ बोल दूँ
आ तुझे कुछ बोल दूँ आ तुझे कुछ बोल दूँ
आ तुझे कुछ बोल दूँ ,तन-मन तुझ में डोल दूँ ...
दिल की चाहत है प्यार का रंग घोल दूँ
आ तुझे कुछ बोल दूँ आ तुझे कुछ बोल दूँ .....
क्यों आँखों में खयालों में सवाल होते हैं
क्यों लगता है खयालों में प्यार के जलवे होते हैं
खामोशी में भी क्यों मुस्कुराती तन्हाई है
आँखों में क्यों है नमी
खाली-सा लगता कहीं
अश्क को पता नहीं
अश्क को पता नहीं
तू है दिल के पास आ तुझे कुछ बोल दूँ ......
नींद आँखों की मेरे ख्वाबों के साथ खो गए
तनहा हम तो थे कुछ तेरे बिना और तनहा हम भी हो गए
जिस्म के हर कोने में बसी खुशबु पे निसार हो गए
चुपके से अश्क बह गए
जाने क्या साथ ले गए
दर्द पराये हो गए
क्यों दर्द पराये हो गए
तू है दिल के पास आ तुझे कुछ बोल दूँ
आ तुझे कुछ बोल दूँ तन-मन तुझमें डोल दूँ
आ तुझे कुछ बोल दूँ आ तुझे कुछ बोल दूँ...
दिल की चाहत है प्यार का रंग घोल दूँ
आ तुझे कुछ बोल दूँ ,आ तुझे कुछ बोल दूँ........
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
18 कविताप्रेमियों का कहना है :
दिल को छू गया! उपहार के लिये आभार !!
-- शास्त्री जे सी फिलिप
हे प्रभु, मुझे अपने दिव्य ज्ञान से भर दीजिये
जिससे मेरा हर कदम दूसरों के लिये अनुग्रह का कारण हो,
हर शब्द दुखी को सांत्वना एवं रचनाकर्मी को प्रेरणा दे,
हर पल मुझे यह लगे की मैं आपके और अधिक निकट
होता जा रहा हूं.
बहुत ही सुरीला और मधुर गाना है. मैंने इसे ऑफलाइन सुनने के लिए भी डाउन लोड किया है.
रवि मिश्र
http://hivcare.blogspot.com/
बहुत ही सुंदर और मीठा सा उपहार है यह ..बधाई ..सुनीता जी और रवीन्द्र जी गीत भी सुंदर है और संगीत भी ..!!
इतने सुंदर उपहार के लिए धन्यवाद सुनीता जी तथा हिंद युग्म .
सुनीता जी,
आपकी आवाज बहुत मधुर है। इस आवाज में कोई भी गीत बहुत अच्छा बन सकता था, लेकिन संगीत और गीत के बोल उस स्तर के नहीं हैं।
'तन-मन तुझमें डोल दूँ' का अर्थ मुझे तो समझ में नहीं आया।
हिन्द युग्म से-
जब आप अपने एलबम को व्यावसायिक बनाना चाहते हैं तो यह याद रखिए कि आप हज़ारों- लाखों लोगों के लिए लिख रहे हैं, गा रहे हैं। गीत में गीत के आधारभूत तत्व ही नहीं हैं। यदि सफल होना है तो प्रोफ़ेशनल होना पड़ेगा। हर गीत का स्तर एक सा हो तो बेहतर रहेगा। यह गाना जल्दबाज़ी में लिखा गया और रिकॉर्ड किया लगता है, जैसे संख्या बढ़ाने की जल्दबाज़ी हो।
अभी बहुत मेहनत की जरूरत है। बाज़ार कला की कद्र तभी करता है, जब उसे लोग पसन्द करें और यहाँ आपके कंपीटिशन में एक से बढ़कर एक गीत, गायक और संगीतकार हैं।
सुनीताजी और रवीन्द्रजी,
काफी देर तक गीतकी सुंदर धून और मधुर आवाज कानोमे गूंजती रही, बधाई हो !
सतीश वाघमारे
मैं गौरव की बात से सहमत हूँ। अगर व्यवसायिकता को अपनाना है तो स्तर को और बाकि के अन्य पहलुऒं पर भी मुस्तैदी से सोचना होगा । सुनीता जी आपकी आवाज़ प्यारी है बस रियाज़ की आवश्यकता है।
मित्रों अगर आप ऐसे मीठे उपहार सिर्फ़ क्रिसमस पर ही देंगे तो माफ़ कीजिएगा मैं तो हर रोज क्रिसमस मानना पसंद करूँगा.
बहुत ही प्यारा उपहार
बहुत बहुत धन्यवाद
आलोक सिंह "साहिल"
शानदार प्रयोग. बेहतरीन प्रस्तुति.
बहुत सुंदर प्रयास है |
आवाज सुरीली है |
कुछ और गहराई होती तो और मजा आता ?
Overall its good !
अवनीश तिवारी
संगीतकार ने अच्छा संगीत दिया.
गायिका पाकिस्तानी गायिका जैसी सुनायी देरही हैं.
हिन्दयुग्म के प्रयास सराहनीय हैं.आप के पहले दो गीत 'वो नरम सी' और 'ये ज़रूरी नहीं' गीत ज्यादा पसंद आए.
सुनीता जी,
वास्तव में आप मधु-मय आवाज की धनी है.. संगीत भी अच्छा लगा मुझे, रही बात एल्बम की सो गौरव जी की बात से सहमति जताते हुए यही कहुँगा की बाजार प्रतिभाओं से भरा पडा है हम कच्चे कदम नही लेंगें.. और रिकार्डिंग इत्यादि होने देने चाहिये क्यूँकि निखार तभी होगा और एल्बम में इन सभी मे से चुनिंदा गीत गजल ही रखेंगे..
स्तर के अनुसार ही..
"जलेबी" सा मीठा मीठा गाना, वैसे गौरव की बात पर भी ध्यान देना अगली पेशकश में, "तन मन तुझ में डोल दूँ" गीत के थीम के साथ भी नही जच रहा.... खैर पहली कोशिश है, सराहनिये है, आवाज़ और धुन दोनों ही बहुत मधुर है, अगली पेशकश यकीनन और बेहतर होगी, बधाई और शुभकामनाएं
गीत का संगीत ८० के दशक के संगीत की याद दिलाता है। निश्चित रूप से बोल, संगीत, संयोजन आदि पर बहुत काम करने की आवश्यकता है। लेकिन फ़िर भी कहना पड़ेगा कि सुनीता जी की आवाज़ अद्वितीय है और इस प्रकार के गानों के लिए फिट बैठती है।
इस तरह के प्रयास के साधुवाद हिन्द-युग्म
beautifully written and composed. good efforts.
Regards
सभी को सादर नमस्कार !
मैं न तो कुशल गायिका हूँ और न ही इस प्रकार के गीत कभी लिखने क बारेमें सोचा था ...आप सब अपनों के बीच कुछ कर दिखाने की इच्छा हुई ...सरल शब्दों का सहारा लिया ..ताकि मेरे लिए आसान हो ..धुन की जहाँ तक बात है जो उस समय दिमाग में आया वही गा दिया believe me i am not at all a composer.... मुझे इस बात कि सेंस भी नही कि यह धुन ८० कि है या ०७ की होनी चाहिए थी ....गाते हुए लोगों को सुना ..इच्छा हुई मैं भी गाऊं तो गा दिया ...बस....व्यवसायिकता शायद मेरी पहुँच से दूर है....
त्रुटियों के लिए माफ़ी चाहूंगी ....
सुनीता यादव
त्रुटियां सुधारी जा सकती हैं there is always a next chance पहला प्रयास बुरा नही था, यकीनन आगे और भी अच्छा होगा.....
सुनीता जी गाना कई बार सुना था मगर टिप्पणी देने में थौड़ी कंजूस हूँ...आपकी आवाज और संगीतकार का संगीत दोनो ही बहुत सुंदर लगा...आपने सचमुच बहुत खूबसूरत गाया है...बधाई! अशा करती हूँ आगे भी आपका गाना सुनने को मिलता रहेगा...
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)