कभी दुआ बन के लबों पे आये
कभी प्यास बन के पलको पे छाये
कभी दिल की राह से गुजर गये
देखती रही तुझे खुद को भूले हुई
कतरा-कतरा तेरी हुई
मैं दीवानी हुई तेरी दीवानी हुई
तेरी आँखों की दुनिया में
एक सपना मेरा भी
मुझसे तेरा फ़र्क मिटा
जब से तुझ-सी हुई
कतरा-कतरा तेरी हुई
मैं दीवानी हुई तेरी दीवानी हुई
चेहरों पे चेहरे चढ़े
पास बैठे अपने बने
इश्क़ की शब में
बेख़ुदी का हाल ऐसा
जहाँ मिले तेरे निशान
ज़िंदगी की सहर हुई
कतरा-कतरा तेरी हुई
मैं दीवानी हुई तेरी दीवानी हुई
********अनुपमा चौहान *********
कभी प्यास बन के पलको पे छाये
कभी दिल की राह से गुजर गये
देखती रही तुझे खुद को भूले हुई
कतरा-कतरा तेरी हुई
मैं दीवानी हुई तेरी दीवानी हुई
तेरी आँखों की दुनिया में
एक सपना मेरा भी
मुझसे तेरा फ़र्क मिटा
जब से तुझ-सी हुई
कतरा-कतरा तेरी हुई
मैं दीवानी हुई तेरी दीवानी हुई
चेहरों पे चेहरे चढ़े
पास बैठे अपने बने
इश्क़ की शब में
बेख़ुदी का हाल ऐसा
जहाँ मिले तेरे निशान
ज़िंदगी की सहर हुई
कतरा-कतरा तेरी हुई
मैं दीवानी हुई तेरी दीवानी हुई
********अनुपमा चौहान *********
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14 कविताप्रेमियों का कहना है :
जहाँ मिले तेरे निशान
ज़िंदगी की सहर हुई
कतरा-कतरा तेरी हुई
मैं दीवानी हुई तेरी दीवानी हुई
अनुपमा जी सूफियाना अंदाज़ की ये कविता बहुत ही सुंदर है
तेरी आँखों की दुनिया में
एक सपना मेरा भी
मुझसे तेरा फ़र्क मिटा
जब से तुझ-सी हुई
वाह!! अनुपमा जी बहुत दिनों बाद आपका लिखा पढ़ा बहुत ही सुंदर लिखा है आपने ..लिखती रहे:) बधाई
अनुपमा जी..
क्या बात है.. कविता बहुत प्यारी
"मै दीवानी हुई" का मैं दीवाना हुआ..
पर शिकायत है कि आपका पिटारा देर-देर से क्यूँ खुलता है आजकल..
बहुत बहुत बधाई
कभी दुआ बन के लबों पे आये
कभी प्यास बन के पलको पे छाये
कभी दिल की राह से गुजर गये
देखती रही तुझे खुद को भूले हुई
कतरा-कतरा तेरी हुई
मैं दीवानी हुई तेरी दीवानी हुई
बेहतरीन रचना अनुपमा जी। दुरुस्त आयद...हिन्द युग्म पर अपनी एसी रचनाओं से उपस्थिति दर्ज कराती रहें।
*** राजीव रंजन प्रसाद
इश्क़ की शब में
बेख़ुदी का हाल ऐसा
जहाँ मिले तेरे निशान
ज़िंदगी की सहर हुई
बहुत अच्छी लाईनें हैं।एक सुंदर गीत।
अनुपमा जी अपने पाठकों को दीवाना बनने का ये अंदाज भी खूब है .क्या बात है,मैं दीवानी हुई तेरी दीवानी...
अच्छी रूमानी रचना है.सच कहूँ,थोडी गहराई की और दरकार थी.पर अंत भला तो सब भला.
बधाई सहित
अलोक सिंह "साहिल"
अनुपमा जी,
एक सुंदर कविता है.
भाव अच्छी तरह से व्यक्त हो रहे हैं.
'जहाँ मिले तेरे निशान
ज़िंदगी की सहर हुई'
ये पंक्तियाँ बहुत पसंद आयीं.
जहाँ तक मेरा ज्ञान कहता है-'कतरा' नहीं यह शब्द 'क़तरा ' (a.) n.: drop होना चाहिये.
अगर मैं ग़लत हूँ तो मुझे सही करीयेगा.
धन्यवाद.
अनुपमा जी
एक नई शैली में लिखी आपकी गज़ल सुन्दर है ।
तेरी आँखों की दुनिया में
एक सपना मेरा भी
मुझसे तेरा फ़र्क मिटा
जब से तुझ-सी हुई
"कतरा-कतरा तेरी हुई
मैं दीवानी हुई तेरी दीवानी हुई"
bhut khub, yhan mai bhee apnee two lines add kerna chahunge
" taire lubon pe muchleney ke liye maire her gazal deewanee huee,
jin nazaron ko tum ankhon mey bsatey,un nazaron ka nure bunney ko mai deewane huee"
congrates, words of your poems have gone deep in to my heart as it is of my taste.
WITH REGARDS
अनुपमा जी !
तेरी आँखों की दुनिया में
एक सपना मेरा भी
मुझसे तेरा फ़र्क मिटा
जब से तुझ-सी हुई
सुंदर ... ! बहुत सुंदर लगा ये गीत
स्नेह शुभकामना
अनुपमा जी
१) आपकी पंक्तिया बहुत अच्छी लगी है.. और आपने अपने लिए जो मानक सधे है ,,., आप उन पर कायम है..
पर हर कविता के साथ हमारे अपेक्षायेई बढ़ रही है..
२) आप की पंक्तिया भी गा कर बहुत सुन्दर और प्रभाव शाली बन सकती है... हिंदी युग्म के भाई लोगों आप सुन रहे है न..
३) आप ने इस विषय के हर पहलू को जीवंत कर दिया है
४) "मैं दीवानी हुई तेरी दीवानी हुई " तो नहीं कहूँगा बस ये कहूंगा......
५) सबसे अच्छी बात है.. बहुत सरल शब्दों मै कहा गया है..
और शब्द चयन उत्कृष्ट है ...... उदार्हंतः हर शब्द
"मैं दीवानी हुई तेरी दीवाना हुआ "
बहुत सुन्दर पंक्तिया..
बधाई !!!!!
सादर
शैल्श
अनुपमा जी,
मीरावाई के अन्दाज में लिखी हुई आप की रचना मुझे बहुत पसन्द आई.
'कतरा-कतरा तेरी हुई' बहुत ही खूबसूरत पंक्ति हैं। या इस कविता की जान है। गीत पर खूब लेखनी चलाइए, अच्छा लिख सकती हैं आप।
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