कवि तुम पागल हो--?
सड़क पर जाते हुए जब
भूखा नंगा दिख जाता है
हर समझदार आदमी
बचकर निकल जाता है
किसी के चेहरे पर भी
कोई भाव नहीं आता है
और तुम---?
आँखों में आँसू ले आते हो
जैसे पाप धोने को
आया गंगाजल हो--
कवि तुम पागल हो ---?
जीवन की दौड़ में
दौड़ते-भागते लोगों में
जब कोई गिर जाता है
उसे कोई नहीं उठाता है
जीतने वाले के गले में
विजय हार पड़ जाता है
हर देखने वाला
तालियाँ बजाता है
पर-- तुम्हारी आँखों में
गिरा हुआ ही ठहर जाता है --
जैसे कोई बादल हो--
कवि-- तुम पागल हो--?
मेहनत करने वाला
जी-जान लगाता है
किन्तु बेईमान और चोर
आगे निकल जाता है
और बुद्धिजीवी वर्ग
पूरा सम्मान जताता है।
अपने-अपने सम्बन्ध बनाता है
पर तुम्हारी आँखों में
तिरस्कार उतर आता है
जैसे- वो कोई कातिल हो
कवि? तुम पागल हो --
सीधा-सच्चा प्रेमी
प्यार में मिट जाता है
झूठे वादे करने वाला
बाजी ले जाता है
सच्चा प्रेमी आँसू बहाता है
तब किसी को भी कुछ
ग़लत नज़र नहीं आता है
पर--तुम्हारी आँखों में
खून उतर आता है
उनका क्या कर लोगे
जिनका दिल दल-दल हो
कवि तुम पागल हो
धर्म और नैतिकता की
बड़ी-बड़ी बातें करने वाला
धर्म को धोखे की दुकान बनाता है
तब चिन्तन शील समाज
सादर शीष नवाता है
सहज़ में ही--
सब कुछ पचा जाता है
और तुम्हारे भीतर
एक उबाल सा आजाता है
लगता है तुमको क्यों
चर्चा ये हर पल हो ?
कवि तुम पागल हो --?
सड़क पर जाते हुए जब
भूखा नंगा दिख जाता है
हर समझदार आदमी
बचकर निकल जाता है
किसी के चेहरे पर भी
कोई भाव नहीं आता है
और तुम---?
आँखों में आँसू ले आते हो
जैसे पाप धोने को
आया गंगाजल हो--
कवि तुम पागल हो ---?
जीवन की दौड़ में
दौड़ते-भागते लोगों में
जब कोई गिर जाता है
उसे कोई नहीं उठाता है
जीतने वाले के गले में
विजय हार पड़ जाता है
हर देखने वाला
तालियाँ बजाता है
पर-- तुम्हारी आँखों में
गिरा हुआ ही ठहर जाता है --
जैसे कोई बादल हो--
कवि-- तुम पागल हो--?
मेहनत करने वाला
जी-जान लगाता है
किन्तु बेईमान और चोर
आगे निकल जाता है
और बुद्धिजीवी वर्ग
पूरा सम्मान जताता है।
अपने-अपने सम्बन्ध बनाता है
पर तुम्हारी आँखों में
तिरस्कार उतर आता है
जैसे- वो कोई कातिल हो
कवि? तुम पागल हो --
सीधा-सच्चा प्रेमी
प्यार में मिट जाता है
झूठे वादे करने वाला
बाजी ले जाता है
सच्चा प्रेमी आँसू बहाता है
तब किसी को भी कुछ
ग़लत नज़र नहीं आता है
पर--तुम्हारी आँखों में
खून उतर आता है
उनका क्या कर लोगे
जिनका दिल दल-दल हो
कवि तुम पागल हो
धर्म और नैतिकता की
बड़ी-बड़ी बातें करने वाला
धर्म को धोखे की दुकान बनाता है
तब चिन्तन शील समाज
सादर शीष नवाता है
सहज़ में ही--
सब कुछ पचा जाता है
और तुम्हारे भीतर
एक उबाल सा आजाता है
लगता है तुमको क्यों
चर्चा ये हर पल हो ?
कवि तुम पागल हो --?
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19 कविताप्रेमियों का कहना है :
shobha jee bahut khoobsoorat kavita hai.... kya baat kahi hai.....
wah wah.. is ki jitni taarf kee jai kammm hai...
bhagwan tume lakho is se achhi poem likhne ki prerna de....
congrates.
Shailesh
वाह शोभा जी ,सही कवि दिल सच में बहुत भावुक होता है ,अपनी पीड़ा के साथ साथ दूसरो का दर्द भी बखूबी उसकी कलम से निकल आता है,.... बहुत सुंदर भावों में आपने इस कविता को ढाला है ...बधाई आपको सुंदर रचना के लिए !!
और तुम---?
आँखों में आँसू ले आते हो
जैसे पाप धोने को
आया गंगाजल हो--
कवि तुम पागल हो ---?
बहुत खूब शोभा जी
शोभा जी,
बहुत सुन्दर भाव भरी कविता लिखी है आपने. सिर्फ़ कोमल भाव रखने वाले दिल ही कवि बनते है तभी तो वह सारी दुनिया का दर्द शव्दों में ढाल पाते हैं
बधाई.
शोभा जी!
धर्म और नैतिकता की
बड़ी-बड़ी बातें करने वाला
धर्म को धोखे की दुकान बनाता है
तब चिन्तन शील समाज
सादर शीष नवाता है
सहज़ में ही--
सब कुछ पचा जाता है
और तुम्हारे भीतर
एक उबाल सा आजाता है
लगता है तुमको क्यों
चर्चा ये हर पल हो ?
कवि तुम पागल हो --?
रचना की मारक पंक्तियां.मेरे प्रिय बिन्दु पर दृष्टिपात करने के लिये धन्यवाद
शोभा जी, अपनापन सा लगा कविता में :)
शोभा जी दिन-ब-दिन आप की कलम जादू चला रही है. हिला हर रख देने वाला रचना दी है इस बार आपने
भूखे नंगे से
समझदार का बचना
और तेरी आँख नम....
...जबरदस्त रचना
गिरते को देख
उसी का ठहरना
और चारो तरफ
तालियों का बजना....
... कमाल की रचना
मेहनत और जी जान
मेडल पाये बेइमान
देख दिल मैन कसकना
... गजब की रचना
झूठे वादे, धर्म-धोखे
का आसानी से पचना
क.क..क्या कहूँ आपकी रचना
धन्यवाद - धन्यवाद
बधाई हो बधाई हो..
हमरा सौभाग्य है
जो आप यहाँ आयी हो..
अच्छा व्यंग्य है।
महोदया !!
रचना की हरेक पंक्ति में कसाव है. हृदय को झंकृत करने वाली इस रचना हेतु साधुवाद.
जीवन की दौड़ में
दौड़ते-भागते लोगों में
जब कोई गिर जाता है
उसे कोई नहीं उठाता है
जीतने वाले के गले में
विजय हार पड़ जाता है
हर देखने वाला
तालियाँ बजाता है
पर-- तुम्हारी आँखों में
गिरा हुआ ही ठहर जाता है --
जैसे कोई बादल हो--
कवि-- तुम पागल हो--?
"सड़क पर जाते हुए जब
भूखा नंगा दिख जाता है
हर समझदार आदमी
बचकर निकल जाता है
किसी के चेहरे पर भी
कोई भाव नहीं आता है
और तुम---?
आँखों में आँसू ले आते हो
जैसे पाप धोने को
आया गंगाजल हो--
कवि तुम पागल हो ---?"
बहुत बढिया कविता है,,,,,एकदम अलहदा.....मुझे अच्छा लगा....आपकी पिछली कविताओं से बेहतर लगी....
भाषा सम्मेलन में क्या-क्या किया....आपकी रचना उनकी किताब में छापने के लिए बधाई
निखिल आनंद गिरि
आँखों में आँसू ले आते हो
जैसे पाप धोने को
आया गंगाजल हो
कवि तुम पागल हो.....
बहुत खूब शोभा जी....
सुनीता यादव
आँखों में आँसू ले आते हो
जैसे पाप धोने को
आया गंगाजल हो--
कवि तुम पागल हो ---?
पर-- तुम्हारी आँखों में
गिरा हुआ ही ठहर जाता है --
जैसे कोई बादल हो--
कवि-- तुम पागल हो--?
उनका क्या कर लोगे
जिनका दिल दल-दल हो
कवि तुम पागल हो
एक उबाल सा आजाता है
लगता है तुमको क्यों
चर्चा ये हर पल हो ?
कवि तुम पागल हो --?
शोभा जी कवि के पागलपन को बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत करती आपकी रचना बधाई की पात्र है।
*** राजीव रंजन प्रसाद
sahi kaha aapne kavi sahi me pagal hota hai....aacha likha hai
मतलबी..मौकापरस्त तबके को तमाचा मारता करारा व्यंग्य ...
यूँ ही आईना दिखाती रहें....
कुछ तो बदलेगा...
कभी तो बदलेगा...
उम्मीद पे दुनिया कायम है ...
संतुलित,भावपूरण , सफल कविता --बहुत उत्तम----बधाई हो!
शोभा जी
कवि पागल ही होते हैं. होश वाले होते तो ये दुनिया रहने लायक नहीं रहती. बहुत सुंदर रचना. मेरी बधाई स्वीकार करें.
नीरज
जैसे पाप धोने को
आया गंगाजल हो--
कवि तुम पागल हो ---?
जैसे कोई बादल हो--
कवि-- तुम पागल हो--?
जैसे- वो कोई कातिल हो
कवि? तुम पागल हो --
जिनका दिल दल-दल हो
कवि तुम पागल हो
चर्चा ये हर पल हो ?
कवि तुम पागल हो --?
शब्द, लय, भाव सब कुछ उम्दा है। पढकर महसूस हुआ कि कितना पागल हूँ मैं :)वैसे बड़ी हीं गूढ बात कही है आपने।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
आप बडो का आशीर्वाद रहा तो हम ओर अच्छा लिखने की कोशिश करेंगे
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