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Monday, November 26, 2007

हाथ उसकी तरफ जरा कीजे


गुफ्तगू इस से भी करा कीजे
दोस्त है दिल न यूं डरा कीजे

बात दिल की कहा करो सबसे
आप घुटघुट के ना मरा कीजे

जब सुकूंसा कभी लगे दिल में
तब दबी चोट को हरा कीजे

याद आना है खूब आओ मगर
मेरी आंखों से मत झरा कीजे

तेरा इन्साफ बस सजायें ही
खोटे को भी कभी खरा कीजे

वो न थामेगा है यकीं फिर भी
हाथ उसकी तरफ जरा कीजे

वो है खुशबू ना बांधिए नीरज
उसको साँसों में बस भरा कीजे

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13 कविताप्रेमियों का कहना है :

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

नीरज जी,
गज़ल पढी है उर तब से ही गुनगुना रहा हूँ "गुफ्तगू इस से भी करा कीजे"।

जब सुकूंसा कभी लगे दिल में
तब दबी चोट को हरा कीजे

वो न थामेगा है यकीं फिर भी
हाथ उसकी तरफ जरा कीजे

बेहतरीन गज़ल। बधाई।

*** राजीव रंजन प्रसाद

रंजू भाटिया का कहना है कि -

वाह !!नीरज जी बहुत अच्छी लगी आपकी यह गजल .यह शेर विशेष रूप से पसंद आए

याद आना है खूब आओ मगर
मेरी आंखों से मत झरा कीजे

वो न थामेगा है यकीं फिर भी
हाथ उसकी तरफ जरा कीजे


बधाई आपको नीरज जी !!

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

वो है खुशबू ना बांधिए नीरज
उसको साँसों में बस भरा कीजे
बहुत खूब
अवनीश तिवारी

Mohinder56 का कहना है कि -

नीरज जी,

छोटे बहर की कमाल गजल निकली
ये कमाल यूंही आप बार बार कीजे

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

वाह नीरज जी वाह,

खूबसूरत गजल, गज के जैसी बात जल कि तरह समा गयी दिल तक..

पारुल "पुखराज" का कहना है कि -

याद आना है खूब आओ मगर
मेरी आंखों से मत झरा कीजे

bahut khuubsurat baat...badhaayi

Nikhil का कहना है कि -

जब सुकूंसा कभी लगे दिल में
तब दबी चोट को हरा कीजे

याद आना है खूब आओ मगर
मेरी आंखों से मत झरा कीजे

वाह.....क्या कहने...बात कोई नई नही है मगर शैली भा गई....मज़ा आ गया....आप युग्म के सबसे अच्छी ग़ज़लों के रचयिता हैं....
निखिल

Anonymous का कहना है कि -

बेहतर

Avanish Gautam का कहना है कि -

बढिया है नीरज जी

विश्व दीपक का कहना है कि -

जब सुकूंसा कभी लगे दिल में
तब दबी चोट को हरा कीजे

याद आना है खूब आओ मगर
मेरी आंखों से मत झरा कीजे

वो न थामेगा है यकीं फिर भी
हाथ उसकी तरफ जरा कीजे

उम्दा गज़ल है नीरज जी। आप तो इस क्षेत्र में अपनी स्वामित्व स्थापित करके हीं मानेंगे, ऎसा महसूस होता है।
बधाई स्वीकारें।

-विश्व दीपक 'तन्हा'

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

मीटर-शास्त्र पर खरी उतरती आपकी यह ग़ज़ल नये तेवरों के अभाव में कम प्रभावित करती है। वैसे आज मैं आपसे अनुरोध करूँगा कि यदि आप ग़ज़लों को गा सकते हैं तो उन्हें रिकार्ड करके हिन्द-युग्म के आवाज़ सेक्सन में प्रकाशित करें।

Anonymous का कहना है कि -

नीरज जी मजा आ गया.
बधाई हो
अलोक संघ "साहील"

barbad dehalavi का कहना है कि -

याद आना है खूब आओ मगर
मेरी आंखों से मत झरा कीजे
aapki gazal roopi maila ka sase khobsoorat moti hai ye sher
bahut hi umda gazal hai neeraj ji wah

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