सर्दियाँ गुनगुनाने लगी हैं और ऐसे में रजाईप्रिय होना स्वाभाविक था, लेकिन हिन्द-युग्म के सदस्यों के शनिवार पर शनि महाराज विराजमान थे इसीलिये राजीव रंजन प्रसाद जी के निवास पर 24.11.2007 की प्रस्तावित बैठक में सुबह के दस बजते-बजते जमावड़ा आरंभ हो गया। तनकीक की बीमारी ने हिन्द-युग्म के दूरस्थ सदस्यों का पीछा नहीं छोडा और कई सदस्य कम्प्यूटर महाराज से चिपक कर मीटिंग में उपस्थित हुए।
[हिन्द-युग्म के बैनर तले]
सबसे पहले आने वाले सदस्यों में भूपेन्द्र राघव थे तो चंडीगढ से श्रीकांत मिश्र ‘कांत’ जी का और पुणे से सूरज प्रकाश जी का सम्मिलित होना युग्म के बैठक की गरिमा को बढ़ाने वाला था। बैंगलोर से आलोक शंकर, आगरा से विपिन चौहान “मन”, औरंगाबाद से सुनीता यादव, लखनऊ से गौरव शुक्ला, रूडकी से गौरव सोलंकी, इंदौर से विपुल शुक्ला, पुणे से अनुपमा चौहान, भीलवाड़ा से अनुराधा जी, दिल्ली से सुनीता (शानू) जी, नागौर से गिरिराज जोशी आदि ने सक्रिय रूप से ऑनलाइन शिरकत कर इस बैठक को न केवल अपने मूल्यवान विचारों से सफल बनाया अपितु युग्म द्वारा पहली बार प्रयोग के तौर पर आरंभ किये गये इस प्रयास की सफलता निर्धारित भी की। ऑनलाइन बैठक का संचालन सजीव सारथी जी ने किया। सदस्य चैट, वायस चैट और कैम के माध्यम से मीटिंग से जुड सकें ऐसी व्यवस्था की गयी थी।
[सजीव सारथी कम्प्यूटर के साथ]
बैठक में सम्मिलित सदस्यों और बैठक की तस्वीरें बयाँ कर रही हैं कि चर्चा विमर्श और निर्णयों के लिये हिन्द-युग्म जैसे लोकतांत्रिक मंच में कितनी कश्मकश होती है। बैठक में हिन्द-युग्म की वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाओं पर गहरा विमर्श हुआ। हिन्द-युग्म की प्रस्तावित पुस्तक और एलबम पर भी चर्चा हुई तथा फरवरी में पुस्तक मेले में लगने वाले स्टाल पर की जाने वाली गतिविधियों की रूप रेखा बनायी गयी। यह भी हर्ष का विषय रहा कि मोहिन्दर जी के प्रयासों से हिन्द-युग्म का एक गैर सरकारी संस्था बनने का कार्य अंतिम चरणों में है।
[बायें से दायें- सूरज प्रकाश, श्रीकांत मिश्र 'कांत', राजीव रंजन प्रसाद, अंशुल गर्ग, सीमा कुमार]
भोजन के पश्चात का सत्र पूर्णत: कहानी को समर्पित था। वरिष्ठ कहानीकार सूरजप्रकाश जी के सान्निध्य का लाभ हिन्द-युग्म को मिला। कहानी पर एक लघु कार्यशाला तथा सूरज प्रकाश जी द्वारा अपनी कहानी का वाचन सभी सदस्यों के लिये अविस्मरणीय अनुभव रहा। सूरज प्रकाश जी ने युग्म के सभी सदस्यों को अपने द्वारा संपादित पुस्तक “कथा दशक” की एक प्रति भेट की जिसमें 1995 से 2004 के दौरान इंदु शर्मा कथा सम्मान प्राप्त रचनाकारों की कहानियाँ प्रकाशित हैं। यह भी हर्ष का विषय था कि कथा-यूके (यूनाईटेड किंगडम में बसे दक्षिण एशियाई लेखको का समूह) द्वारा हिन्द-युग्म को 1000/- रुपये की सहयोग राशि प्रदान की गयी। हमारे प्रयासों को समर्थन देने के लिये हिन्द युग्म कथा (यू-के) का आभारी है।
[सूरज प्रकाश, श्रीकांत मिश्र 'कांत' और राजीव रंजन प्रसाद कथा दशक (कहानी संग्रह), कथा यूके (विवरणिका), देश वीराना (उपन्यास) की ऑडियो सीडी]
कहानी कार्यशाला पर विस्तृत रिपोर्ट शीघ्र ही कहानी कलश पर प्रकाशित की जायेगी।
बैठक में सूरज प्रकाश, रंजना भाटिया, शोभा महेन्द्रू, सीमा कुमार, मोहिन्दर कुमार, निखिल आनंद गिरि, शैलेश भारतवासी, अजय यादव, मनुज मेहता, सजीव सारथी, श्रीकांत मिश्र 'कांत', राजीव रंजन प्रसाद, भूपेन्द्र राघव, अभिषेक पाटनी आदि उपस्थित थे।
[ निखिल आनंद गिरि (विडियोग्राफी करते हुए), अजय यादव (तस्वीर खींचते हुए), अभिषेक पाटनी, शोभा महेन्द्रू, रंजना भाटिया, मोहिन्दर कुमार) ]
कुछ और तस्वीरें--
[ युवा फ़ोटोग्राफ़र व पत्रकार मनुज मेहता ]
[ बायें से दायें- श्रीकांत मिश्र 'कांत', राजीव रंजन प्रसाद, अंशुल गर्ग (राजीव जी के पड़ौसी), सीमा कुमार (अपनी बेटी तेजल के साथ), अभिषेक पाटनी, अजय यादव, निखिल आनंद गिरि व मोहिन्दर कुमार ]
[ बायें से दायें- शोभा महेन्द्रू, रंजना भाटिया व मोहिन्दर कुमार ]
[ बायें से दायें- भूपेन्द्र राघव, श्रीकांत मिश्र कांत, राजीव रंजन प्रसाद व अजय यादव ]
[ बायें से दायें- निखिल आनंद गिरि एवम् शैलेश भारतवासी ]
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12 कविताप्रेमियों का कहना है :
मींटिग में शरीक न हो पाने का मलाल अब नहीं है । आपके छायाचित्रों ने कसर पूरी कर दी। साथ ही सजीव जी ने जिन मुख्य बिन्दूऒं को अपनी मेल में बताया है उनसे सहमत हूँ।
इस naye prayaas aur prayog ke safal hone par badhaayee.
Avaneesh
मनुज मेहता जी इस विवरण में छूट गये हैं। उनकी उपस्थिति व फोटोग्राफ्स युग्म के लिये महत्वपूर्ण रहे।
*** राजीव रंजन प्रसाद
मैं सोच रहा था बड़े दिनों से बैठक नहीं हुई। और ये खबर आ गई। युग्म जो भी कदम उठाता है वो सराहनीय हैं और भविष्य के लिये अच्छा संकेत है। युग्म गैर सरकारी संस्था बनने जा रहा है, ये पढ़कर बहुत अच्छा लग रहा है।
बैठक में तकनीक का प्रयोग बढ़िया ढंग से किया गया।
अब कहानी की कार्यशाला में क्या हुआ ये जल्दी पढ़ने की इच्छा हो रही है। युग्म के आगे बढ़ने में हमारी तरफ से जो कुछ हो सके बताइयेगा।
--तपन शर्मा
Rajeev ji ka dhanyawad. Agli bathak mein li gayi tasveeron mein sambhvath main dikhoon.
मित्र मनुज जी !
आपके कई अच्छे फोटो के साथ आप एवं सभी अन्य मित्रों के क्लोजअप पोट्रेट्स मैं अभी राजीव जी को ई मेल कर रहा हूं। मैं चाहता हूं जरा इस ३० वर्ष पुराने लेंस कर्मी की कैजुअल एप्रोच पर भी सारे मित्र नजर डाल सकें. निखिल आपकी रिकार्डेड की विडिओ अभी एक दो दिन बाद ही आ पायेगी अभी डाउनलोड नहीं की है. अरे ! हां यहां मैं नहीं हूं अतः हिसाब बराबर हुआ ना मनुज जी ! सभी मित्रों का हार्दिक धन्यवाद
काश मैं आप लोगों के बीच हो पाता। श्रद्धेय श्री सूरज जी से मुलाकात तो हो जाती साथ ही उनका आशीर्वाद मिल जाता।
हिन्द-युग्म अब गैर सरकारी संस्था बनने जा रही है, यह तो और भी खुसी की बात है। बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएँ।
--कुमुद अधिकारी, इटहरी, नेपाल।
मनुज जी, अब तो आपकी भी तस्वीर आ गई। अब तो खुश! क्या करेंगे खाना बनाने वाला सबसे अंत में खाता है।
हिन्द-युग्म जिस दिशा में आगे बढ़ रहा है, वो अनुकरणीय है। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे सभी साथी पूरी ऊर्जा के साथ इस अभियान में जुटे रहेंगे।
तस्वीरें देखकर मुझे लगा, काश कि मैं भी सब लोगों के साथ होता।
मेरी कोशिश रहेगी कि आगे की मीटिंग में रहूँ।
मैं समझता हूँ कि युग्म का गैर सरकारी संस्था के रुप में रजिस्ट्रेशन एक मील का पत्थर साबित होगा।
इससे युग्म की विश्वस्नीयता में निश्चित रूप से बढ़ोत्तरी होगी।
अभी तक जिनको पढ़ा मात्र था अब देख भी लिया है तो लगता है की अपरिचय की दीवार भरभरा कर गिर गयी है.कभी ये लोग रूबरू मिले तो पहचान ने में असुविधा नहीं होगी. ऐसी बैठकें थोड़े थोड़े अंतराल पर होती रहनी चाहियें. विचारों के सतत आदान प्रदान से हिन्दयुग्म और अधिक प्रभावशाली रूप में आएगा ऐसी मेरी मान्यता है. अगर अगली मीटिंग मुम्बई में रखने का विचार हो तो सब महानुभाव मेरे घर निमंत्रित हैं.
नीरज
मेरे जन्म दिवस पर अच्छा आयोजन था, धन्यवाद। :)
सफल कार्यक्रम के लिये बधाई स्वीकारें।
मीटिंग में शामिल न होने का मुझे बड़ा हीं दु:ख है। खैर मीटिंग के मिनट्स पढकर न होने की कमी दूर हो गई।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
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