मत तस्सवुर में लाया कर सनम तू ख़्वाब मेरा
किसी ख़्याल से जल ही ना जाए कहीं बदन तेरा
रहूं तेरे दिल की धड़कनो मे बस यही काफ़ी है
पर तेरी ज़ुबान पर ना आए कभी नाम भी मेरा
जलाये रखना नज़रों में खुशी के दीप चमकीले
न छलकने पाए अश्कों में कहीं यह गम घनेरा
आने लगे जो हिचकियाँ कभी तुझको बैठे बैठे
सोच लेना कि मेरी यादों में है तेरा बसेरा
सपने टूट के बिखरे हैं और बिखरते ही रहेंगे
बस नाम का ही है मोहब्बत का जाम सुनहरा
गर बनने लगे कोई तस्वीर प्यार की तेरे दिल में
लफ्जों में ढाल लेना फिर से नवगीत कोई सुरीला!!
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19 कविताप्रेमियों का कहना है :
पढ़ कर दिल बाग बाग हो गया रंजू जी
गर बनने लगे कोई तस्वीर प्यार की तेरे दिल में
लफ्जों में ढाल लेना फिर से नवगीत कोई सुरीला!! --- सच कहा है ... दिल की बात को शब्दों में ढाल कर सुरीला गीत प्यार के ख्याल को और पुख्ता कर देता है.
एक्स्सल्लेंट !!!!
बहुत सुंदर बना है.
अवनीश तिवारी
aachi soft kavita hai.....aacha laga padhkar
"आने लगे जो हिचकियाँ कभी तुझको बैठे बैठे
सोच लेना कि मेरी यादों में है तेरा बसेरा" आपकी ये पंक्तिया वाकई दिल को छू गईं। और 21वीं सदी में मुझको तो "हिचकिया" सुनाई पडनी ही बंद हो गई हैं।
रंजना जी,
सुन्दर रचना बन पडी है
सपने टूट के बिखरे हैं और बिखरते ही रहेंगे
बस नाम का ही है मोहब्बत का जाम सुनहरा
गर बनने लगे कोई तस्वीर प्यार की तेरे दिल में
लफ्जों में ढाल लेना फिर से नवगीत कोई सुरीला!!
बधाई
हमसे पहले कह चुके पूरे पाठक पांच,
फिर काहे को हम करें इस कविता की जांच
इस कविता की जांच, पता है हारेंगे हम.
इसी हार में अपना सर्वस वारेंगे हम..
रंजू जी की हर कविता नहले पर दहले.
पूरे पाठक पांच कह चुके हमसे पहले..
wow, really great ranjoo ji enjoyed a lot, i feel you have penned the hidden feelings of love beautifully.
रंजना जी !
सपने टूट के बिखरे हैं और बिखरते ही रहेंगे
बस नाम का ही है मोहब्बत का जाम सुनहरा
गर बनने लगे कोई तस्वीर प्यार की तेरे दिल में
लफ्जों में ढाल लेना फिर से नवगीत कोई सुरीला
पहले चली आ रही लय का भंग, एक भाव पूर्ण अभिव्यक्ति की भी 'वाट' लगा सकता है कृपया ध्यान दें
शुभकामनायें
मत तस्सवुर में लाया कर सनम तू ख़्वाब मेरा
किसी ख़्याल से जल ही ना जाए कहीं बदन तेरा
वाह रंजू जी क्या बात है, लाजावाब
बहुत सुंदर!!
रंजना जी
अच्छी गज़ल लिखी है ।
रंजू जी!!!
हर बार कि तरह इसबार भी आपने बहुत बढिया लिखा है....बहुत अच्छी लगी...
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मत तस्सवुर में लाया कर सनम तू ख़्वाब मेरा
किसी ख़्याल से जल ही ना जाए कहीं बदन तेरा
गर बनने लगे कोई तस्वीर प्यार की तेरे दिल में
लफ्जों में ढाल लेना फिर से नवगीत कोई सुरीला!!
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सुंदर, और क्या कहूं ।
सभी ने सब कुछ कह दिया और हम क्या कहेंगे
इस जमाने में आपसा कोई शायर नही कहेंगे।
मैने पहली बार प्रवास वर्णन की (यात्रा ए हवाई)
कोशिश की है आपके विचार और सुझाव अपेक्षित हैं ।
आने लगे जो हिचकियाँ कभी तुझको बैठे बैठे
सोच लेना कि मेरी यादों में है तेरा बसेरा
बहुत खूब रंजू जी। इस कविता से प्रेम नगरी में फिर से आपकी वापसी हो गई है। अच्छा लगा। डरिये मत... इस बार कोई शिकायत नहीं है :)
बधाई स्वीकारें-
विश्व दीपक 'तन्हा'
अगर मै इस कविता का सार देखु .. तो बहुत ही सरल भाषा का प्रयोग कर के अपनी बात कहने की कोशिश की गयी है .. और छोटे छोटे पहलुओ को ध्यान मै रख कर बनायीं गयी है ..कविता का तारतम्य .. बेहद खूबसूरत है .. ऐसा लगता है की आप की हिंदी की काव्य विधा को फिर से नयी उचैयाँ दिलाने की कोशिश फिर से रंग लाने वाली है ..
क्यों की ऐसे कविता देख कर कई लोग प्रेरित होंगे ...
अतः सारे हिंदी जगत को आपका शुक्रिया कहना चाहिए ..
मै अगर आपकी ही भाषा मै कहू तो ऐसा कहूँगा
"सपने गर सच करने हों, तो याद रख ले
(इ) जाद कर ले , काम करने का नया कोई सलीका .
bahut khub ranjana ji.
Ek bar fir se apki kalam ko salam.
इतना सबकुछ शुरूआत से ठीक-ठीक लय में चल रहा था, आपने अंतिम शे'र में पूरा सम-स्वरांत समाप्त कर दिया। थोड़ी देर और दिमाग लगातीं तो कोई शब्द सूझ ही जाता।
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