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Friday, November 09, 2007

दीवाली की रात




सच की जीत,
इन्साफ की फतह,
हर आँगन में,
नूर की कतार,
ये रात, रोशनी का पैगाम लेकर आयी है,

दोस्ती का शगुन,
प्यार की वजह,
मन के अँधेरे भी,
आज दो उतार,
ये रात, रोशनी का पैगाम लेकर आयी है,

आओ अँधेरे मिटाएं,
सूनी-सूनी किन्हीं आँखों में,
सपने जलायें,
ये दीवाली यूं मनाएं -
हँसी की फुल्झड़ियाँ,
ख़ुशी की लड़ियाँ पिरोयें,
घर घर में बांटे,
उम्मीदों की बर्फी,
उमंगों से गलियों को जगमगायें,
जिन्दगी की शम्मा,
जहाँ बुझ रही है,
चिरागों का कारवाँ,
आओ वहाँ ले के जाएँ ।

सभी साथियों को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं, आप सब अपने परिवार के साथ इस दीपोत्सव का भरपूर आनंद लें, जाते जाते एक शेर अर्ज है -



वो जल उठा,सरे-शाम ही चिरागे-हयात बनकर,

अंधेरो को मेरे घर की कभी टोह न मिली॥



शुभ दीपावली


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8 कविताप्रेमियों का कहना है :

शोभा का कहना है कि -

वाह सजीव जी
बहुत सुन्दर । दीपावली की आपको भी सपरिवार शुभकामनाएँ ।

परमजीत सिहँ बाली का कहना है कि -

बहुत बढिया रचना है।बधाई।

दीवाली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ।

"राज" का कहना है कि -

सजीव जी ,
सही मौके पर बिलकुल सही रचना की है आपने ...हर पंक्ति ख़ूबसूरत और सटीक है....
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सच की जीत,
इन्साफ की फतह,

आओ अँधेरे मिटाएं,
सूनी सूनी किन्ही आँखों में,
सपने जलायें,

उमंगों से गलियों को जगमगायें,

जिन्दगी की शम्मा,
जहाँ बुझ रही है,
चिरागों का कारवाँ,
आओ वहाँ ले के जाएँ ।
*************************
बधाई हो!!!

Sunny Chanchlani का कहना है कि -

''दशरथ के राम भये
राधिका के घनश्याम भये
दिन दशहरा, दीवाली हर शाम भये
खुशियों भरी आपकी उम्र तमाम रहे''

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

सजीव जी,

यही पैगाम हर त्योहार पर देना होगा। याद रखिए।

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

बहुत खूब, सुन्दर..

दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

RAVI KANT का कहना है कि -

आओ अँधेरे मिटाएं,
सूनी-सूनी किन्हीं आँखों में,
सपने जलायें,
ये दीवाली यूं मनाएं -
हँसी की फुल्झड़ियाँ,
ख़ुशी की लड़ियाँ पिरोयें,
घर घर में बांटे,
उम्मीदों की बर्फी,
उमंगों से गलियों को जगमगायें,
जिन्दगी की शम्मा,
जहाँ बुझ रही है,
चिरागों का कारवाँ,
आओ वहाँ ले के जाएँ ।

सजीव जी ऐसी दिवाली का स्वागत है लेकिन साल में सिर्फ़ एक दिन से काम न चलेगा।

विश्व दीपक का कहना है कि -

नूर की कतार,

मन के अँधेरे भी,
आज दो उतार,

घर घर में बांटे,
उम्मीदों की बर्फी,

चिरागों का कारवाँ,

सजीव जी,
देर से हीं सही दिवाली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ। आपने इस अवसर पर हमें इस कविता के रूप में जो तोहफा दिया है, उसके लिए हम आपको तहे-दिल से शुक्रिया अदा करते हैं।

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