हिन्द-युग्म शुरू से ही हर ज़गह अपनी उपस्थिति दर्ज़ करता रहा है। आज की शाम हिन्द-युग्म के पास एक और मौका आया जब हमारे तीन कवियों ने दिल्ली हाट में आयोजित 'MTNL Perfect Health Mela 2007' (अशोक चक्रधर के अखाड़े में नव हास्यकवियों की कुश्ती) में सम्मिलित होकर इसे हिन्द-युग्म मय कर दिया।
श्रीमती सुनीता चोटिया और निखिल आनंद गिरि ने सम्मिलित रूप से तीसरे स्थान का पुरस्कार प्राप्त किया।
इन्हें पुरस्कार स्वरूप रु ३००० का नक़द ईनाम (रु १५०० प्रति कवि), शील्ड व प्रशस्ति पत्र भेंट किए गये।
श्रीमती रंजना भाटिया पिछले ३-४ दिनों से अस्वस्थ थीं। ज़ुकाम से गला खराब था, फ़िर भी इन्होंने पूरी ऊर्जा से इस मेले में शिरकत की और सभी जजों का ध्यान आकृष्ट किया।
इस अखाड़े के लिए पिछले १५ दिनों से अशोक जी के दफ़्तर में कवियों का उनकी कविता के साथ पंजीकरण हो रहा था। कई १०० कवियों की प्रविष्टियों में से १८ कवियों को इस अखाड़े में सीधी टक्कर के लिए चुना गया। और हिन्द-युग्म के लिए यह बहुत गौरव की बात है कि इन १८ में से ४ हिन्द-युग्म के कवि थे। कुछ व्यक्तिगत कारणों से हिन्द-युग्म के चौथे कवि भूपेन्द्र राघव भाग न ले सके।
सभी कवियों को ८ नं॰ के जूते और प्रशस्ति पत्र भेंट किए गये।
जजों में ओमप्रकाश आदित्य, दीपक गुप्ता, अशोक चक्रधर, पवन दीक्षित आदि प्रमुख थे।
कवियों को एक-एक करके मंच पर बुलाया जा रहा था और उन्हें एक मिनट का समय अपना परिचय पढ़ने के लिए दिया जा रहा था। आयोजकों का उद्देश्य था कि कवि अपना परिचय भी इस अंदाज़ में दें कि जनता हँस सके।
सुनीता चोटिया ने अपने ख़ास अंदाज़ में अपने परिचय से पहले निम्न पंक्तियाँ सुनाकर तालियाँ बटोरीं।
हास्य की दुनियाँ भी अजब निराली है...
सौदा करते है ताज़ खरीदने का जेब चाहे खाली है..
निखिल जी ने अपने परिचय की शुरूआत अपने बिहारी अंदाज़ में की-
"सभी मित्रों को मेरा परनाम और जोहार (झारखण्ड में 'नमस्ते' जोहार से करते हैं), पढ़ा-लिखा झारखण्ड से, और हमरा घर है बिहार।
अब यहाँ स्टॉफ चलाकर आ गया हूँ तो आपलोगों को मुझे झेलना ही होगा। क्योंकि अशोक चक्रधर साहब कहते हैं कि मेरी आवाज़ बहुत अच्छी है। कल चक्रधर साहब ने कहा कि यार १ नवम्बर को ऐश्वर्या राय का बर्थडे था, मैंने फ़ोन किया था तुमने किया क्या?
तो मैंने कहा कि हाँ, मैंने भी किया था मगर मैंने जैसे ही बोला कि "ऐश्वर्या जी जन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ" (अमिताभ की आवाज़ में), ऐश्वर्या जी शरमा गईं और बोलीं- "स॰॰सूर जी पाई लागूँ"
फ़िर अपनी-अपनी हास्य कविता सुनानी थी।
सुनीता जी ने 'प्रेम प्रमाण पत्र' पढ़ी। निखिल जी ने एक व्यंग्य कविता पढ़ी जिसे आप आने वाले रविवार को हिन्द-युग्म पर पढ़ भी सकेंगे।
रंजना जी ने आजकल के टीवी धारावाहिकों में माँ के बदलते रूपों पर व्यंग्य किया।
पहले राऊंड के बाद कुल ६ कवि बच गये जिसमें निखिल सबसे युवा थे।
उसके बाद एक विषय दिया गया, जिसपर कवियों को तुरंत लिखकर सुनाना था (सबकुछ हास्य)। विषय था 'बीमारी' । अशोक जी ने कहा कि बीमारी कोई भी हो सकती है॰॰॰॰॰प्रेम रोग, हृदय रोग, नोटरोग इत्यादि।
निखिल जी ने 'नौकरशाही' को बीमारी माना और यह रच डाला-
२२ की उम्र में ही हमें बीमारी लग गई
एक पैरवी से नौकरी सरकारी लग गई।
बाप ने भी जिसके न देखी थी साइकल
महिमा हुई जो रिश्वत की, 'फरारी' लग गई।।
कल तक जो इस कलूटे को मिलती न थी कोई
ससूरों की भीड़ घर पर मेरे भारी लग गई।
जिस ओर घर में माँ मेरी करती थी अर्चना
उस ओर मेरी बीबी की आलमारी लग गई।।
सुनीता जी बिलकुल नई बीमारी बता गईं, जोकि मुन्ना भाई MBBS ने दे रखी है 'जादू की झप्पी'
बड़ा झप्पीमार दिलबर हो उसे तुम बाँध कर रखना...
गलियों मे मौहल्ले में, उस पर आँख तुम रखना...
तुम उसकी गर्दन पकड़ रखना जरा ऐसे...
कि खुद ही मार कर झप्पी, उसे संभाल कर रखना...
रंजना जी ने अपने 'गले की बीमारी' को ही निशाना बना डाला
रोग पर कविता लिखने के लिए जब हमने
दिल और दिमाग की घंटी बजाई
प्रेम रोग के रोगी को बस प्रेम दिया दिखायी
पर तभी गले के दर्द और ठंड की कंपकंपी ने
हमको दी दुहाई ..
सोचा कि इस से अच्छा मौका और कहाँ हम पायेंगे
ईनाम चाहे मिले न मिले एक लाभ ज़रूर ले आयेंगे
स्वस्थ मेला है आए हैं कई डाक्टर
मुफ्त सलाह और मुफ्त दवा तो पा जायेंगे
हिन्द-युग्म परिवार की ओर से चारों को बधाइयाँ।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
38 कविताप्रेमियों का कहना है :
बधाई जीरने वालों को और भाग लेने वालों को ।
और आपको धन्यवाद यह हमें बताने को ।
पेरॉडीज अचछी लगीं ।
जीतने
सुनीता जी, निखिल जी, रंजना जी, भूपेंद्र जी, आप सभी को ढेरों बधाइयाँ। हिंदयुग्म पर तो आज से ही दिवाली समझिये अब तो। दिल खुश कर दिया इस खबर ने।
आप दोनों को मेरी तरफ से ढरों बधाई, यह सुनकर बडा अच्छा लगा कि हिन्द-युग्म का प्रकाश भारत के तमाम मन्चों तक फैल रहा है ।
तीनों को बहुत बहुत हार्दिक बधाई.
८ नं॰ के जूते और प्रशस्ति पत्र
यह बात तो हुई मज़ेदार।
देर रात सुनीता का sms आया था, पर पढने का मौका सुबा ही मिल पाया और पढ़कर दिल खुश हो गया, और उससे भी ज्यादा खुशी हुई निखिल और रंजना जी के भी प्रतिभागी होने और जीतने की ख़बर सुनकर.... सचमुच ये युग्म के लिए गौरव की बात है, यकीनन राघव जी होते तो वो भी कमाल ही दिखाते, युग्म मी हीरों की कमी तो नही.....आप सब को ढेरों बधाइयाँ
सुनीता जी, निखिल जी, , रंजना जी और भूपेन्द्र जी , सब को हार्दिक बधाई। युग्म के लिए यह बड़ा हीं सुनहरा दिन है। युग्म की प्रगति में यह मील का पत्थर साबित होगा।
-विश्व दीपक
बधाई
सभी मित्रों को इतने सम्माननीय जूते मिलने की युग्म परिवार अब इसी प्रकार मंचीय जूतो की बौछार प्राप्त कर सके यही शुभकामना
सुनीता जी, निखिल जी, रंजना जी और भूपेन्द्र जी
आप सभी नें हिन्द-युग्म को गौरवांवित किया है। इस उपलब्धि के लिये हार्दिक बधाई।
*** राजीव रंजन प्रसाद
तीनों को हार्दिक बधाई.
वाह भई इतने लोगो ने हमे बधाई दे दी मगर यह नही पूछा हम तीसरा ही नम्बर क्यों लाये भैया...जरा आप भी देख ले...
बधाई देने का बहुत-बहुत शुक्रिया सभी को...
http://shanoospoem.blogspot.com
सुनीता(शानू)
बधाई सभी को, रचनाएं अच्छी लगी!!
शुभकामनाएं
bahut aacha program laga aap logo ka .bas isi tarah aap log aage badte rahiye................bahut achha laga mughe............masahallah..........it is realy fantastic...
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बधाई हो
सुनीता दी', निखिल जी, रंजना दी' और भूपेंद्र जी,
आप सभी को भाव भरी बधाई ।
८ नम्बर के जूते ॰॰॰भई वाह ।
जहाँ आदित्य जी और चक्रधर साहब जज हो वहाँ तो दूजों को "जूते" ही मिलेंगें ।
पुनः बधाई ।
आर्यमनु, उदयपुर ।
सुनीता जी, निखिल जी, रंजना जी, भूपेंद्र जी, आप सभी को ढेरों बधाइयाँ।
वैसे इनाम के तौर पर जुते वाली बात समझ मे नही आयी, इस तरह का पहला इनाम सुन रही हूँ :P
सुनीता जी,रंजना जी तथा प्रिय निखिल
आप तीनों ने हिन्द युग्म का मस्तक ऊँचा किया है । बहुत-बहुत बधाई
सभी को हार्दिक बधाई!
सभी को 'ई-झप्पी' रूपी बधाई, बशर्ते कि बुरा न मानें.
सभी प्रतिभागियों को बधाई एवम पुरुस्कार पाने हेतु डबल डबल बधाई.
हेल्थ मेले में तो 'तगडे' लोग ही जीत सकते है.अत: इन्होने अपनी "ताक़त" भी दिखा दी.
यह भी सिद्ध हुआ कि इन लोगों की ( ज़ाहिर है कि श्रेय हिन्द-युग्म को भी जाता है) कविता भी 'स्वस्थ' है और हिन्दी हास्य का भविष्य "स्वस्थ हाथों" में है
तीनों को बहुत बहुत हार्दिक बधाई|
हिन्द-युग्म का नाम ऊंचा करने के लिये तीनों मित्रो..रंजना जी, सुनीता जी और निखिल जी को बहुत बहुत बधाई.
सुनीता जी,रंजना जी एवं निखिल जी,
आप सभी को बधाई। अपनी उपस्थिति का एहसास दिला पाना ही कवि की उपलब्धि होती है।
सभी को बधाई.
अवनीश
बहुत बहुत बधाइयाँ...
मज़ा आ गया यह ख़बर सुनकर.. सच अब युग्म का प्रकाश सभी जगह फैल रहा है|
बड़ा ही शुभ संकेत है हमारे लिए| निखिल जी, सुनीता जी और रंजना जी को ढेर सारी बधाइयाँ और धन्यवाद भी !
तीनों हिन्द युगम के कवियों को मेरी तरफ़ से बहुत बहुत बधाई, भई, इनाम जीता है कुछ पार्टि वार्टी हो जाए हम दोस्तों के साथ्। तीनों ही रचनाए बहुत बड़िया
वाह ! बधाई इसी तरह हिंद युग्म की उपस्थिति पूरे देश में दर्ज करते रहे .. बधाई
आप चारों ने हिन्द-युग्म का सर ऊँचा किया है। जहाँ गये हैं खाली हाथ नहीं लौटे हैं। सभी की रचनाधर्मिता को नमन। एक ओर जहाँ आपाधापी की ज़िंदगी लोगों को हँसने का अवसर नहीं देती, वहीं आपका यह प्रयास निश्चित रूप से परफैक्ट हैल्थ प्रैक्टिस है।
आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया :)
sabse pahle mai NIKHIL JI,SUNITA JI aur RANJANA JI ko bahut-bahut badhaiyan dena chahunga. unhone apni kavya dakshata hindi ko to sanwara hi hai sath hi sath apne HIND-YUGM pariwar ko bhi unpar fakra karne ka ek mauka de diya hai
bhai sab ko badhaiyan. aap sab log sab ka manoranjan isi prakar karte raheeye.
anubhav.
दूर दूर के दिग्गज देखो
आखिर गये पछाड़े
क्यूकि !
हिन्द युग्म के वाहक पहुचे
हास के अखाडे..
मस्तक ऊँचा किया युग्म का
जाकर झंडे गाढ़े
भैया
हिन्द युग्म के वाहक पहुचे
हास के अखाडे..
सबने जहाँ पर गिंनती बोलीं
हमने पढ़े पहाड़े
मेरे
हिन्द युग्म के वाहक पहुचे
हास के अखाडे..
हौसले की गर्मी हममें
क्या कर सक्ते जाड़े
जी हाँ,
हम चाहें तो वक्त रोक दें
जहाँ हो जायें ठाड़े
मेरे युग्म का मुझे गर्व है
कहता दिन-दहाडे.
मैं,
कहता दिन-दहाडे.
सुनीता जी, निखिल जी व रंजना जी..
बहुत बहुत बधाई
जयपुर से आकर जैसे ही कम्प्यूटर खोला मन प्रफुल्लित हो गया ..
सभी का हार्दिक धन्यवाद....उपलब्धियों की खुशी दोहरी हो जाती है जब घर में जबरदस्त प्रोत्साहन मिले....
भूपेंद्र जी ने तो कमाल की कविता ही रच डाली है....बहुत-बहुत धनयवाद....
सितारों के आगे जहाँ और भी है..
हिन्दयुग्म के इम्तेहां और भी हैं.....
हिन्दी जिन्दाबाद......
निखिल आनंद गिरि
बढ़िया
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