बुजुर्गों का तहे दिल से जो सच में ध्यान रखते हैं
उन्ही के सर पे आके हाथ ख़ुद भगवान रखते हैं
मुहब्बत फूल खुशियाँ और दुआएं पोटली भर के
हम अपने घर में यारों बस यही सामान रखते हैं
यही सच में वजह है तन बदन मेरा महकने की
जलाये दिल में तेरी याद का लोबान रखते हैं
मुहब्बत का सफर होता मुकम्मल उनका ही मानो
जो तीखे दर्द में चहरे पे इक मुस्कान रखते हैं
मिलेगी ही नही थोड़ी जगह दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी जो झूटी शान रखते हैं
उन्ही की बात होती है उन्ही को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी अलग पहचान रखते हैं
गुलाबों से मुहब्बत है जिन्हे उनको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी बहुत अरमान रखते हैं
बहारों के ही बस आशिक़ नहीं ये जान लो नीरज
खिजां के वास्ते भी दिल में हम सम्मान रखते हैं
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
12 कविताप्रेमियों का कहना है :
नीरज जी
अच्छी गज़ल लिखी है आपने । बड़ो के लिए आपके मन में जो भाव है वह काबिले तारीफ़ है । यही भावना सबके
दिलों में रहे यही कामना है । बधाई स्वीकारें ।
मुहब्बत का सफर होता मुकम्मल उनका ही मानो
जो तीखे दर्द में चहरे पे इक मुस्कान रखते हैं
नीरज जी बहुत सुंदर ग़ज़ल लगी आपकी
बधाई
रंजू
नीरज जी,
बिना लाग लपेट की भाषा में बहुत ही सुन्दर रचना। इतनी नपी तुली गज़ल लिखने वाले शायर कम ही हैं हिन्द युग्म पर, आपने अपेक्षायें बढा दी हैं।
मुहब्बत फूल खुशियाँ और दुआएं पोटली भर के
हम अपने घर में यारों बस यही सामान रखते हैं
गुलाबों से मुहब्बत है जिन्हे उनको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी बहुत अरमान रखते हैं
बहुत बधाई आपको।
*** राजीव रंजन प्रसाद
नीरज जी
मुहब्बत का सफर होता मुकम्मल उनका ही मानो
जो तीखे दर्द में चहरे पे इक मुस्कान रखते हैं
उन्ही की बात होती है उन्ही को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी अलग पहचान रखते हैं
बहारों के ही बस आशिक़ नहीं ये जान लो नीरज
खिजां के वास्ते भी दिल में हम सम्मान रखते हैं
बहुत सुन्दर भाव, बहुत सुन्दर संदेश ..
प्रत्येक के लिये
बधाई स्वीकार करें
बुजुर्गों का तहे दिल से जो सच में ध्यान रखते हैं
उन्ही के सर पे आके हाथ ख़ुद भगवान रखते हैं
मुहब्बत फूल खुशियाँ और दुआएं पोटली भर के
हम अपने घर में यारों बस यही सामान रखते हैं
waah neeraj khoob likha hai
नीरज जी,
बहुत सुन्दर भाव....
अच्छी गज़ल है |
बहारों के ही बस आशिक़ नहीं ये जान लो नीरज
खिजां के वास्ते भी दिल में हम सम्मान रखते हैं
बधाई स्वीकारें ।
नीरज जी
आप लाजवाव लफ़्जों का जखीरा और उम्दा बयान रखते हैं
वाह जी दिल खुश कर दिया आपने तो
इस गजल में तो आपने शब्दों का ऍसा इस्तेमाल किया है कि हर शब्द को बार-बार पढने का मन कर रहा है
गोस्वामी जी ,
बहुत खूब ....आपकी रचना की प्रत्येक पंक्ति से एक निर्देश मिलता हैं..एक तरफ़ जहाँ आपने सदाचारी , बहादुरी आदि को व्यक्त किया है ..वही धूर्त और लालची लोगो पर कुठाराघात भी किया है...आपकी रचना से ही आपके विचारों का पता चलता है ....
' उन्ही की बात होती है उन्ही को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी अलग पहचान रखते हैं'
'गुलाबों से मुहब्बत है जिन्हे उनको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी बहुत अरमान रखते हैं'
बहुत ही सुंदर और प्रेरणा दायक है .....
मुहब्बत का सफर होता मुकम्मल उनका ही मानो
जो तीखे दर्द में चहरे पे इक मुस्कान रखते हैं
बहारों के ही बस आशिक़ नहीं ये जान लो नीरज
खिजां के वास्ते भी दिल में हम सम्मान रखते हैं
सुंदर गजल है नीरज जी। हरेक भाव खुलकर सामने आए हैं। रदीफ, बहर, काफिया सब दुरूस्त है।
बधाई स्वीकारें।
अगली रचना के इंतजार में-
विश्व दीपक 'तन्हा'
मैं अपने सभी पाठकों का तहे दिल से शुक्र गुजार हूँ जिन्होंने न सिर्फ़ मेरी रचना को पढ़ा बल्कि सराहा भी. मुझे उम्मीद है की मेरे सुधि पाठक भविष्य में भी अपना स्नेह यौं ही बनाए रखेंगें.
नीरज
नीरज जी मै तीन दिन से आपकी रचना बार-बार पढ़ रही हूँ...जितनी तारीफ़ की जाये कम है...आज टिप्पणी किये बिना रहा नही गया...हर एक शेर खूबसूरत है काबिले तारीफ़ है...
बधाई स्वीकार करें...
सुनीता(शानू)
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