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Sunday, October 14, 2007

मुहब्बत फूल खुशियाँ


बुजुर्गों का तहे दिल से जो सच में ध्यान रखते हैं
उन्ही के सर पे आके हाथ ख़ुद भगवान रखते हैं

मुहब्बत फूल खुशियाँ और दुआएं पोटली भर के
हम अपने घर में यारों बस यही सामान रखते हैं

यही सच में वजह है तन बदन मेरा महकने की
जलाये दिल में तेरी याद का लोबान रखते हैं

मुहब्बत का सफर होता मुकम्मल उनका ही मानो
जो तीखे दर्द में चहरे पे इक मुस्कान रखते हैं

मिलेगी ही नही थोड़ी जगह दिल में कभी उनके
तिजोरी है भरी जिनकी जो झूटी शान रखते हैं

उन्ही की बात होती है उन्ही को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी अलग पहचान रखते हैं

गुलाबों से मुहब्बत है जिन्हे उनको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी बहुत अरमान रखते हैं

बहारों के ही बस आशिक़ नहीं ये जान लो नीरज
खिजां के वास्ते भी दिल में हम सम्मान रखते हैं

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12 कविताप्रेमियों का कहना है :

शोभा का कहना है कि -

नीरज जी
अच्छी गज़ल लिखी है आपने । बड़ो के लिए आपके मन में जो भाव है वह काबिले तारीफ़ है । यही भावना सबके
दिलों में रहे यही कामना है । बधाई स्वीकारें ।

रंजू भाटिया का कहना है कि -

मुहब्बत का सफर होता मुकम्मल उनका ही मानो
जो तीखे दर्द में चहरे पे इक मुस्कान रखते हैं

नीरज जी बहुत सुंदर ग़ज़ल लगी आपकी
बधाई

रंजू

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

नीरज जी,

बिना लाग लपेट की भाषा में बहुत ही सुन्दर रचना। इतनी नपी तुली गज़ल लिखने वाले शायर कम ही हैं हिन्द युग्म पर, आपने अपेक्षायें बढा दी हैं।

मुहब्बत फूल खुशियाँ और दुआएं पोटली भर के
हम अपने घर में यारों बस यही सामान रखते हैं

गुलाबों से मुहब्बत है जिन्हे उनको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी बहुत अरमान रखते हैं

बहुत बधाई आपको।


*** राजीव रंजन प्रसाद

Unknown का कहना है कि -

नीरज जी

मुहब्बत का सफर होता मुकम्मल उनका ही मानो
जो तीखे दर्द में चहरे पे इक मुस्कान रखते हैं

उन्ही की बात होती है उन्ही को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी अलग पहचान रखते हैं

बहारों के ही बस आशिक़ नहीं ये जान लो नीरज
खिजां के वास्ते भी दिल में हम सम्मान रखते हैं

बहुत सुन्दर भाव, बहुत सुन्दर संदेश ..
प्रत्येक के लिये

बधाई स्वीकार करें

Sajeev का कहना है कि -

बुजुर्गों का तहे दिल से जो सच में ध्यान रखते हैं
उन्ही के सर पे आके हाथ ख़ुद भगवान रखते हैं

मुहब्बत फूल खुशियाँ और दुआएं पोटली भर के
हम अपने घर में यारों बस यही सामान रखते हैं

waah neeraj khoob likha hai

गीता पंडित का कहना है कि -

नीरज जी,

बहुत सुन्दर भाव....
अच्छी गज़ल है |

बहारों के ही बस आशिक़ नहीं ये जान लो नीरज
खिजां के वास्ते भी दिल में हम सम्मान रखते हैं

बधाई स्वीकारें ।

Mohinder56 का कहना है कि -

नीरज जी

आप लाजवाव लफ़्जों का जखीरा और उम्दा बयान रखते हैं

विकास मलिक का कहना है कि -

वाह जी दिल खुश कर दिया आपने तो
इस गजल में तो आपने शब्दों का ऍसा इस्तेमाल किया है कि हर शब्द को बार-बार पढने का मन कर रहा है

व्याकुल ... का कहना है कि -

गोस्वामी जी ,
बहुत खूब ....आपकी रचना की प्रत्येक पंक्ति से एक निर्देश मिलता हैं..एक तरफ़ जहाँ आपने सदाचारी , बहादुरी आदि को व्यक्त किया है ..वही धूर्त और लालची लोगो पर कुठाराघात भी किया है...आपकी रचना से ही आपके विचारों का पता चलता है ....
' उन्ही की बात होती है उन्ही को पूजती दुनिया
जो भारी भीड़ में अपनी अलग पहचान रखते हैं'

'गुलाबों से मुहब्बत है जिन्हे उनको ख़बर कर दो
चुभा करते वो कांटे भी बहुत अरमान रखते हैं'
बहुत ही सुंदर और प्रेरणा दायक है .....

विश्व दीपक का कहना है कि -

मुहब्बत का सफर होता मुकम्मल उनका ही मानो
जो तीखे दर्द में चहरे पे इक मुस्कान रखते हैं

बहारों के ही बस आशिक़ नहीं ये जान लो नीरज
खिजां के वास्ते भी दिल में हम सम्मान रखते हैं

सुंदर गजल है नीरज जी। हरेक भाव खुलकर सामने आए हैं। रदीफ, बहर, काफिया सब दुरूस्त है।
बधाई स्वीकारें।
अगली रचना के इंतजार में-
विश्व दीपक 'तन्हा'

नीरज गोस्वामी का कहना है कि -

मैं अपने सभी पाठकों का तहे दिल से शुक्र गुजार हूँ जिन्होंने न सिर्फ़ मेरी रचना को पढ़ा बल्कि सराहा भी. मुझे उम्मीद है की मेरे सुधि पाठक भविष्य में भी अपना स्नेह यौं ही बनाए रखेंगें.

नीरज

सुनीता शानू का कहना है कि -

नीरज जी मै तीन दिन से आपकी रचना बार-बार पढ़ रही हूँ...जितनी तारीफ़ की जाये कम है...आज टिप्पणी किये बिना रहा नही गया...हर एक शेर खूबसूरत है काबिले तारीफ़ है...


बधाई स्वीकार करें...

सुनीता(शानू)

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