कभी-कभी अपनी कविता को बहुत पीछे के पायदान पर देखने पर कई कवियों को निराशा होती है। उनमें असंतोष जगता है। लेकिन जिन्हें अपनी रचनाधर्मिता पर भरोसा होता है,वह पुनः पुनः प्रतियोगिता में भाग लेते हैं। अनुभव गुप्ता उन्हीं में से एक हैं। पिछली बार इनकी कविता २४वें पायदान पर थी, मगर इस बार टॉप १० में है।
कविता- मन की बात
कवयिता- अनुभव गुप्ता, नई दिल्ली
सर्दी की उस ठंडी ठिठुरती रात में
आँख के कोने से एक आँसू ढलका
गर्म गाल से होता हुआ
काले तिल को छूकर
नर्म होठों तक पहुँचा
उस आँसू में एक अलग ही स्वाद था
मीठा
तभी कहीं से आवाज़ आई
आँख धो लो, कुछ गिर गया होगा
हाँ, मैंने कहा, एक याद गिर गई है
जो अक्सर परेशान करती है मुझे
एक टूटे सपने का एक टूटा टुकड़ा आँख में ही रह गया है
रड़कता है जो दिन में कई बार
जलता है जो, टीस पहुँचा है
सपना था जो प्यारा
बनाया और सींचा था अपने हाथों से
आज एक याद बन गया है
जो गिरती है कई बार आँख में
सर्दी की उस ठंडी ठिठुरती रात में
रिज़ल्ट-कार्ड
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प्रथम चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ७॰५, ९॰५, ६, ७॰१५, ७॰१
औसत अंक- ७॰४५
स्थान- दूसरा
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द्वितीय चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक-६॰७५, ७॰६, ७॰५, ७॰४५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ७॰३२५
स्थान- छठवाँ
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तृतीय चरण के ज़ज़ की टिप्पणी-आँख में याद का गिरना जैसे बिम्ब गुलज़ार साहब की याद दिलाते हैं, नाजुक मनोभावों की साधारण प्रस्तुति।
अंक- ६
स्थान- दसवाँ
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पुरस्कार- प्रो॰ अरविन्द चतुर्वेदी की काव्य-पुस्तक 'नकाबों के शहर में' की स्वहस्ताक्षरित प्रति
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7 कविताप्रेमियों का कहना है :
अनुभव जी,
सबसे पहले तो मैं आपके संयम की प्रशंशा करना चाहूँगा तथा आपको बधाई देना चाहूँगा की आपकी कविता आज दसवे स्थान पर आई है.....आशा करता हूँ की कल आपकी कविता पहले स्थान पर भी आएगी ....आप जैसे लोगो से हम जैसे नए लोगों को भी प्रोत्साहन मिलता है ....
इसके पश्चात् कविता 'मन की बात' के बारे मई क्या कहूँ ....बहुत सुंदर, तथा रचनात्मक ढंग से आपने अपने मन की बात तथा कहूँगा की सबके मन की बात को लिखा है .....उम्दा ...
अनुभव जी,
बहुत अच्छी रचना है।
एक टूटे सपने का एक टूटा टुकड़ा आँख में ही रह गया है
रड़कता है जो दिन में कई बार
जलता है जो, टीस पहुँचा है
सपना था जो प्यारा
बनाया और सींचा था अपने हाथों से
आज एक याद बन गया है
बहुत खूब!!
*** राजीव रंजन प्रसाद
अनुभव
बहुत ही प्यारी अभिव्यक्ति है । आँखों मे अक्सर कुछ ऐसे ही गिर जाता है । कभी कोई याद भी ऐसे ही आ जाती
है । कुछ बूँदें आँसुओं की टपक जाती हैं । कवि प्रसाद की कुछ ऐसी ही पंक्तियाँ याद आ गई --
जो घनी भूत पीड़ा थी
मस्तक में स्मृति सी छाई
दुर्दिन में आँसू बन कर
वो आज बरसने आई ।
एक सुन्दर प्रयास के लिए बधाई ।
अनुभव जी !
तभी कहीं से आवाज़ आई
आँख धो लो, कुछ गिर गया होगा
हाँ, मैंने कहा, एक याद गिर गई है
जो अक्सर परेशान करती है मुझे
एक टूटे सपने का एक टूटा टुकड़ा आँख में ही रह गया है
रड़कता है जो दिन में कई बार
जलता है जो, टीस पहुँचा है
अद्भुत प्रस्तुति
इस रचना को पढ़ा कई पल
इसकी गहरायी में मन डूबता
उतराता रहा
साधुवाद मित्र
एक अच्छी रचना के लिये
अनुभव जी,
रचना बहुत अच्छी है।
हाँ, मैंने कहा, एक याद गिर गई है
जो अक्सर परेशान करती है मुझे
एक टूटे सपने का एक टूटा टुकड़ा आँख में ही रह गया है
रड़कता है जो दिन में कई बार
जलता है जो, टीस पहुँचा है
सपना था जो प्यारा
बनाया और सींचा था अपने हाथों से
आज एक याद बन गया है
अद्भुत
बधाई ।
बहुत अच्छे, उन टूटे सपनो के सदके
बहुत खूब बहुत अच्छा लिखा है आपने बहुत बधाई आपको ...अनुभव जी!!
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