फटाफट (25 नई पोस्ट):

Friday, October 26, 2007

पत्थरों के शहर में एक घर बना कर देखिये


हर कोई पत्थरदिल नहीं, कभी आज़मा कर देखिये
शायद कुछ दिल मोम हों, नज़दीक आकर देखिये

आइनों के गाँव में, रहना कभी आसाँ न था
पत्थरों के शहर में एक घर बना कर देखिये

सामने जो है नज़र के, सच हो ये पक्का नहीं
गुलाब की डाली का कोई गुल हटा कर देखिये

चाँद में है दाग, बेशक लोग सब कहते रहें
मुस्कराते चाँद को दिल में बसा कर देखिये

इंसान से इंसान की सब दूरियाँ मिट जायेंगीं
दूसरों के ख्वाब पलकों पर सजा कर देखिये

वो दर्द से बेहाल है, तुम गीत गाते हो ‘अजय’
उसका भी हाले-दिल कहे, वो गज़ल गाकर देखिये

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

9 कविताप्रेमियों का कहना है :

शोभा का कहना है कि -

अजय जी
भावपूर्ण गज़ल लिखी है । बधाई

Mohinder56 का कहना है कि -

अजय जी,
एक सुन्दर भावभरी गजल
हर कोई पत्थरदिल नहीं, कभी आज़मा कर देखिये
शायद कुछ दिल मोम हों, नज़दीक आकर देखिये
सामने जो है नज़र के, सच हो ये पक्का नहीं
गुलाब की डाली का कोई गुल हटा कर देखिये
इंसान से इंसान की सब दूरियाँ मिट जायेंगीं
दूसरों के ख्वाब पलकों पर सजा कर देखिये

मुझे बेहद पसन्द आई... बधाई

anuradha srivastav का कहना है कि -

अजय जी गजल पसन्द आयी । ये शेर खासतौर पर पसन्द आया -
हर कोई पत्थरदिल नहीं, कभी आज़मा कर देखिये
शायद कुछ दिल मोम हों, नज़दीक आकर देखिये

Avanish Gautam का कहना है कि -

अजय भाई कुछ शब्द ऐसे है जो अपनी चमक खो चुके है. ज़्यादातर ग़ज़लों में यह समस्या ज़्यादा दिखाई देती है. इसकी वजह से कहने का नयापन जाता रहता हैं.

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

गजब की गजल है
शब्दों का कंवल है
भाव बे-भाव का
सृजन सबल है

-राघव

विश्व दीपक का कहना है कि -

चाँद में है दाग, बेशक लोग सब कहते रहें
मुस्कराते चाँद को दिल में बसा कर देखिये

आइनों के गाँव में, रहना कभी आसाँ न था
पत्थरों के शहर में एक घर बना कर देखिये

इंसान से इंसान की सब दूरियाँ मिट जायेंगीं
दूसरों के ख्वाब पलकों पर सजा कर देखिये

अजय जी,
बहुत हीं सुंदर गज़ल है।पुख्ता शेर हैं। भाव भी भरे पड़े हैं।
बधाई स्वीकारें।

-विश्व दीपक'तन्हा'

Sajeev का कहना है कि -

ajay ji bahut hi badhia ghazal hai, ek ek sher tarasha hua lagta hai badhaai bahut bahut

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

अजय जी,


बात तो आपने पते की की है कि:
हर कोई पत्थरदिल नहीं, कभी आज़मा कर देखिये
शायद कुछ दिल मोम हों, नज़दीक आकर देखिये

कई बहुत उम्दा शेर हैं:
आइनों के गाँव में, रहना कभी आसाँ न था
पत्थरों के शहर में एक घर बना कर देखिये

चाँद में है दाग, बेशक लोग सब कहते रहें
मुस्कराते चाँद को दिल में बसा कर देखिये

इंसान से इंसान की सब दूरियाँ मिट जायेंगीं
दूसरों के ख्वाब पलकों पर सजा कर देखिये

बहुत अच्छी रचना।


*** राजीव रंजन प्रसाद

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

अजय जी,

कुछ नया लिखिए। कोई ख़ास बात नहीं है इसमें।

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)