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Wednesday, October 17, 2007

मुझको नहीं बुलाना तुम


अब नहीं आऊँगा, मुझको नहीं बुलाना तुम।
कि गुज़रे वक्त की तरह मुझे भुलाना तुम।।

कभी जो सामना तेरे शहर मे हो अपना;
तेरी सहेली से एक अजनबी बताना तुम।

ख्वाबों में आने की ग़र खता मैं करूँ;
बगैर माफ किये कैदी सा सताना तुम।

ग़र मेरी मौत से तेरा ज़रा भी काम बने;
हक़ तेरा पूरा है मुझपे मुझे बताना तुम।

मेरी कज़ा का जब सनम पयाम मिले;
तुम्हें कसम मेरी अश्क ना बहाना तुम।

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27 कविताप्रेमियों का कहना है :

Mohinder56 का कहना है कि -

पंकज जी,

सुन्दर है

गली तुम्हें कहा था क्यों छोड गये जमाना तुम

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

कुछ शेर अच्छे बन पडे हैं:

अब नहीं आऊँगा, मुझको नहीं बुलाना तुम।
कि गुज़रे वक्त की तरह मुझे भुलाना तुम।।

मेरी कज़ा का जब सनम पयाम मिले;
तुम्हें कसम मेरी अश्क ना बहाना तुम।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Manuj Mehta का कहना है कि -

अब नहीं आऊँगा, मुझको नहीं बुलाना तुम।
कि गुज़रे वक्त की तरह मुझे भुलाना तुम।।


बहुत ख़ूब पंकज जी बहुत उम्दा कहा है अपने


ख्वाबों में आने की ग़र खता मैं करूँ;
बगैर माफ किये कैदी सा सताना तुम।

ग़र मेरी मौत से तेरा ज़रा भी काम बने;
हक़ तेरा पूरा है मुझपे मुझे बताना तुम।

बहुत ख़ूब, वाह.

शोभा का कहना है कि -

पंकज जी
काफी निराशा दिखाई दे रही है । बिना आए या जाय काम कैसे चलेगा? आशा है यह निराशा कविता में ही
बह जायेगी । सस्नेह

बसंत आर्य का कहना है कि -

लोग आते जाते रहते है. मयखाना चलता रहता है. गम न करे

रंजू भाटिया का कहना है कि -

सुंदर है ..यह शेर बहुत अच्छे लगे

ख्वाबों में आने की ग़र खता मैं करूँ;
बगैर माफ किये कैदी सा सताना तुम।

ग़र मेरी मौत से तेरा ज़रा भी काम बने;
हक़ तेरा पूरा है मुझपे मुझे बताना तुम।

SahityaShilpi का कहना है कि -

पंकज जी! गज़ल सुंदर है. बधाई!

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

मेरी कज़ा का जब सनम पयाम मिले;
तुम्हें कसम मेरी अश्क ना बहाना तुम।

अच्छा लिखा है..

बधाई स्वीकारें

Admin का कहना है कि -

कुछ शेयर जरूर बेहतर हैं पर शायद कोई कमी रह गई है

Sajeev का कहना है कि -

पंकज जी ग़ज़ल बहुत अच्छी है, पूरी तरह से मीटर में, भाव में कुछ नयापन खला

Unknown का कहना है कि -

पंकज जी

ख्वाबों में आने की ग़र खता मैं करूँ;
बगैर माफ किये कैदी सा सताना तुम।

लेखनी से कभी भी विरत न हों
उनको तो एक दिन स्वयं ही आना है आप जमाने के
इस आने जाने की परवाह किये बिना काव्य धर्म निर्वाह
करते रहें

अच्छा प्रयास है

पारुल "पुखराज" का कहना है कि -

पंकज जी,

ग़र मेरी मौत से तेरा ज़रा भी काम बने;
हक़ तेरा पूरा है मुझपे मुझे बताना तुम।

समर्पण……अच्छा लगा

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

Pankaj,
This is beyond admiration for me.

1.
There is good combination of no of words in all line.
2. Meaning is superb.

3. Selection of words r good.
4. Tukabandi is good.

Oveall, its too good.
Badhayee.

Avaneesh S. Tiwari

गीता पंडित का कहना है कि -

पंकज जी!

गज़ल सुंदर है.

अब नहीं आऊँगा, मुझको नहीं बुलाना तुम।
कि गुज़रे वक्त की तरह मुझे भुलाना तुम।।

बधाई!

Anonymous का कहना है कि -

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