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Tuesday, October 16, 2007

अहसास




यूंही नहीं रात मुझको है अजीज
वो अंधेरों में अक्सर मुझसे
चांद बन कर मिला करता है

तन्हाईयों में जब कोई पास नही
उसकी याद की खूशबू लेकर
दिल का कंवल खिला करता है

क्या हुआ गर मुश्किल है सफ़र
अब नही किसी ठोकर का भी डर
अब वो मेरे साथ चला करता है

मुहब्बत है, दोस्ती या दीवानापन
कोई नर्म अहसास सा है जो
उसके लिये दिल में पला करता है

एक हुई उसकी और मेरी हस्ती
मैं पिघलता हुआ मौम बना
वो बाती बन के जला करता है

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14 कविताप्रेमियों का कहना है :

रंजू भाटिया का कहना है कि -

मुहब्बत है, दोस्ती या दीवानापन
कोई नर्म अहसास सा है जो
उसके लिये दिल में पला करता है

वाह वाह!! बहुत ही सुंदर मोहिंदर जी... बहुत ही रूमानी रचना
पढ़ के मज़ा आ गया ...बहुत खूब लिखा है आपने ..बधाई आपको !!

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

क्या हुआ गर मुश्किल है सफ़र
अब नही किसी ठोकर का भी डर
अब वो मेरे साथ चला करता है

एक हुई उसकी और मेरी हस्ती
मैं पिघलता हुआ मौम बना
वो बाती बन के जला करता है

बडे नाजुक खयालात हैं। बहुत ही रुमानी और थोडा रूहानी भी..

*** राजीव रंजन प्रसाद

Gaurav Shukla का कहना है कि -

"एक हुई उसकी और मेरी हस्ती
मैं पिघलता हुआ मौम बना
वो बाती बन के जला करता है"

मोहिन्दर जी, अच्छे भाव बहुत सरलता अभिव्यक्त किये हैं आपने
बहुत सुन्दर

सस्नेह
गौरव शुक्ल

शोभा का कहना है कि -

ritbansalमोहिन्दर जी
क्या बात है । आपकी कलम में कुछ बदलाव आया है । खुदा खैर करे । अच्छा लगा ये बदलाव ।
प्यारी सी गज़; लिखी है । विशेष रूप से --
तन्हाईयों में जब कोई पास नही
उसकी याद की खूशबू लेकर
दिल का कंवल खिला करता है
भावनाओं की इतनी प्यारी अभिव्यक्ति के लिए बधाई ।

शोभा का कहना है कि -

ritbansalमोहिन्दर जी
क्या बात है । आपकी कलम में कुछ बदलाव आया है । खुदा खैर करे । अच्छा लगा ये बदलाव ।
प्यारी सी गज़; लिखी है । विशेष रूप से --
तन्हाईयों में जब कोई पास नही
उसकी याद की खूशबू लेकर
दिल का कंवल खिला करता है
भावनाओं की इतनी प्यारी अभिव्यक्ति के लिए बधाई ।

Manuj Mehta का कहना है कि -

यूंही नहीं रात मुझको है अजीज
वो अंधेरों में अक्सर मुझसे
चांद बन कर मिला करता है

तन्हाईयों में जब कोई पास नही
उसकी याद की खूशबू लेकर
दिल का कंवल खिला करता है

wah kya kahoon, nishabd ho gaya hun, bahut hi umda, kafi samay ho gaya kuch aisa padhe hue jo sidha dil mein utar jaye. bahut hi aala darze ki shayari.

एक हुई उसकी और मेरी हस्ती
मैं पिघलता हुआ मौम बना
वो बाती बन के जला करता है

wah bahut khoob.

विपुल का कहना है कि -

नाज़ुक एहसासों से सज़ी यह ग़ज़ल दिल को छू गयी .. बधाई.. !
क्या ख़ूब लिखा है...

एक हुई उसकी और मेरी हस्ती
मैं पिघलता हुआ मौम बना
वो बाती बन के जला करता है

यूंही नहीं रात मुझको है अजीज
वो अंधेरों में अक्सर मुझसे
चांद बन कर मिला करता है

तन्हाईयों में जब कोई पास नही
उसकी याद की खूशबू लेकर
दिल का कंवल खिला करता है

Sajeev का कहना है कि -

वाह मोहिंदर जी क्या कहूँ, एक एक मिसरा अपने आप में बेमिसाल है, एक मुकम्मल खुबसुरत रचना , बहुत बहुत बधाई

गीता पंडित का कहना है कि -

एक हुई उसकी और मेरी हस्ती
मैं पिघलता हुआ मौम बना
वो बाती बन के जला करता है


रुमानी और रूहानी....... मज़ा आ गया |

बहुत सुन्दर

बहुत बहुत बधाई

Unknown का कहना है कि -

मित्र मोहिन्दर जी !

क्या हुआ गर मुश्किल है सफ़र
अब नही किसी ठोकर का भी डर
अब वो मेरे साथ चला करता है

वाह .. ! क्या कहने आपकी गजलें गजब की
होती हैं कई अन्य मित्रों की तरह मैं भी निःशब्द
होकर हर बार आपकी रचना की प्रतीक्षा करता हूं.
कई बार कार्यालयीन व्यस्तताओं के चलते जब
पढ़ने में बिलम्ब हो जाता है तो लगता है कहीं
कुछ मिस सा कर रहा हूं अस्तु एक और
बेहतरीन गजल के लिये बधाई

शुभकामना

आर्य मनु का कहना है कि -

" एक हुई उसकी और मेरी हस्ती
मैं पिघलता हुआ मौम बना
वो बाती बन के जला करता है "
काव्य का आरम्भ और अंत, बस ये ही प्रभावित करते है, मध्य-भाग तो ऐसा लगा, जैसे बहुत सुन रखा हो।
आपकी प्रीतमय शैली दिल को छू जाती है।
बधाई स्वीकार करें।

आर्यमनु ।

SahityaShilpi का कहना है कि -

मोहिन्दर जी! देरी के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ. आपकी यह रचना भी बहुत सुंदर लगी. बधाई स्वीकारें!

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

बहुत बढिया मोहिन्दर जी, सुन्दर बहुत सुन्दर..

एक हुई उसकी और मेरी हस्ती
मैं पिघलता हुआ मौम बना
वो बाती बन के जला करता है

छू गयीं ये पंक्तियाँ..

-सस्नेह
राघव

सुनीता शानू का कहना है कि -

यूंही नहीं रात मुझको है अजीज
वो अंधेरों में अक्सर मुझसे
चांद बन कर मिला करता है
मुझे जल्द ही भाभी जी से आपकी शिकायत करनी होगी...
वैसे बहुत ही उम्दा शेर है मज़ा आ गया पढ़ कर...

बधाई स्वीकार करें..
सुनीता(शानू)

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