काश मेरे नसीब में ,रब बख्शी सौगात हो
दिल डूबा हो तुझ में,चाँद तारों से बात हो
नज़रे ज़ीक़ झुकी रहे,मगर तुझे देखती रहूँ
इब्तदा इश्क की सहर, तन्हा मुलाकात हो
मुद्दतें बीतीं दीदार को, जलवे देखे जो यार के
सीने पर लब निसार, आँसुऑ की बरसात हो
जख्म लगे पैरों में,राहें ही अजीब थीं वहाँ की
बेफिक्री ने गिराया,उसपर न कोई इल्ज़ामत हों
इल्म शब-ए-ज़िन्दगी,मदहोश आलम बाबस्ता
उसके जहाँ मिलें निशाँ,वहीं जन्नतें शुरुआत हो
दिल डूबा हो तुझ में,चाँद तारों से बात हो
नज़रे ज़ीक़ झुकी रहे,मगर तुझे देखती रहूँ
इब्तदा इश्क की सहर, तन्हा मुलाकात हो
मुद्दतें बीतीं दीदार को, जलवे देखे जो यार के
सीने पर लब निसार, आँसुऑ की बरसात हो
जख्म लगे पैरों में,राहें ही अजीब थीं वहाँ की
बेफिक्री ने गिराया,उसपर न कोई इल्ज़ामत हों
इल्म शब-ए-ज़िन्दगी,मदहोश आलम बाबस्ता
उसके जहाँ मिलें निशाँ,वहीं जन्नतें शुरुआत हो
****************अनुपमा चौहान*****************
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