तुम तो हो उस पार साजन
मैं कैसे तुम तक आऊं
बीच में यह दुनिया सागर सी
तिल तिल जलती जाऊं
चातक सी तृष्णा लिए मन में
बदरा की आस लगाऊं
कैसे नापूं सीमा विरह की
कैसे प्यार मैं पाऊं
दिल में अथाह सागर आंसूं का
पर सूखे पीड़ा में भरे लोचन
कैसे बेडा पार लगाऊं
मंज़िल पल पल मुझे पुकारे
मिलन की नित्य मैं आस लगाऊं
दर्द का नया गीत बुन जाऊं
करवटों में बीती रतियां
तुम में मैं खो जाऊं
थक गए हैं मन के पखेरू
बोझिल सी हो गई है साँसे
गीत गुजरिया सा बना बंजारिन
मदहोशी सह न पाऊं
कैसे अपना नीड़ बसाऊं
कैसे मैं तुझ तक आऊं
विरह की अग्न से जल जल जाऊं!!
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24 कविताप्रेमियों का कहना है :
वाह, क्या बात है।
रंजना जी,
बहुत सुन्दर!बार-बार पढ़ने को जी चाहता है।
बीच में यह दुनिया सागर सी
तिल तिल जलती जाऊं
चातक सी तृष्णा लिए मन में
बदरा की आस लगाऊं
वाह! मै आकंठ डूब गया इसमे। बधाई।
वाह जी वाह आपने तो कमाल कर दीया ,
आपका लेख ख़त्म हो जाता हैं लेकीन दील नही भरता ,
अल्फ़ाज़ों मैं वो दम कहाँ जो बया करे शख़्सियत तुम्हारी ,
रूबरू होना है तो आगोश मैं आना होगा ,
यूँ देखने भर से नशा नहीं होता जान लो साकी,
आप इक ज़ाम हैं आपको होंठो से लगाना होगा ......
मनोज शेखावत
आती सुंदर रंजना जी,
इस रचना मे आप ने विरह की पीड़ा को भौत ही उत्तम तरीक़े से बताया है,
मैं आप की इस अचना को पढ़ क्र भावुक हुए बिना नही रहा
wonderful writer u r realy, u write so quick n so impresive, amezing
बहुत सुन्दर ।
लगा जैसे मीरा की व्यथा हो। कविता में आध्यात्म हावी है, इसकी भाषा एसा ही आभास देती है। साजन,बदरा,आस,लोचन,अल्हड,रतियां,पखेरू,गुजरिया,बंजारिन,नीड़ इत्यादि शब्दों नें कविता को सुन्दरता प्रदान की है।
बहुत बधाई, रंजना जी।
*** राजीव रंजन प्रसाद
bahut badhiya har baar ki tarahj mere dil ko chu liya kuch aapne yun 2 lafz kah kar, ki ruh ko sukun naseeb hua aapki kavita sunkar
aapka mission impossible
वाह!
मज़ा आ गया है रंजनाजी, बहुत खूब लिखा है!
बधाई!!!
Excellent work!!!!
one addition, if u don't mind:
ginoo shwaas chaaron pahar main
Nain tikaaye us patth pe
lagtaa hai jahaan dekh mujhko
miloongi main kabhi tumse.
ranjana ji bahoot hi khoobsoorat si rachna likhiaapne daad wasool payeiN........
harash
दर्द का नया गीत बुन जाऊं
करवटों में बीती रतियां
तुम में मैं खो जाऊं
थक गए हैं मन के पखेरू
बोझिल सी हो गई है साँसे
गीत गुजरिया सा बना बंजारिन
मदहोशी सह न पाऊं
कैसे अपना नीड़ बसाऊं
kya khoob line likhi hain....amar prem si khushbu liye geet behtareen ban pada hai
bahut khoobsoorat hai ranjana tumahree kavitayon ka kad badhta ja raha hai aur saya dene kee adat bhee barkar hai wah
Anil masoomshayer
इतनी सुन्दर कविता के किये आप बधाई की पात्र है।
Ranjana Ji ,
aap ki sari kavitaye sach me bahut hi achhi hoti hai jisase ek bar padhane pe man hi nahi bharata hai aur bar bar padhane ko man karata hai ,
aap ki kavita se ek nasha sa mujhape chha jata hai aur use mai kayi logo ko ya apne dosto ko padh kar sunata hoo aur sare dost mere aap ki kavita ki tarif karate hai aap ki kavita ki jitani tarif ki jaye utana hi kam hai ye to hamara saubhagya hai jo hame itane sundar kavita padhane ko milate hai aap ke dwara
Thanks
Atul Kumar Mishra
sundar hai.
maine aapki ye rachna pehli bar padhi hai par iske shabdon ki lay hi aaisi hai ki mano mai barso se aap ki rachnaye padhta aa raha hu!
bahothi sundar hai ye!!
रंजना जी
कोमल भावों को अभिव्यक्त करने में आप कुशल हैं । आज फिर प्रेम की पीड़ा को
अभिव्यक्ति दी है । अति सुन्दर ।
Aapki Hindi to bahut hi achchi hai .
Aur utna hi achcha aap likhte hai .
Bahut hi achchi rachna lagi aapki asha karte hai ki age bhi asi hi aur parhne ko milegi aur shayed isse bhi achchi mie .
Very well done . Best of luck for your future .
Mai bhi ab hindi mai type karna sikhunga .
एक और सुंदर प्रेम-गीत के लिये बधाई! जैसा कि राजीव जी ने कहा प्रेम के साथ अध्यात्म को भी बहुत खूबसूरती से अभिव्यक्त किया गया है.
विरह की सुन्दर अभिव्यक्ति है रंजना जी।
बीच में यह दुनिया सागर सी
तिल तिल जलती जाऊं
बधाई।
wah ranjana ji aapka prem alokik hota ja raha hai, mudharta aur badhti ja rahi hai... behad badhai
इस बार आपकी कविता में सशक्त भाव के साथ सशक्त शिल्प भी है। चलिए मुझे इस बात की खुशी है कि युग्म के कवि समालोचनाओं का लाभ उठा रहे हैं।
आपने टंकण की गलतियाँ बताने के लिए कहा था। वो भी इस बार बहुत कम हैं, इसलिए यहीं बता रहा हूँ, इस उम्मीद के साथ की अगली बार नहीं करेंगी :)
आंसूं- आँसू
बेडा- बेड़ा
बोझिल सी हो गई है साँसे- बोझिल सी हो गई हैं साँसें
ranju, this was beautiful. kavita dil mei utari.aur meera...uske baare mei kya kahun. likhhna kyu chhod diya?
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