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Wednesday, July 11, 2007

तुम्हारी यादें


मुझे तुम्हारी याद आ रही है,
पर नहीं मालूम कि कब से आ रही है
तुम्हारी याद।
ज़रूर बहुत ही चुपके से आई होगी
जैसे तुम कभी-कभी आती थीं।
मैं अक्सर सोचता हूँ
कि तुम्हारी यादों का आना मुझे अच्छा लगना चाहिये या बुरा
पर नहीं आता शायद मुझे इसका जवाब।
क्योंकि तुम सबसे अच्छी हो ,
पर एक मामले में तुम्हारी यादें तुमसे भी अच्छी हैं।
तुम आते ही जाने लगती हो
पर आने के बाद जाने का नाम ही नहीं लेतीं तुम्हारी यादें।
लेकिन यादों की यह अदा
कभी तो दिल का बोझ हल्का कर देती है,
तो कभी दिल को गमगीन कर जाती है।
क्योंकि यादें ही लाती है
तुम्हारे साथ बीते हसीन लम्हों का एहसास,
तुम्हारा हँसता-मुस्कराता चेहरा;
मासूमियत से भरी आँखें
जिनमें कभी-कभी शरारत भी झलकती है।
लेकिन यादें ही लाती हैं
तुमसे बिछड़ जाने का एहसास
और जगाती हैं तुमसे मिलने की प्यास।

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11 कविताप्रेमियों का कहना है :

Nikhil का कहना है कि -

पंकज,
कविता जितनी "सिम्पल" हो, उतनी सलोनी होती है........आप इसमें सफल हुये.बधाई.........
निखिल

काकेश का कहना है कि -

अच्छी कविता..थोड़े विस्तार की कमी लगी मुझे.

सुनीता शानू का कहना है कि -

सुन्दर अहसास जगाती यादें…:)

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

तुम्हारी याद।
ज़रूर बहुत ही चुपके से आई होगी
जैसे तुम कभी-कभी आती थीं।

लेकिन यादें ही लाती हैं
तुमसे बिछड़ जाने का एहसास
और जगाती हैं तुमसे मिलने की प्यास।

पंकज जी कई दिनों के बाद आपकी कोई नयी कविता पढने को मिली। अच्छे भाव हैं। शिल्प पर थोडा ध्यान दें।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Kavi Kulwant का कहना है कि -

पद्य से ज्यादा गद्य लगती है आपकी कविता..
कवि कुलवंत

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

पंकज जी,

अतुकांत कविताओं में बातों को पारम्परिक वाक्यों से अलग हटकर (जैसे बिना वाक्य पूरा लिखे) कही जाये तो अधिक सुंदर बन पड़ती हैं। उदाहरण के लिए मनीष वंदेमातरम् की अतुकांत कविताएँ देख सकते हैं।

यह मेरा सोचना है। शेष आपके ऊपर। वैसे यह आपकी अपनी शैली है। इसे भी साधेंगे तो यह भी मानदंड हो जायेगी

Gaurav Shukla का कहना है कि -

पंकज जी

अच्छी कविता है,

सस्नेह
गौरव शुक्ल

SahityaShilpi का कहना है कि -

पंकज जी,
यादों का मानव-जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. आपने अपनी कविता में यादों का एक खूबसूरत झरोखा खोल दिया. इसके बावज़ूद कविता अधिक प्रभाव नहीं छोड़ती. आपसे सदा बेहतर की आशा रहती है.

Anonymous का कहना है कि -

सुन्दर एहसास!

बधाई!!!

रंजू भाटिया का कहना है कि -

तुम्हारा हँसता-मुस्कराता चेहरा;
मासूमियत से भरी आँखें
जिनमें कभी-कभी शरारत भी झलकती है।
लेकिन यादें ही लाती हैं
तुमसे बिछड़ जाने का एहसास
और जगाती हैं तुमसे मिलने की प्यास।


बहुत ही सरल और सुंदर लफ़्ज़ो में आपने लिख दिया है ..बधाई.

Rachna Singh का कहना है कि -

http://prashantblogs.blogspot.com/2007/07/blog-post_3313.html

your poems are being copied here
regds
rachna

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