आज बारी है मई महीने की प्रतियोगिता में आई एक मात्र हास्य-व्यंग्य कविता 'ऑक्सीज़न का सिलेंडर' की। कवि तपन शर्मा की इस कविता को प्रथम चरण में नवाँ स्थान मिला था, मगर दूसरे चरण के निर्णयकर्ताओं ने इसे थोड़ा और पसंद किया, जिससे इसकी रैकिंग एक स्थान ऊपर खिसक गई। कम से कम अंतरजाल पर हास्य कविताओं की संख्या बहुत कम है, ऐसे में हम आशा करते हैं कि कवि तपन शर्मा की यह कविता पाठकों को अवश्य पसंद आयेगी।
कविता- आक्सीज़न का सिलेंडर
पापा पापा, वो वाला सिलेन्डर दिलवाओ ना,
बेटा जिद करके इशारे से बोला।
बेटा, वो आपको बाद में दिलवायेंगे..
आपने तो अभी घर वाला सिलेंडर भी नहीं खोला॥
पापा उसमें से स्ट्रॉबेरी की खुशबू आती है, मुझे तो वैनीला पसंद है।
पापा हैरान परेशान सोचने लगे,
हम तो खुली हवा में साँस लेते थे,
इसके पास तो ऑक्सीजन में वैराईटीज़ की गँध है॥
रे इंसान तेरी अजीब माया है,
फ़्री की ऑक्सीजन को आज 200 रू प्रति लीटर बनाया है।
पहले तो सिर्फ़ पानी में कम्पीटीशन था,
आजकल ऑक्सीजन का भी बिज़नेस चलाया है॥
बाप ने बेटे को बहलाया-फुसलाया,
फ़ेयर से खरीदेंगे, यह कहकर वापस चलने का मन बनाया॥
थोड़ी दूर चलते ही बेटा कूदने लगा,
पापा वो देखो पेड़! यह कहकर उसकी तरफ़ दौड़ने लगा॥
बेटा बोला,पापा इससे कागज़ बनता था न, हमें सब पढाया गया है,
ऑनलाइन क्लासिस में ट्रीज़ऑनलाइन.कॉम पर सब बताया गया है॥
घर पहुँचते के साथ ही टीवी पर खबर थी..
मुम्बई में सवेरे से ही हल्की बारिश हो रही थी।
पापा ये आसमान से पानी कैसे गिरता है, मुझे भी देखना है।
आपने कहा था छुट्टियों में मुम्बई की बारिश दिखाने चलना है॥
आज 2147 में हर घर के बाहर एक मॉल होना चाहिये..
ऑक्सीजन के सिलेंडर का अच्छा खासा मोल होना चाहिये॥
हँसियेगा नहीं, ये मेरा नहीं कहना है..
आदमी ऐसा कर रहा है..ज़माने का ये कहना है॥
कवयिता- तपन शर्मा
प्रथम चरण में कविता को मिले अंक- ७॰६, ६॰५, ५, ९॰५, ५
औसत अंक- ६॰७२
दूसरे चरण में कविता को मिले अंक- ८॰२५, ६॰३५, ७, ६॰७२ (पिछले चरण का औसत अंक)
औसत अंक- ७॰०८
पुरस्कार- डॉ॰ कुमार विश्वास की पुस्तक 'कोई दीवाना कहता है' की स्वहस्ताक्षरित प्रति।
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
तपन शर्मा जी..
आपमें अपार संभावनायें हैं। थोडा सा शिल्प को कस लें तो यह एक श्रेष्ठ हास्य कविता होगी जिसमे उत्कृष्ठ व्यंग्य भी समाहित है।
*** राजीव रंजन प्रसाद
pehel mai sabhi pathako se mafi magna chaunga kie mai ye post hindi mai nahe likh raha ....
Tapan jie apke is vyang kavya nai kafi dino baat mujhe hindi mai kuch accha padne ka moka diya hai .. anytha aaj kal kie yug mai hindi or wo bhi achi hindi sahitya durabh hote jaa rahe hai ... per mai chauga app na kewal vyang balki hindi kawya kie anya vidhao per bhei likhe .... aap ek hindi kie post shuru kare jisme aap ani college life kie bare mai roj ek ya 2 page likhe .........
बहुत अच्छे तपन भाई अब पता चला तु व्यस्त क्यों रहता है, अब तेरे जैसी हिन्दी तो नही है भाई इसलिए भुल चुक माफ़।
बहुत अच्छा लिखा है, मजा आ गया पढ़ कर, हमारे बिच भी एक होनहार कवि है।
वर्तमान स्थिति को देखते हुए भविष्य की समस्या को आपने भांपकर बहुत ही खूबसूरती से हास्य में पिरोया है, मगर कवि मन में हो रही वास्तविक पीड़ा भी स्पष्ट झलक रही है, जैसा कि राजीवजी ने कहा, आपमें अपार संभावनाएँ है।
बधाई एवं शुभकामनाएँ!!!
सुंदर और्र अच्छी भाव अभिवक्ति....एक श्रेष्ठ हास्य व्यंग्य है।
शुभकामनाएँ
बहुत अच्छा तपन। किन्तु दोस्त बुरा मत मानना, थोडी कसावट कम रह गयी। वैसे व्यंग बहुत अच्छा था परन्तु अगर थोडी शब्दाबली ओर अच्छा हो सके तो सोने पर सुहागा हो जायेगा......... वैसे ये बहुत अच्छा प्रायास था। बहुत खूब.....
बढ़िया!!
आह! कितना भीवत्स दृश्य है।
सच कह रहा हूं मेरी धडकन तेज हॊ रही है, आखॊं के आगे अन्धेरा छा रहा है, हाथ काँप रहे हैं।
हिन्द युग्म पर प्रकाशित श्रेष्ठतम रचनाऒं में से एक।
धन्यवाद।
आप सभी की टिप्पणियाँ मेरे लिये सहायक होंगी। जैसा कि राजीव जी ने कहा मैं उनकी बात से बिल्कुल सहमत हूँ।
हिंदी के शब्दों का ज्ञान थोड़ा कम है अभी..आप लोगों के सहयोग से वो भी धीरे धीरे अच्छा हो जायेगा। और मुझे पूरी उम्मीद है कि आगे की कविताओं में आप मेरे लेखन में सुधार ज़रूर देखेंगे।
करारा व्यंग्य है और इसमें एक आम आदमी के चिंताओं की भी झलक है।
अंग्रेज़ी शब्दों का सफल प्रयोग है।
फ़्री की ऑक्सीजन
ऑनलाइन क्लासिस में ट्रीज़ऑनलाइन.कॉम
फ़ेयर से खरीदेंगे
तपन जी, लगे रहिए। एक दिन आप यूनिकवि क्या राष्ट्रीय स्तर के कवि बनेंगे।
उत्कृष्ठ रचना बधाई
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