उन्हें ना प्यार हो हमसे ना हो भले ही ना हो।
हमें है प्यार उन्हीं से उन्हें पता तो चले।
नज़र में लायें ना हम लाख खताएँ उनकी,
हमारी क्या है खता ये हमें पता तो चले।
बगैर उनके भी हम सीख लेंगे जी लेना,
इसी में उनकी रज़ा है ज़रा पता तो चले।
मुझे तसल्ली मिलेगी कभी जो साथ चलें,
मैं कदम तेज रखूँ और वो आहिस्ता जो चले।
ऐ सनम सोचना फुरसत से मेरे बारे में,
क्या पता कोई नई बात फिर पता ही चले।
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
बगैर उनके भी हम सीख लेंगे जी लेना,
इसी में उनकी रज़ा है ज़रा पता तो चले।
बढिया लिखा है पंकज जी....
मगर हसीनो की रजा का पता इतनी आसानी से लगता कहां है
बहुत अच्छा लिखा है ।
घुघूती बासूती
बहुत सधा हुआ लिखा है पंकज जी, इसे रिकार्ड कर युग्म पर डालें।
*** राजीव रंजन प्रसाद
पंकज जी, अच्छा लिखा है मगर आपके स्तर के अनुरूप नहीं है।
बहुत अच्छा लिखा है......
बगैर उनके भी हम सीख लेंगे जी लेना,
इसी में उनकी रज़ा है ज़रा पता तो चले।
मुझे तसल्ली मिलेगी कभी जो साथ चलें,
मैं कदम तेज रखूँ और वो आहिस्ता जो चले।
बहुत अच्छा लिखा है... गाने में रचना अच्छी लग रही है मगर आप इससे और अच्छा लिख सकते है...
सुनीता(शानू)
मुझे ये नहीं पता कि लोग बिना डूबे, सरसरी निगाह से पढकर टिपिया क्यों देते हैं कि कविता स्तरीय नहीं है।
पंकज जी, हर शेर माशाअल्लाह है।
गाकर जरूर सुनाइयेगा।
'खबरी'
9811852336
बहुत सुन्दर!
इसे गुनगुनाने में मजा आ रहा है -
बगैर उनके भी हम सीख लेंगे जी लेना,
इसी में उनकी रज़ा है ज़रा पता तो चले।
क्या यह इतना आसां है? :)
ऐ सनम सोचना फुरसत से मेरे बारे में,
क्या पता कोई नई बात फिर पता ही चले।
ये पंक्तिया बहुत अच्छी लगी ।
...स्वप्ना
खुबसूरत भाव है।
ऐ सनम सोचना फुरसत से मेरे बारे में,
क्या पता कोई नई बात फिर पता ही चले।
ये शेर खास पसंद आया।
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