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Saturday, June 02, 2007

क्या आपकी कलम राजस्थान की आग बुझा सकती है?


इतिहास में जब आरक्षण जैसी चीज़ लगाये जाने की बात की जा रही होगी तो दूरदर्शियों ने ज़रूर यह नज़ारा देख लिया होगा जो आजकल राजस्थान में दृष्टिगोचर हो रहा है। हर कोई विप्लवित है, क्षुब्ध है। हिन्द-युग्म कलमकारों की धरती है, जहाँ से आवाज़ कलम से उठती है। कवियों का यह मंच अगर राजस्थान की इस आग को लेशमात्र भी बुझा पाया, इससे पहले कि सम्पूर्ण भारतभूमि जातीय संघर्ष से धधकने लगे, अग्निशमक बन पाया तो यह इसकी सफलता होगी। आरक्षण का समाजशास्त्र और जातीय संघर्ष पर हम आपकी काव्य रचनाएँ आमंत्रित करते हैं।

आपको लगता है कि आपकी लेखनी में वो आग है जो इस आग को ठंडा कर सके तो आप अपनी रचनाएँ १० जून २००७ तक rajsthan.sangharsh@gmail.com पर भेजें।

रचनाएँ देवनागरी या रोमन या स्कैनित हों, कुछ भी हो चलेगा।

अंतिम दौर का निर्णय राजस्थान की वयोवृद्ध कवयित्री शकुन्तला जी पवार और सत्यार्थ प्रकाश न्यास, उदयपुर के अध्यक्ष श्री अशोक आर्य करेंगे।

विजेता कवि को 'Aptech Computer Education, Udaipur' की ओर से रु ५०० का नक़द ईनाम दिया जायेगा।

पुरस्कृत रचना को राष्ट्रीय/क्षेत्रिय पत्र-पत्रिकाओं के अलावा २० जून को हिन्द-युग्म पर प्रकाशित किया जायेगा।

उदयपुर से कवि आर्य मनु ने अपने शब्दों में इसी बात को अपने ब्लॉग पर इस तरह लिखा है-

मेरा राजस्थान आरक्षण की आग मे जल रहा है॰॰॰॰॰
क्या है कोई तारणहार, जो मेरे राजस्थान को बचा ले इस आरक्षण के जिन्न से॰॰॰॰
क्योकि अभी तो सिर्फ गुर्जर है॰॰॰और उनके खिलाफ मीणा॰॰॰॰
अगर जाट, माली, करणी सेना, राजपूत भी उठ खडे हुये तो फिर ये धरती ॰॰॰॰॰
इस बार अपने ही खून से नहायेगी॰॰॰॰॰कोई तो बचालो इसे॰॰॰॰

सभी कलमकारो से निवेदन है कि अपनी आवाज़ को बुलन्द करें।
और इस आरक्षण से भारत को निजात दिलवायें ।
प्राणा सूँ भी प्यारो म्हारो राजपूताणो आज आरक्षण री आग मे जल रह्यो है॰॰और इण टेम सगलाँ धोला कपडा (नेता) नीरो रो ज्यान बाँसुरी बजा रह्या है॰॰॰॰आप सभी सूँ अरज (विनती) है क् इण मुस्किल घडी मे म्हाणो साथ देवो अर् कुछ इसी रचना लिखो, जो इण आरक्षण रे भूत ने भगा सकै॰॰॰आप री टिप्पणियाँ / कवितावाँ में सूँ सबसूँ चोखी टिप्पणी / कविता नै रुपया 500/- अक्षरै पाँच सौ रुपयाँ रो पुरस्कार "APTECH Computer Education, Udaipur" री तरफ सूँ दियो जावैलो । इंरी घोषणा २० जून नै कर दि जावैली ।निर्णायक उदयपुर री जानी-मानी कवयित्री "श्रीमति शकुन्तला जी पवार" तथा सत्यार्थ प्रकाश न्यास, नवलखा महल, उदयपुर रा अध्यक्ष श्री अशोक आर्य है।


तो इसमे भाग लीजिए और हमारे साथ मिलकर अपनी आवाज़ बुलंद कीजिए।

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

7 कविताप्रेमियों का कहना है :

Rajeev का कहना है कि -

kal kare so aaj kar , Aaj kare so ab

So everybody is requested to raise their voice as early as possible. It may save one's life.

Unknown का कहना है कि -

i m satisfied with yr writing on topice "rajashthan reservation matter" this type issue are only for politicians. one way solve it to peoples of there mutual understanding. But which are being there totally wrong.

Sachin Jain का कहना है कि -

गर्व होता था मुझे हिन्दुसतानी होने पर,
शर्म आती है मुझे हिन्दुस्तानी होने पर,
क्या-क्या नही हो रहा हमारे हिन्दुस्तान में,
लोग जला रहे लोगो को मजहब के नाम पर,

क्या ये वही धरती है जहाँ भगवान नें जन्म पाया था,
क्या ये वही देश है जो कभी विश्व गुरू कहलाया था,
क्या ये वही जगह है जहाँ से विश्व ने अहिंसा का संदेश पाया था,
क्या यंही के लोगो ने कभी सभी धर्मो को अपनाया था,

यही पर सब धर्मो के लोग दीवाली में दिये जलाते थे,
ईद में सब मिल बाँट कर सेंवईया खाते थे,
सब धर्मो के त्याहारो में खुशियां मनाई जाती थी,
होली में ये धरती रंगो से सतरंगी हो जाती थी,

अब इसी धरती पर लोग लडते है मजहब के नाम पर,
त्योहार भी आजकल डर-डर के मनाये जाते है,
नहीं बटती अब कहीं सेंवईया ईद में,
दिये पटाखे भी अब तो कम जलाये जाते है,

कभी था अपना हिन्दुसतान ऎसा जहाँ सब एक थे,
तब नारा लगता था हिन्दु मुस्लिम सिख ईसाई आपस में है भाई-भाई का,
जब होता था ऎसा, तब गर्व होता था मुझे,
जाने क्यूँ हुआ ऎसा अब शर्म आती है मुझे हिन्दुस्तानी होने पर,

गर्व होता था मुझे कभी हिन्दुस्तानी होने पर,
शर्म आती है मुझे अब हिन्दुस्तानी होने पर……………. सचिन जैन

आर्य मनु का कहना है कि -

आदरणीय मित्रों,

चार दिन तक राजस्थान मे हिंसा और आगज़नी की बेकाबू घटनायें होने के बाद लगता है, राजस्थान वर्षों पीछे चला गया है।प्रदेश गृहयुद्ध के मुहाने पर खडा है। स्वार्थी तत्व आतंक फैलाने मे लगे है।जातीय हिंसा की लपटे कभी भी पूरे प्रदेश को अपनी चपेट मे ले सकती है।आज कोई भी राजस्थान की बात नही कर रहा, जातीय संकीर्णता के स्वर उबाल ले रहे है।प्रदेश धू धू कर जल रहा है, और राजनेता ऍसे मे भी लोगो को उकसा रहे है।
राजस्थान की पहचान पर सवाल खडा हो गया है।कोई गुर्जर तो कोई मीणाऒ की भाषा बोल रहा है।
राजस्थान की चिंता करने वाला कोई नही है।
किसी को इस बात की चिन्ता नही है कि यहा इन के अलावा भी जातियाँ भी रहती है।पक्ष- विपक्ष शान्ति की बात तो कर रहे है, पर घटना स्थल पर जाने की कोई नही सोच रहा।
ऍसा लग रहा है मानो कुछ के हितो के पीछे पूरा राजस्थान झुलस रहा है। सही अर्थों मे यह जन- आन्दोलन होता तो किसी जाति विशेष के हित की बात नही होती। ऍसे मुद्दे पर जन आन्दोलन हो भी नही हो सकता क्योकि यह भी महसूस किया जाने लगा है कि अब आरक्षण का लाभ क्रिमिलियर को नही दिया जाना चाहिये।
आज जो घटनायें राजस्थान को सुलगा रही है, कल वो पूरे भारत मे भी फैल सकती है। तब क्या होगा॰॰॰॰ सोच कर ही सिहर उठता हूँ ।

आप सभी कलम नवीसों से निवेदन है, कि इस मुद्दे को आगे तक ले जायें, तथा आज के राजस्थान और कल के भारत को कैसे बचायें, इस मुद्दे पर अपनी कलम के रुख को मोड दें।

विनोद कुमार ऐलावादी का कहना है कि -

"गृहयुद्ध"
श्री शैलेश भारतवासी, राजीव रंजन प्रसाद, देवेश खबरी, आर्य मनु

आपका संदेश पढा़, आपने लिखा है---" राजस्थान वर्षों पीछे चला गया है।प्रदेश गृहयुद्ध के मुहाने पर खडा है। "

मेरे विचार से इस "गृहयुद्ध" मे ही भारत देश की भलाई है। हमारे संविधान के भूतपूर्व निर्माता, और वर्तमान संशोधन कर्ता, जिन्होने ईस-- "ऍस सी, ऍस टी, ऒ सी बी" , के जिन्न को बोतल से बाहर निकाला है उन सब को इस "गृहयुद्ध" की कबर मे दफन कर के फिर ऍक नये भारत की सरंचना करनी होगी।

इस आग को और फैलने मे ही मेरा भारत इन वर्तमान संशोधन कर्ताऒं के चुंगल से निकल पायेगा।

आज राजस्थान बंद है, कल दिल्ली बंद, फिर भारत बंद, और बहुतों को शहादत भी देनी होगी। हर गली, मुहल्ला जलेगा इस मे। अभी ६ लाशें लावारिस पडी़ है़, मेरे भारत को ६००० ऍसी लाशों का इन्तज़ार है। मगर फिर भी लाचारी है---मेरे यह नेता, भारतवर्ष के नेता इन्ही लाशों पर फिर अपना झडां फैरायेगें, संसद फिर अपना कब्ज़ा जमा कर शपथ लेंगे।

मित्रो, यह सिलसिला चलता रहेगा और हम यहां अपने लेख लिखते रहेंगे।

ललित का कहना है कि -

यदुवंशी कृष्णवंशी हो गुर्ज्जर कितने पूज्य महान!
उन्मत्त क्यों अब बनने को "अछूत" नादान???

आर्य मनु का कहना है कि -

आरक्षण आन्दोलन तो ठहर गया किन्तु अनेक प्रश्न खडे कर गया । सब से बडा प्रश्न तो यह है कि हर जाति यदि अपने हितो के लिये स्वतंत्र आन्दोलन करने लग गई तो लोकतन्त्र का स्वरुप क्या होगा ?क्या निर्वाचन क्षैत्र भी जातीय आधार पर ही तय होंगे ?क्या कोई भी जाति अपने आन्दोलन के नाम पर दूसरे लोगो का सहज रुप से अहित कर सकती है ?जो सम्पत्ति नष्ट हुई वो भी जनता की ही थी ,तो जनता उसे बचाने के लिये आगे क्यो नही आई ? ५ प्रतिशत लोगो के आगे ९५ प्रतिशत झुक गये ?
मण्डल आयोग की सिफारिशों से शुरु हुआ जातीय विद्वेष देश को कहाँ ले जायेगा॰॰॰ आन्दोलन में हथियारो का प्रदर्शन तो हम देख चुके॰॰॰॰पुलिस को घेर कर मारते हुये लोग भी देख चुके । अब आगे का इन्तज़ार हमारी आने वाली नस्ले करेगीं , जिनको हम इतना अच्छा वर्तमान अतीत के रुप मे देकर जायेंगे॰॰॰प्रश्न सम्मुख खडा है, जवाब हम सभी को ढूँढना है॰॰॰॰॰जवाब भेजते रहे॰॰॰॰॰॰हिन्द युग्म आपका इन्तज़ार कर रहा है ।

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