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Sunday, May 27, 2007

सैक्रेटरी


वर्माजी ने जब से
मीना को सैक्रेटरी बनाया है
उनकी धर्मपत्नीजी ने
घर में कोहराम मचाया है

मीना से ज्यादा गुणवान,
योग्यवान धर्मपत्नी के होते
वर्माजी ने यह कदम क्यों उठाया?
शर्माजी ने अफसोस जताते हुए
उनकी धर्मपत्नी को ढ़ढ़ास बंधाया

बातो ही बातो में शर्माजी
कुछ ज्यादा ही गुणगान कर गये
तुम से श्रेष्ठ नहीं सैक्रेटरी कोई
उनकी धर्मपत्नीजी से कह गये

मौका देख वो शर्माजी से बोली,
अब आप ही कुछ कीजिये
ये तो हमारी कद्र करते नहीं
आप ही सैक्रेटरी रख लिजिये

शर्माजी को तो
इसी पल का इंतजार था
अपाइंटमेट लेटर भी
पहले से ही तैयार था

वर्माजी का गुस्सा अब बेकाबू हो गया
लगता है शर्मा डेढ़ स्याणा हो गया
अभी उसकी हेकड़ी ठीकाने लगता हूँ
मैं हूँ क्या चीज, उसको समझाता हूँ

गुस्से से भरे वर्माजी
शर्माजी के घर पहूँच गये
क्या देखा मेरी बीवी में?
पहूँचते ही प्रश्न कर गये

शर्माजी मंद-मंद मुस्काये
फिर प्रेम से बोले, ”अतिथि देवो भव:”
आईये श्रीमानजी, यहाँ पर विराजिये
क्या लेंगे, ठंडा-गर्म, आदेश कीजिये

गुस्सा सेहत के लिये अच्छा नहीं होता,
यह बात आप भी समझ लिजिये
हमारी धर्मपत्नी अभी घर पर ही है
उसे भी सत्कार का एक मौका दीजिये

कहकर शर्माजी ने
अपनी धर्मपत्नी को आवाज लगाई
”क्या है जी?”
वह गुस्से में अन्दर से ही चिल्लाई


“अरे यह तो मीना की आवाज है”
वर्माजी एकदम से उछल पड़े
फिर एक नज़र शर्माजी को देखा, और बोले,
“यार, तुम तो यहाँ भी मुझ पर भारी पड़े”

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20 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

कवि‍राज क्‍या ये कवि‍ता है़।

रंजू भाटिया का कहना है कि -

एक अच्छा हास्य व्यंग है ..कुछ हट के पढ़ने को मिला
अच्छा लगा ...

Unknown का कहना है कि -

अच्छा खासा मजाक है ।

Mohinder56 का कहना है कि -

आटा बाटा हो गया गिरीराज जी, सुन्दर हास्य कविता है... घर की मुर्गी को दाल बराबर समझना कभी कही बहुत मँहगा साबित होता है,
लीक से हट कर लिखने के लिये बधाई

सुनीता शानू का कहना है कि -

गिरीराज जी आज हिन्द-युग्म को आपने एक नया रूप दिया है...जोशी जी आप भी तो शर्मा ही है...
वाह!वाह!वाह!
शर्मा जी और वर्मा जी पर कविता खूब बनाई,
दूध कोरा पिलाया हमको,खा गये सारी मलाई,
पहले हमको ये बतलाओ,
इतनी सुंदर तिकड़म कहाँ से...
आपके दिमाग में आई।

शर्माजी को तो
इसी पल का इंतजार था
अपाइंटमेट लेटर भी
पहले से ही तैयार था...
गौर फ़रमाईयेगा आपकी ही इन पक्तिंयो...
जान बूझकर बेचारे वर्मा जी को फ़साया गया लगता है मुझे तो...:(
बहुत-बहुत बधाई भाई...आपने हँसाया तो सही...
सुनीता(शानू)

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

वाह कविराज, अच्छा हास्य रचा है आपने।
युग्म पर अब सारे रस दिखने लगे हैं।यही हम सबकी सफलता है।
कहानी को कविता में बहुत खूबसूरती से पिरोया है आपने।

Archana Gangwar का कहना है कि -

giriraj ji....

bahut khoob...

bahut kuch kaha, chup ho gaye ,chale gaye
jo bona tha ,boya
aur chale gaye....

ek charitra se naqab hataya hai...
aapki rachna vyang mein achcha massage chore ker ja rahi hai....

Sagar Chand Nahar का कहना है कि -

मजेदार कविता।

डाॅ रामजी गिरि का कहना है कि -

गिरिराज जी, आपकी यह हास्य रचना नितान्त ही मनोरंजक और गुदगुदाने वाली है.
Dr.R Giri

ghughutibasuti का कहना है कि -

वाह गिरिराज जी, मान गये आपको ! क्या कल्पना की है, क्या कविता लिखी है, मजा आ
गया । बहुत बहुत बधाई !
घुघूती बासूती

विश्व दीपक का कहना है कि -

अच्छी हास्य रचना है। प्रतीत होता है कि आपके आस-पास कहीं घटी है यह।

ऋषिकेश खोडके रुह का कहना है कि -

गिरीराज जी, सुन्दर हास्य कविता है ,अपनी पत्नि की अवहेलना का क्या दंड मिल सकता है उसका व्यंग्यात्म रुपक प्रभावित करता है बस अंत थोडा ठंडा लगा |

Anupama का कहना है कि -

aachi haasya ras ki kavita padhwaai hai aapne.....naya kuch padhne ko milta rahe to aacha lagta hai...:)

Gaurav Shukla का कहना है कि -

वाह "कविराज",
अच्छा हास्य है, बहुत धन्यवाद भाई हँसाने के लिये
:-)

सस्नेह
गौरव शुक्ल

Medha P का कहना है कि -

अच्छी हास्य रचना है, शर्मा जी और वर्मा जी....अच्छा मजाक है ।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

गिरि जी,

आपकी एक हास्य कविता आपने निजी ब्लॉग पर भी पढ़ा था, तो मैंने कहा भी था कि आपमें हास्य-कविता की संभावना है, और आपने अपने को बेहतर सिद्ध किया। आप और बेहतर हास्य रच सकते हैं। युग्म पर व्यंग्य कविताएँ तो आई हैं लेकिन हास्य कविताएँ नहीं आई हैं, लगता है अब आप इसकी कसर भी बाकी नहीं रहने देंगे।

पंकज का कहना है कि -

वाह।
बिल्कुल सरल शब्दों में अपनी बात कह गये।
इतना ज़रूर है कि ये 'सेक्रेटेरी' शब्द इतना बदनाम क्यूँ है, मैं आज तक नहीं समझ पाया।
शायद, इस महान कार्य में फिल्मों का योगदान उल्लेखनीय रहा है।

SahityaShilpi का कहना है कि -

युग्म पर कुछ हट कर पढ़ने को मिला। अच्छा है। गिरिराज जी, निश्चय ही आप में अच्छा हास्य लिखने की प्रतिभा है। शुभकामनायें।

राजीव तनेजा का कहना है कि -

बहुत ही सुन्दर प्रयास है...बधाई

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

बिलकुल डिफ्रेंट टेस्ट की कविता, बधाई गिरिराज जी।

*** राजीव रंजन प्रसाद

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