अंतरजाल पर एक वीडियो मुझसे अनायास डाउनलोड हो गया। एक पतले दुबले व्यक्तित्व की सम्मोहित करने वाली आवाज मेरे स्टडी रूम में गूँज उठी
"कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है"
मंत्रमुग्ध हो कर मैंने कई-कई बार उस वीडियो को सुना, उस आवाज़ की खनक, कशिश और गंभीरता ने कविता को आसमान दे दिया था। मेरी उत्कंठा बढ़ गयी कि मैं इस व्यक्तित्व से परिचित हो सकूँ। अंतरजाल जगत में (ऑरकुट पर) इस दरम्यान कुछ विद्यार्थी "डॉ. कुमार विश्वास फैंस क्लब" का जोर-शोर से चर्चा करते मिले, यहाँ यह जानकारी तो मिल सकी कि प्रस्तुतिकरण का यह जादूगर कई हृदयों में पैठा है, किंतु डॉ. विश्वास की दो-एक प्रचलित रचनाओं को छोड़ कर कोई गंभीर सामग्री यहाँ नहीं थी। डॉ. विश्वास की वेबसाईट ( www.kumarvishwas.com) पर भी वही चुनिन्दा रचनाएँ मिलीं और मन को यह क्षोभ सालता रहा कि अभी अंतरजाल जगत किसी कवि को उसकी सम्पूर्ण प्रतिष्ठा और गंभीर रचनाओं के साथ प्रस्तुत करने के लिये तैयार नहीं हो सका है। तथापि यह प्रसन्नता की बात है कि कवि नयी तकनीक को माध्यम बनाने का आरंभ कर रहे है, डॉ. विश्वास जैसे कवियों से यह अपेक्षा इस लिये भी बढती है कि उनके आभामंडल के इर्द-गिर्द युवाओं की अच्छी तादाद है। "हिन्द-युग्म" कृत संकल्प है कि हिन्दी-कविता को अंतरजाल जगत में प्रतिष्ठा प्राप्त हो और यह तभी संभव है कि गंभीर और स्तरीय कविताएँ इस माध्यम से प्रसारित हों, डॉ. विश्वास पाठको की इस क्षुधा के लिये पीयूष होंगे। डॉ. विश्वास का हिन्द-युग्म पर स्वागत करना "हिन्द युग्म" के लिये गर्व का विषय है।
डॉ॰ कुमार विश्वास का जन्म जिला गाजियाबाद के धौलाना में 10 फरवरी 1970 को हुआ था। स्नात्कोत्तर परीक्षा में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त करने के अलावा उन्हें "कौरवी लोकगीतों में अभिव्यक्त लोकचेतना का तुलनात्मक अध्ययन" विषय पर पी.एच.डी की उपाधी प्राप्त है।
उन्होनें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रदत्त, "लघु शोध अध्येतावृत्ति" के अंतर्गत कौरवी लोकगीतों पर शोध कार्य किया। वे "समकालीन हिन्दी गीत: दशा और दिशा" विषय पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी प्राप्त हैं। उन्हें भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा "भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में हिन्दी कविता की भूमिका" विषय पर "कनिष्ठ अध्येतावृत्ति" भी प्राप्त हुई है साथ ही साथ उक्त संदर्भित विषयों पर उन्होंने कई शोध-संगोष्ठियों में भाषण एवं पत्र-वाचन किया है। गत चौदह वर्षों से वे विश्वविद्यालय सेवा में स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं मे अध्यापन कर रहे हैं।
डॉ. कुमार विश्वास का पहला काव्य संग्रह "इक पगली लड़की के बिन" वर्ष 1995 में प्रकाशित हुआ तथा हाल ही में (वर्ष 2007) उनका दूसरा काव्य संग्रह "कोई दीवाना कहता है" हिन्द पाकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित हुआ है। इनके अलावा अनेकों लेख, कविताएं, नाटक, कहनियां तथा समीक्षाएं देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय समय पर प्रकाशित होती रही हैं। उन्होंने लगभग दर्जन भर मानक पुस्तकों की भूमिकाएं भी लिखी है। डॉ॰ विश्वास की रचनाधर्मिता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में "उत्तर भारत की लोकोक्ति कथाएँ", "भारत का स्वाधीनता आन्दोलन और कविता" तथा "लोकगीतों में लोकचेतना" उनके प्रकाशनाधीन कार्य हैं। साथ ही उनका आगामी काव्य संकलन "शिला चन्द्रमुखी" है।
डॉ. विश्वास ने विश्व के कई देशों सहित भारत में आयोजित अनेकों काव्य समारोहों में काव्य पाठ एवं मंच संचालन किया है। उनकी कविताएँ व परिचर्चायें समय-समय पर प्रमुख टी॰वी॰ चैनलों पर प्रसारित होती रही हैं। उनकी प्रतिभा को प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाज़ा भी गया है। उन्हें प्राप्त सम्मानों में समीक्षा, गाज़ियाबाद द्वारा वर्ष "1993 का 'युवा साहित्यकार' पुरस्कार", राष्ट्रीय एकता युवा, जबलपुर द्वारा वर्ष "1993 में 'श्रेष्ठ सृजन पुरस्कार", डा॰ कुंअर बेचैन काव्य सम्मान एवं पुरस्कार समिति, गाज़ियाबाद द्वारा वर्ष "1994 का 'काव्य कुमार' पुरस्कार", अखिल भारतीय नारी एवं बाल विकास परिषद , हापुड द्वारा वर्ष "1994 का "काव्य-गंगा" पुरस्कार", गुंजन कला सदन, मध्य-प्रदेश द्वारा वर्ष "1996 का "नूर जबलपुरी" पुरस्कार", संकल्प, फ़ैजाबाद द्वारा "सवक्तव्य एकल काव्य पाठ एवं सम्मान", चन्द्रपुर (महाराष्ट्र) की साहित्यिक संस्था "पैगाम" द्वारा वर्ष "2001 का "पैगाम पुरस्कार" मानस मंच, कानपुर द्वारा वर्ष 2003 का "लाला बालकराम आहूजा सम्मान", बसन्त मित्र मंडल भागलपुर द्वारा वर्ष 2003 का "राष्ट्रकवि नेपाली सम्मान", साहित्य भारती, उन्नाव द्वारा वर्ष 2004 में "डा॰ सुमन अलंकरण", पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्यिक सेवा संस्था द्वारा "2005 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय सम्मान", नारायण विद्या आश्रम, किशनी द्वारा "2005 में राम शरण गुप्त किशनी स्मृति कवि कौशलेन्द्र सम्मान" हिन्दी-उर्दू अवार्ड कमेटी, उत्तर प्रदेश द्वारा "साहित्य श्री-2006 सम्मान" आदि प्रमुख हैं।
डॉ. विश्वास की कविता सहज सरल भाषा में गंभीर कथ्य प्रस्तुत करने का अनुपम उदाहरण है। उनके बिम्ब सहज अनुभवों से हो कर फूटे हैं। लाग लपेट और लच्छेदार तरीके से कविता कहने से उनका परहेज स्प्ष्ट है।
"तुम अलग हुई मुझसे साँस की खताओं से,
भूख की दलीलों से, वक्त की सजाओं से,
दूरियों को मालूम है दर्द कैसे सहना है
आँख लाख चाहे पर होठ से न कहना है
कँचनी कसौटी को खोट का निमंत्रण है
बाँसुरी चली आओ, होठ का निमंत्रण है"
कविताएँ पढ कर स्वत: ही समझा जा सकता है कि डॉ. विश्वास युवाओं मे इतने लोकप्रिय क्यों हैं। लेकिन गंभीर बातें कहने की कवि की शैली भी उतनी ही सहज है।
" कल नुमाईश में फिर गीत बिके मेरे
और मैं कीमतें ले के घर आ गया"
"पुरुवा के दामन पर दाग बहुत गहरे हों
सागर के माझी मत मन को तू हारना
जीवन के क्रम में जो खोया है, पाना है।
पतझर का मतलब है फिर वसंत आना है।"
" सूरज पर प्रतिबंध अनेको, और भरोसा रातों पर,
नयन हमारे सीख रहे हैं, हँसना झूठी बातों पर।
कविता के अनेकों आयाम डॉ. कुमार विश्वास की लेखनी से सहज ही निकले हैं। उनकी गज़लों के कुछ शेर देखें:
"लोग कहते हैं रूह बिकती है
मैं जहाँ हूँ उधर नहीं मिलती"
"उसने सौपा नहीं मुझको मेरे हिस्से का वज़ूद
उसकी कोशिश है कि मुझसे मेरी रंजिश भी रहे"
"उस सभा में सभ्यता के नाम पर जो मौन था
बस उसी के कथ्य में मौज़ूद तल की बात थी।"
उन्हें सही मायने में इस दौर का कवि कहा जा सकता है, उन्होंने पीढ़ी की नब्ज़ पकड़ी हुई है साथ ही साथ कविता के स्तर से भी समझौता नहीं किया। तभी डॉ. धर्मवीर भारती ने कहा था " कुमार विश्वास के गीत 'सत्यम शिवम सुन्दरम' के सांस्कृतिक दर्शन की काव्यगत अनिवार्यता का प्रतिपादन करते हैं। कुमार के गीतों में भावनाओं का जैसा सहज, कुंठा हीन प्रवाह है, कल्पनाओं का जैसा अभीष्ट वैचारिक विस्तार है तथा इस सामंजस्य के सृजन हेतु जैसा अद्भुत शिल्प व शब्दकोश है, वह उनके कवि के भविष्य के विषय में एक सुखद आश्वस्ति प्रदान करता है"। डॉ. गोपाल दास नीरज जी के शब्दों में "डॉ. कुमार विश्वास हमारे समय में एसे सामर्थ्यवान गीतकार हैं, जिन्हें भविष्य बड़े गर्व और गौरव से गुनगुनायेगा"। प्रसिद्ध हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा के अनुसार वे इस पीढ़ी के एकमात्र ISO 2006 कवि हैं।
रचनात्मकता का प्रसार आज समाज को विखंडन से बचाने के लिये आवश्यक है। कविता का पुनर्जीवन तभी संभव है जब कवि पत्रिकाओं, मीडिया के अलावा अंतरजाल की ताकत को भी पहचानें। आज की, वक़्त न होने का रोना रोने वाली पीढ़ी, यदि कम्प्यूटर पर कवितायें पढ कर आनंदित होने लगे तो समझिये नया सवेरा हुआ। इसके लिये अंतरजाल पर स्तरीय सामग्री पहुँचाने की आवश्यकता है साथ ही ख्यातिनाम कवियों को इस माध्यम से संप्रेषित होने की जरूरत। मैं "हिन्द-युग्म" के इस मंच पर डॉ. कुमार विश्वास का स्वागत करते हुए उनसे अनुरोध भी करना चाहूँगा कि अंतरजाल जगत आप जैसे कवियों की ओर इस अपेक्षा से देख रहा है कि यह माध्यम साहित्य की समाज में पुनर्स्थापना का हथियार बन सके। हमने अपेक्षा तो की थी कि डॉ. विश्वास नियमित रूप से हिन्द-युग्म पर कवितायें प्रेषित कर सुधी पाठको की क्षुधा शमन करें, किंतु उन्होंने अपने निजी सचिव के माध्यम से बताया कि वे अतिथि कवि, समालोचक एवं स्तंभ लेखक के रूप में युग्म से जुड़ना चाहेंगे। हम उनका इस महत्व पूर्ण कार्य की सहमति प्रदान करने के लिये अभिनंदन करते हैं।
फ़िलहाल ख़बर यह है कि डॉ॰ कुमार विश्वास को अतिथि कवि के रूप में हिन्द-युग्म से जोड़ा जा रहा है। डा॰ कुमार विश्वास अपनी कविताएँ एक-एक करके प्रत्येक माह के तीसरे बुधवार को हिन्द-युग्म पर प्रकाशित करेंगे। मतलब १६ मई को पाठक इनकी प्रथम कविता का मज़ा ले सकते हैं। वैसे हिन्द-युग्म के पाठकों से उन्हें इतना प्यार मिलेगा कि वो भी नियमित कवि बनना चाहेंगे, ऐसा युग्म का विश्वास है। सबसे बड़ी बात यह होगी कि अब पाठक डॉ॰ विश्वास से सीधे संवाद कर सकेंगे। उनकी कविता के बारे में अंतरजालीय पाठक जो भी सोचते हैं, सीधे विश्वास जी तक पहुँचेगा और कुमार भी लोगों के शंकाओं का समाधान कर सकेंगे। तो गर्मजोशी से स्वागत कीजिए कुमार विश्वास का हिन्दी-ब्लॉगिंग की दुनिया में।
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27 कविताप्रेमियों का कहना है :
हिन्द युग्म को जाने हुए अभी मुझे 15 दिन भी नहीं हुए, और अब विश्वास जी की कविता पढने को मिलेगी, ये सोच कर ही मन इतना खुश हो रहा है| मन कर रहा है कि अभी लिख डालें वे अपनी सारी कवितायें और मैं फ़टाफ़ट उन्हें पढ़ डालूँ.. :)| दर असल पहले उनका वीडियो देखा था.. तभी से उनका प्रशंसक बन गया|3 साल हुए उन बातों को.. और फ़िर उनकी ओर्कुट पर कम्युनिटी..पर जैसा कि राजीव जी ने यहाँ कहा, मुझे भी उनकी 2 कविताओं से ज्यादा कुछ भी नहीं पता था|उनकी वेबसाईट पर भी इतना सब कुछ नहीं लिखा हुआ था|आज उनके बारे में बहुत बातें पता चलीं.. मैं इस ब्लोग के माध्यम से उनका स्वागत करता हूँ और हिन्दयुग्म को धन्यवाद करता हूँ कि आप लोगों की वजह से ऐसे कवि से सीधे संवाद करने का मौका मिल पायेगा| आपका स्वागत है विश्वास जी।
बहुत खु्शी हो रही है ये जान कर कि अब हमे विश्वास जी कि कविताएँ सु्नने को मिलेंगी...
हिन्द-युग्म पर उनका हार्दिक स्वागत है,..
सुनीता(शानू)
Kumar Vishwas ji ka hind-yugm pe swaagat hai. Humaara yeh bhagya hai ki hum unse ab antar-jaal par baat kar paayenge.
Kumar vishwas ji ki doosri kavita sangrah "Koi deewana kahta hai" , iit kharagpur mein hi wimochit hui thi, jahaan se main hoon. So, meri utsukta unhein sunane ki bahut hi jyaada hai.
aapka yugm par haardik swagat hai
राजीव जी ने हिन्द-युग्म को कुमार विश्वास के रूप में जो हीरा दिया है, उसके लिए हिन्द-युग्म इनका हमेशा ऋणी रहेगा। कुमार जी जैसे अनुभवी कवयिता के उपस्थिति निश्चित रूप से हमारे प्रयास की ही सराहना होगी। कुमार विश्वास जी का हिन्द-युग्म पर हार्दिक अभिनंदन।
राजीव जी आपने ठीक ही कहा है कि कुमार जी अंतरजाल के पाठकों से इतना प्यार पायेंगे कि खुद ब खुद अतिथि कवि से नियमित कवि बनना चाहेंगे। इन्हें भी अन्य कवियों की भाँति अपने वार का इंतज़ार रहेगा।
कुमार जी के संदर्भ में यह कहा जाय कि ये आई आई टी, आई आई एम के कवि हैं तो गलत नहीं होगा। जब भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों में ये काव्य-पाठ करते हैं तो पूरा का पूरा विद्यार्थी-समूह झूमने लगता है।
aaj jab pata chala ki Kumar Vishwas sahab hind yugm par padhar rahe hain to man prasannta se khil gaya........maine unki rachna 'Pagli ladki' suni thi aur tab se unhe sun ne ya padhne ka bahut man tha........ab ye khwaish bhi puri ho jaayegi.........umeed hai jald hi kumar sahab niyamit kavi ban jaayenge taaki hum unki rachnaon ka aanand har hafte uthaya karein.......Kumar sahab 'Hind Yugm' par aapka swagat hai
विश्वास जी आपका स्वागत है हिंदी युग्म पर ..अभी तक आपका लिखा सुना था अब रु बरू आपसे बात हो पाएगी यह सोच के ख़ुशी हो रही है .....आपकी लिखी रचना का हम सबको बेसब्री से इंतज़ार है !!
bahut khush kismath hai hum ki vishwasji jaisi mahan hasthi se hamara sampark bane rahega, haardhik swagath hai aapko
हिन्द-युग्म पर कुमार विश्वास जी का हार्दिक स्वागत है
राजीवजी,
डॉ. विश्वासजी के जीवन से इतना नजदीकी परिचय करवाने के लिये आपका आभार!
मैंने भी आपकी तरह डॉ. विश्वास की रचनाओं को अंतरजाल पर कईं जगह तलाशा, मगर हर जगह वही दो तीन रचनाएँ ही हाथ लगी, हाँ "यू-ट्यूब" पर उन रचनाओं को सुनने में जरूर मजा आया।
"हिन्द-युग्म" पर विश्वासजी की रचनाएँ प्रकाशित होने से पाठकों की यह इच्छा तो पूर्ण होगी ही, साथ ही वे डॉ. विश्वास जैसे कवियों से टिप्पणीं द्वारा सीधे संवाद भी कर सकेंगे।
आपका यह प्रयास निश्चय ही सरहानिय है। डॉ. कुमार विश्वास का "हिन्द-युग्म" पर हार्दिक अभिनंदन!
कुमार विस्वास जी को मैनें बहुत सुना है, अपने कम्प्यूटर पर। अच्छा है अब उनसे दो-दो हाथ का भी मौका मिलने वाला है। उम्मीद करता हूँ कि उनके हिन्द-युग्म पर पधारने से हिन्द-युग्म का मान तो बढ़ेगा ही; कवियों को अच्छी प्रतिस्पर्धा मिलने के कारण रचनाओं का स्तर बढ़ेगा; परिणामस्वरूप हिन्दी समृद्ध होगी। जोकि हिन्द-युग्म की मंज़िम है। तो, आइये डाक्टर साहब, आप का स्वागत है।
सच ...कुमार विश्वास जी के हिंदी युग्म पर आने की जितनी ख़ुशी मुझे हुई है उतनी किसी को नही इस बात को में दावे से कह सकता हूँ..!
जब मैं अपने कॉलेज के समारोहों में कुमार विश्वास जी की प्रसिढ्ध लाइने "कोई दीवाना कहता है" की पेरोडी सुनता हूँ तो सचमुच सारे श्रोता झूम उठते हैं. और कुमार जी के अंदाज़ की अदनी सी नक़ल करके मुझे जो वाह-वाही मिलती है उसे देखकर मैं कल्पना करता हूँ कि जब कुमार जी मूल रचना का जब स्वयं ही पाठ करते होंगे तो श्रोताओं को कितना आनंद आता होगा ?
बहुत ढूँढा... पर इनकी एक-दो रचनाओं से ज़्यादा कुछ कही नही मिल सका | और अब अचानक ही इनकी कविताए ना सिर्फ़ पढ़ने को मिलेंगी बल्कि इनसे सीधे संवाद करने को भी मिलेगा , इस विचार से ही ह्रदय प्रफुललित हो उठा है |
तो कुमार विश्वास जी का स्वागत करने के लिए इनकी वही लाइने जो मुझे सबसे ज़्यादा पसंद हैं मतलब कि "कोई दीवाना कहता है" ...उसी की नकल करके मैने कुछ लिखा है | मुझे पता है कि कुमार जी का स्वागत करने के लिए यह तुच्छ सी पेरोडी काफ़ी नही परंतु फिर भी अगर आप इन्हे कुमार विश्वाष जी के अंदाज़ मैं ही एक बार गुनगुना लें तो मैं अपना प्रयास सफल समझूंगा ....|
तो अर्ज़ किया है ......
" हर इक पाठक ह्रदय से आज इनका स्वागत करता है ...
हिंदी युग्म पर इनका ही अब तो चर्चा चलता है ...
कि मदिरा के ये प्याले हैं नशा जिससे छलकता है..
इनकी आमद से दामन हमारा आज महका है " |
कुमार जी आपका हिंदी युग्म पर ह्रदय से स्वागत है....|
डॉ.कुमार विश्वासजी के जीवन से इतना नजदीकी परिचय करवाने के लिये आभार!
बहुत खु्शी हो रही है, कि अब हमे कुमार विश्वास जी कि कविताएँ सु्नने को मिलेंगी.
हिन्द-युग्म पर उनका हार्दिक स्वागत है.
इनकी कुछ कवितायें मैने youtube पर देखी-सुनी हैं..
"उस पगली लड़की के बिन जिना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है"
एवं
"कोई दिवाना कहता है कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बैचेनी तो बस बादल समझता है"
प्रस्तुति का कमाल का अंदाज है आपका....
इंतजार रहेगा ....
मै नागपुर में रहता हूँ। यहाँ हिन्दी कार्यक्रम कम होते हैं। मुझे कुमार विश्वास जी की कविता का विडियो देखने मिला इन्टरनेट पर। पहली बार में ही प्यार हो गया, उनकी कविता से, कविता कहने की अदा से।
वें हिन्द-युग्म के साथ जुड रहें हैं इसे मैं अपना अहोभाग्य मानता हूँ। अब उनकी ताज़ा रचनाए तुरंत पढ़ने मिलेंगी। उनके साथ साहित्य चर्चा हो पाएगी।
कुमार विश्वास जी का हिन्द-युग्म पर हर्षपूर्ण स्वागत है। आपसे जुडकर आपकी उर्जा से हम और भी प्रकाशमान होंगे इस बात का मुझे विश्वास है।
आप ज़िंदा दिल कवि हैं
आपको युवको की नब्ज़ पता है
आपका लिखा अक्षर अक्षर
अर्थशक्ति से सजा है
अब आपका ईंतज़ार कर रहें है, जल्दी आइये।
आपका प्रशंसक, तुषार जोशी, नागपुर
डा. जी का हार्दिक स्वागत और अभिन्नदन
आशा है कि आप अपना अधिक से अधिक अमूल्य समय हिन्द युग्म को देगें।
सुस्वागतम् विश्वास जी,
राजीव जी हार्दिक धन्यवाद आपको कि आदरणीय विश्वास जी जैसे अनुभवी और प्रतिष्ठित प्रतिभा को आपने "युग्म" से जोडा|हमारे सभी कविमित्र विश्वास जी के अनुभवों से लाभान्वित होंगे|
"हिन्द-युग्म" निरन्तर उपलब्धि पर उपलब्धि प्राप्त कर रहा है, यह स्वयं ही सभी सदस्यों के प्रयासों और युग्म की सफलता का ही द्योतक है|
शुभकामनाये
पुनः हार्दिक अभिनन्दन कुमार विश्वास जी का
सस्नेह
गौरव शुक्ल
jinhe aaj tak manch se sunte rahe aaj humare hindi ugm par hai ....aho-bhagyam
DR vishwas ji k hind-yugm per aane ki khabar sun kar prasannta mil rahi hai.aur maine pahli baar aap ko IT-B H U per kavya sanchlan karte dekha. tab se hi kafi prabhavit hoon. aab toh aap se robroo hone ka mauka milega. hind- yugm aagman per aap ka hardik swagat.
It gives me immense pleasure that a poet like Dr. Vishwas is going to be with us on Hind Yugm. It is our proud privilege to have his poems on Hind yugm and we all will be able to get benefit of the same.
Is Surmayi Ganga ke Hind Yugm Aagman par main tahdil se hardik swagat avam Abhinandan karta hoon.
Thanx and Regards,
Rsjeev Pandya
Asst Manager HR
परिचय भाग मे उनकी कविताओं के कुछ अंश मंत्र मुग्ध कर गए,विश्वास जी की कविताओं का इंतज़ार रहेगा।
दो बरस पहले आई.आई.टी. रुड़की में एक कवि सम्मेलन की आयोजक मंडली में से मैं भी एक था और वह पहला अवसर था जब कुमार विश्वास जी से सीधे संवाद का मौका मिला.
'कोई दीवाना कहता है' में जाने क्या नशा है कि सुनने वाला हर शख्स झूम उठता है.मैं भी कई दिनों तक उस गीत के नशे में झूमता रहा.उनकी बाकी रचनाएं कहीं और पढ़ने को नहीं मिली और वही एक गीत मन में गूंजता रहा.लेकिन उनकी वही एक रचना यह अनुमान लगाने के लिए काफी थी कि उनके लेखन में कितना दम होगा.
आपने बताया था कि आपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही साहित्य पढ़ने के लिए छोड़ दी थी. शायद यही कारण है कि आप अब भी उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों में अधिक लोकप्रिय हैं तथा आई.आई.टी. तथा आई.आई.एम. के कवि कहे जाते हैं.
आपसे संवाद का अवसर मिलना बहुत गौरव का विषय है. आपका स्वागत है.
कोई स्वागत है कहता है कोई सर को झुकाता है
कोई तारीफ कविवर की जमाने को सुनाता है।
सुना जबसे है आना आपका महफिल में यारों की
हर इक पाठक तुम्हारी राह में पलकें बिछाता है।
कई बार सुना है डॉ साहब को और इनके संचालन का तो जबाब ही नहीं है। स्वागत है।
Dr. Kumar Viswash is the king of hindi geet.
एक ऐसी रचना जो सीधे दिल को छू लेती है आवाज का ऐसा जादू बहुत कम मिलता है !
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