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Sunday, April 15, 2007

माँ, क्या तुम्हारा कर्तव्य नहीं?


...तुम कहती हो,
हर सवाल का जवाब है
तुम्हारे पास...सच?
जवाब दे पाओगी?
कल, जब पूछा जायेगा…

“दादी, पेड़ क्या होता है?”

खुला मैदान,
लहलहाती हरियाली,
और
छत पर सूखते कपड़ों के बीच
तुम्हारी तस्वीरें...

क्या बतला पाओगी?
बरसों बाद,
जब पूछा जायेगा...

“दादी, तुम किस ग्रह पर रहती थी?”

परिवर्तन नियम है,
आवश्यक है…
मगर
अपनी जड़ों को,
संस्कृति को,
सहजकर रखना
तुम्हारा कर्तव्य नहीं?

तुम माँ हो,
संस्कारदात्री हो,
समय की इस अंधी दौड़ में,
अपने अंश को संभालों
वरना
एक दिन, तुम
निरूत्तर हो जाओगी...

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30 कविताप्रेमियों का कहना है :

ePandit का कहना है कि -

एकदम सही कहा, भौतिकवाद की ये आंधी ऐसे ही चलती रही तो ये दिन दूर नहीं।

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

गिरिराज जी..
बहुत ही सुन्दर कविता। एक पर्यावरण वैज्ञानिक होनें के नाते मैं जानता हूँ कि आप सच कह रहे हैं। जो कुछ आज सुन्दर है- प्रकृति, प्रवृति या संस्कृति मिटती जा रही है। माँ को आपने कटघरे में खडा कर गंभीर सवाल पूछा है..और यह उत्तर भी माँ के ही पास है। माँ चाह ले तो कभी निरुत्तर न हो।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Mohinder56 का कहना है कि -

गिरिराज जी
आज के परेवेश में आप की कविता अक्षरशय: सत्य है..
संसाधनो का अमानुषिक दोहन आने वाले समय में इस पृथ्वी को रहने लायक ग्रह नही रहने देगा.. अभी से कुछ करने की आवश्यकता है

Anonymous का कहना है कि -

बहुत बहुत ही सुन्दर कवित

Unknown का कहना है कि -

बढिया कविता कविराज......

अफ़लातून का कहना है कि -

बढ़िया ।

Manish Kumar का कहना है कि -

अच्छा लिखा है गिरिराज !

Udan Tashtari का कहना है कि -

सही है.

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

परिवर्तन के नाम पर हो रहे विध्वंशक नवीनीकरण से सभी का मन संतापित है। वैसे में आपने कविता के माध्यम से माँ-पुत्र के मानसिक प्रश्नों के माध्यम इस दर्द को खूब उकेरा है। आप हर बार बेहतर होते जा रहे हैं।

ghughutibasuti का कहना है कि -

बहुत सही लिखा है ।
घुघूती बासूती

सुनीता शानू का कहना है कि -

सबसे खूबसूरत लिखा है,...
तुम माँ हो,
संस्कारदात्री हो,
समय की इस अंधी दौड़ में,
अपने अंश को संभालों
वरना
एक दिन, तुम
निरूत्तर हो जाओगी...
माँ ही होती है जो औलाद को अच्छे संस्कार देती है अच्छे विचार देती है,अच्छी परवरिश देती है, जिन्दगी की पहली सीड़ी भी माँ ही चढ़ना सिखाती है
बहुत अच्छी रचना है
सुनीता(शानू)

Unknown का कहना है कि -

samyik kavita..is kavita ne mujhe apni zimmedarion ke prati aur sajag rehne ka ehsas kara diya...[:)]

Unknown का कहना है कि -

तुम माँ हो,
संस्कारदात्री हो,
समय की इस अंधी दौड़ में,
अपने अंश को संभालों
वरना
एक दिन, तुम
निरूत्तर हो जाओगी...



bahut acha likha hai....

योगेश समदर्शी का कहना है कि -

बात एकदम सही है.
अंदाज भी काफी दमदार है

रंजू भाटिया का कहना है कि -

परिवर्तन नियम है,
आवश्यक है…
मगर
अपनी जड़ों को,
संस्कृति को,
सहजकर रखना
तुम्हारा कर्तव्य नहीं?

बहुत सच लिखा है आपने .

Sagar Chand Nahar का कहना है कि -

कविता अच्छी लगी।

पंकज का कहना है कि -

बेहतरीन, सोच और उससे भी बेहतरीन परिकल्पना़।
क्या बात है़।
बस रचना थोड़ी छोटी लगी; जबकि मैं कविता में खोया था, कविता खत्म हो गयी।

पंकज बेंगाणी का कहना है कि -

बेहतरीन...

आज आधुनिकीकरण की अन्धी दौड मे कट रहे पेडो को देखकर अफसोस होता है पर कल हम अफसोस करने के लिए बचेंगे भी नही..

शायद कोई नही चेतेगा जब तक कि पानी सिर के उपर से बहने नही लगेगा.

Medha P का कहना है कि -

Subject matter serious honeke bawajud aapne Maa ko sawal puchkar, sensitive kavita likh dali hai.

Pramendra Pratap Singh का कहना है कि -

सटीक विषय पर उत्‍त्‍म कविता

ऋषिकेश खोडके रुह का कहना है कि -

वर्तमान की अंधी दौड को कुशलता से आपने दर्शाया है, आज सचमुच माता-पिता के पास वर्तमान प्रश्नो के उत्तर नही है और अनेक अवसरों पर उत्तर होते हुवे भी हमारे बडे निरुत्तर ही रहा जाते है क्योकी युवा के पास उसे समझने और सुनने का समय व सामर्थ नही है
भूतकाल पर उठाया गया आपका प्रश्न नि:संदेह प्रशंसा के लायक है , सच में आज वो कुछ नही जो कभी था फिर चाहे वो दादी की तस्वीर, पेड-पौधे हो या हमारे संकार.

Srijan Shilpi का कहना है कि -

अपने आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण और धरती के संसाधनों के संरक्षण के लिए जागरुक करना पिछली पीढ़ी का परम कर्तव्य है। यदि वह अपने कर्तव्य को ठीक से नहीं निभाती तो उसे न सिर्फ निरुत्तर होना पड़ेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों द्वारा कोसे जाने के लिए भी तैयार रहना होगा।

प्रेरणादायी भावों से युक्त बहुत सुन्दर कविता।

गरिमा का कहना है कि -

सच्ची सुन्दर और अच्छी कविता। प्रेरणापद और सार्थक कविता के लिये बधाई :)

Anonymous का कहना है कि -

ek dm sacchi sateek baat ki hai aapne...paryavaran kaa khayaal rakhna hamara uttardaaitya hai...
apni baat kahene ke liye jo maadhyam chuna hai maa aur bete kaa wo bhi aacha hai.
bhadhaai sweekaaren

Upasthit का कहना है कि -

अतीत और वर्तमान के बीच खोकर गिरिराज ने कविता लिखी है, जो ऐसे विषय पर है कि अच्छी ही लगेगी...सो लग रही है, गिरिराज की कोई गलती नहीं, वो एक अच्छे(तात्पर्य सक्षम) कवि हैं ।
पर्यावरण संरक्ष्ण एक दायित्व है जिसे यदि इसी भांति हम समझ सकें तो यही ठीक....

divya का कहना है कि -

ji bahut samyayik rachna hai ye....ye sawaal bhayavah hai...iska uttar jald hi khojna hoga.....

divya का कहना है कि -

ji bahut samyayik rachna hai ye....ye sawaal bhayavah hai...iska uttar jald hi khojna hoga.....

rohan का कहना है कि -

wwwwwooooowwww gr8 mind blowing awesome

mastering enterprise का कहना है कि -

Technology Blog

Evraksız voip का कहना है कि -

evraksız voip

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