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Wednesday, March 21, 2007

तुझे चलना है तू चलता चल


क्या सोच रहा राहगीर, तुझे चलना है तू चलता चल।
क्यूँ पग रोक रहा राहगीर,तू मंज़िलों पे बढ़ता चल।।
है चलना तेरी ज़िन्दगी,
है बढ़ना तेरी ज़िन्दगी,
विकास तेरा धर्म है,
तू धर्म-पथ पे बढ़ता चल।

क्या सोच रहा राहगीर, तुझे चलना है तू चलता चल।
क्यूँ पग रोक रहा राहगीर,तू मंज़िलों पे बढ़ता चल।।

अवश्य लक्ष्य दूर है,
अभाव भी ज़रूर है,
सुवर्ण है तू सिद्ध कर,
कसौटी से गुज़रता चल।

क्या सोच रहा राहगीर, तुझे चलना है तू चलता चल।
क्यूँ पग रोक रहा राहगीर,तू मंज़िलों पे बढ़ता चल।।

लुभावने से फूल हों,
या ख़ंज़रों से शूल हों,
सतर्क रह,सजग तू रह,
अडिग त रह के बढ़ता चल।

क्या सोच रहा राहगीर, तुझे चलना है तू चलता चल।
क्यूँ पग रोक रहा राहगीर,तू मंज़िलों पे बढ़ता चल।।

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8 कविताप्रेमियों का कहना है :

SahityaShilpi का कहना है कि -

अवश्य लक्ष्य दूर है,
अभाव भी ज़रूर है,
सुवर्ण है तू सिद्ध कर,
कसौटी से गुज़रता चल।

कुछ पँक्तियाँ प्रभावित करतीं हैं। परंतु लय में कुछ अवरोध अखरता है।

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

बहुत आशावादी गीत लिखा है आपने..प्रभावी पंक्तियाँ हैं:

"सुवर्ण है तू सिद्ध कर,
कसौटी से गुज़रता चल"

"लुभावने से फूल हों,
या ख़ंज़रों से शूल हों,
सतर्क रह,सजग तू रह,
अडिग त रह के बढ़ता चल"

बढे चलिये पंकज जी....

*** राजीव रंजन प्रसाद

रंजू भाटिया का कहना है कि -

है चलना तेरी ज़िन्दगी,
है बढ़ना तेरी ज़िन्दगी,

अच्छी है यह रचना ....

विश्व दीपक का कहना है कि -

कई पंक्तियाँ बहुत हीं प्रभावी हैं। मसलन->

है चलना तेरी ज़िन्दगी,
है बढ़ना तेरी ज़िन्दगी,

अवश्य लक्ष्य दूर है,
अभाव भी ज़रूर है,
सुवर्ण है तू सिद्ध कर,
कसौटी से गुज़रता चल।

लुभावने से फूल हों,
या ख़ंज़रों से शूल हों,
सतर्क रह,सजग तू रह,
अडिग त रह के बढ़ता चल।

अच्छी रचना है। बधाई स्वीकारें।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

विकास तेरा धर्म है

वाह! पंकज जी!

क्या बात कही है! यह बात गर युवाओं को समझ में आ जाये तो वे बड़ी-२ बाधाएँ पार कर लें।

Upasthit का कहना है कि -

गवैया कवि की रचना, कविता कम गीत अधिक लग रही है, और लोग बाग आरोप लगा रहे हैं कि लय ठीक नहीं । कवि का क्या कहना है, जानने की इच्छा है....
गीत है...और एक सार्थक गीत है..भाव उतने प्रभावी नहीं चाहिये, हां गति हो, सो है..बधाई गवैया कवि को ।
पर भाषा में गवैया तत्सम के बीच गंगा जमुनी सन्स्क्रूति का परिचय देते हुये..राह्गीर और मंजिल को पेल देते है...तो लगता है कि..यदि तत्सम मे ही रहते तो गीत प्रभावी भी बन जाता..

Anonymous का कहना है कि -

सुन्दर गीत.

Unknown का कहना है कि -

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