फटाफट (25 नई पोस्ट):

Thursday, March 01, 2007

पुरस्कार-राशि बढ़ गई है इस बार


यह लगभग परम्परा जैसी बन गई है कि हम प्रत्येक माह के प्रथम दिवस को उस माह की
इनामी प्रतियोगिता 'हिन्द-युग्म यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता' के शुरुआत की उद्‌घोषणा
करते हैं। जनवरी और फ़रवरी अंकों में लेखकों और पाठकों की सक्रिय भागीदारी को देखकर
हमारा मन उत्साहित है और हम अधिक ऊर्जा के साथ इस माह के लिए यूनिकवियों से उनकी अप्रकाशित कविताएँ (महत्वपूर्ण- मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं के अतिरिक्त
गूगल, याहू समूहों में प्रकाशित रचनाएँ, ऑरकुट की विभिन्न कम्न्यूटियों में प्रकाशित
रचनाएँ, निजी या सामूहिक ब्लॉगों पर प्रकाशित रचनाएँ भी प्रकाशित रचनाओं की
श्रेणी में आती हैं) आमंत्रित कर रहे हैं तथा पाठकों को बताना चाह रहे हैं कि उनके लिए इनामी
राशि को रु २००/- से बढ़ाकर रु ५००/- किया जा रहा है जिसमें रु ३००/- का नकद पुरस्कार
और रु २००/- तक की पुस्तकें शामिल हैं।

पाठक एक महीने में कम से कम ३५ कविताएँ पढ़ता है और बहुत धैर्य के साथ समालोचनाएँ लिखकर कवि को कविता का समाजशास्त्र सिखलाता है, फिर हमारा भी तो यह दायित्व बनता है
कि उसके लिए अपनी क्षमतानुसार कुछ करें? हम उसके देवनागरी-प्रेम का सम्मान करते हुए
पुरस्कार-राशि को ढाई गुना कर रहे हैं। यूनिकवि के लिए पुरस्कार-राशि, पुस्तकें और प्रशस्ति-
पत्र पूर्व में किये गये उद्‌घोषणानुसार ही हैं (विजेता कवि को प्रथम सोमवार के लिए रु ३००/-
और अन्य तीन सोमवारों के लिए रु १००/- प्रति सोमवार का नकद इनाम, रु १००/- तक की पुस्तकें और प्रशस्ति-पत्र दिया जाता है। सम्पूर्ण विवरण यहाँ है)


अभी भी कुछ अच्छे कवियों/कवयित्रियों ने शरमाना नहीं छोड़ा है। जब उनसे प्रतियोगिता के
लिए कविता भेजने का निवेदन करो तो शरमाकर उत्तर देते/देती हैं "हम और प्रतियोगिता
के स्तर की कविता, क्या बात करते हैं!"

मगर जिन्होंने इससे ऊपर उठकर अपनी रचनाएँ भेजीं वे लिखने के लिए प्रोत्साहन पाकर
लेखन-आवृत्ति में वृद्धि कर रहे हैं।
आप जिस भी भाषा में कुछ लिखते-पढ़ते हैं, उस भाषा को दूसरों तक, आगे आने वाली पीढ़ियों
तक हस्तान्तरित करते हैं। भाषा को समृद्ध और दीर्घायु बनाने में, ऐसे लोगों का बहुत बड़ा
योगदान होता है।
क्या आप हिन्दी-भाषा, मातृभाषा, राजभाषा के लिए अपना योगदान नहीं देना चाहते? निस्संदेह
चाहते हैं।
फिर यह झिझक कैसी? कैसी विवशता?
इंटरनेट पर देवनागरी में लिखना अब मुश्किल नहीं रहा, रोमन में लिखने की तरह सरल हो
गया है। किसी भी तरह की परेशानी के निवारण हेतु यह ब्लॉगरों का समुदाय है न! फिर आइए
और हमारा सहयोग दीजिए।

रचनाएँ भेजने की अंतिम तिथि- १५ मार्च २००७,

यूनिपाठकों को तो भैया प्रतिदिन आना होता है।

विशेष- प्रतियोगिता में भाग लेने से पूर्व प्रतियोगिता के नियमों व शर्तों को यहाँ अवश्य पढ़ लें।

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

टिप्पणी देने वाले प्रथम पाठक बनें, अपनी प्रतिक्रिया दें ।

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)