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Tuesday, February 20, 2007

यादों की तितलियां




बिछुड कर मुझसे तुम
हर सू हो गये हो
पहले सिर्फ मेरी ज़ॉं थे
अब रूह हो गये हो

तलाशने की तुमको
अब जरूरत नही रही
हवाओं मे घुल के अब तुम
खुशबू हो गये हो

तम्हारे लिये अव सफर,
सफर नही रहा
फासलों से हट कर
खुद मंजिल हो गये हो

जब तक रहे करीब
न एहसास कर सका
जाना तुम्हारी कीमत
जब तुम दूर हो गये हो


रातों को, यादों की तेरी
दिल में तितलियां उडें
नीदें उडा के मेरी
खामोश सो गये हो

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13 कविताप्रेमियों का कहना है :

ghughutibasuti का कहना है कि -

तम्हारे लिये अव सफर,
सफर नही रहा
फासलों से हट कर
खुद मंजिल हो गये हो
बहुत खूब !
घुघूती बासूती
ghughutibasuti.blogspot.com
miredmiragemusings.blogspot.com/

Tushar Joshi का कहना है कि -

मोहिन्दर जी,
आपकी रचना बहुत पसंद आयी। मैने आपकी रचना को एक गीत की शक्ल देकर यहाँ प्रस्तुत किया है। आप देखें और मुझे आपकी राय बताएँ।

http://tusharvjoshi.mypodcast.com/2007/02/biChuDakar_mujhase_tum_mohindar_kumar-2309.html

आपका प्रशंसक
तुषार जोशी नागपुर

SahityaShilpi का कहना है कि -

बहुत अच्छी रचना है, मोहिन्दर जी। वास्तव में जिसे हम चाहते हैं, वो बिछड़ने के बाद और भी करीब हो जाता है। कहीं कहीं शब्दों पर नियंत्रण कुछ शिथिल अवश्य हुआ है, पर कुल मिलाकर कविता बहुत अच्छी बन पड़ी है। बधाई स्वीकारें।

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

सुन्दर विरह काव्य

"बिछुड कर मुझसे तुम
हर सू हो गये हो ..अब रूह हो गये हो"

"हवाओं मे घुल के अब तुम खुशबू हो गये हो"

"रातों को, यादों की तेरी दिल में तितलियां उडें"

बहुत सुन्दर पंक्तियां, बधाई

Anonymous का कहना है कि -

बिछुड कर मुझसे तुम
हर सू हो गये हो
पहले सिर्फ मेरी ज़ॉं थे
अब रूह हो गये हो

हवाओं मे घुल के अब तुम
खुशबू हो गये हो

फासलों से हट कर
खुद मंजिल हो गये हो

nice words,,,,congratulations

गरिमा का कहना है कि -

अक्सर ऐसा होता है...सुन्दर चित्रण।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

इतने सरल शब्द और इतने गहरे भाव! कम ही कवि लिख पाते हैं ऐसा। वो थे तब भी वो थे, वो नहीं तब भी वो हैं। क्या बात है मोहिन्दर जी! मज़ा आ गया।

विश्व दीपक का कहना है कि -

मुझे मेरे ख्वाबों में बसी प्रेयसी की याद दिला दी आपने। अब तो मुझे भी कुछ लिखना होगा।

Reetesh Gupta का कहना है कि -

बहुत खूब....बधाई

Anonymous का कहना है कि -

यादों का सुन्दर चित्रण, हर पंक्ति में प्रेम प्रवाह के साथ-साथ बिछुड़न का ग़म भी झलक रहा है।

सुनहरी यादें हमेशा ही दिल को विचलित करती है और भाव काग़ज पर बिखरने लगते हैं।

बधाई स्वीकार करें।

रंजू भाटिया का कहना है कि -

जब तक रहे करीब
न एहसास कर सका
जाना तुम्हारी कीमत
जब तुम दूर हो गये हो

बहुत ख़ूब मोहिन्दर जी ..आपकी लिखी रचना को पड़ना अच्छा लगता है

Mohinder56 का कहना है कि -

मेरा लिखा हुआ आप सब ने सराहा...यह मेरे भीत्तर एक उर्जा का संचार करेगा...आपके प्रोत्साहन का मैं आभारी हूं

तरूश्री शर्मा का कहना है कि -

mohinder ji,
aap hindi me bal sahitya ke lekhak hain... ye hindi yugm ki list se pata chala....mai jaipur se ek bachcho ki magzine ka sampadan karya dekh rahi hu... agar apka sahyog apni patrika ke liye milega to bahut khushi hogi... pathko ko bhi aur hamare group ko bhi.kripya respose de...
tarushree.sharma@gmail.com

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