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Sunday, February 04, 2007

मैं था वहाँ





मैं था वहाँ
मुझे भी
धर लिया गया
हाँ लो,
इसपर केमेरा लो
अरे खून से लथपथ शर्ट है
इसको
और कव्हरेज दो

हा बताईये,
आपको कैसा लग रहा है?
बाम्ब ब्लास्ट हुआ था,
तब आप थे कहाँ?
मेडम वो देखिये
हाथ कटा हुआ आदमी
इन्हे छोडीये,
हमे जाना पडेगा वहाँ

मै था वहाँ
मै बच गया
अपना खून से सना शर्ट लेकर
चेनल्स पर
दिखाने के लिये सज गया

तुषार जोशी, नागपुर

प्रेरणाः आज तक सबसे तेज़
(छायाचित्र योगदान डेव्हिड बुलक)

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8 कविताप्रेमियों का कहना है :

विश्व दीपक का कहना है कि -

media ke doosre chehre ka achchha warnan hai.
badhai sweekarein.

Pramendra Pratap Singh का कहना है कि -

achchha tikha prahar hai.

Divine India का कहना है कि -

मीडिया पर एक नई दिशा मे नई टिप्पणी…बधाई!

Anonymous का कहना है कि -

मारकाट प्रतियोगिता में भारतीय ही नहीं सम्पूर्ण विश्व मीडिया ख़बरों को जन-जन तक पहूँचाने का नहीं बल्कि बेचने का काम करने लगा है, आज मीडिया को चटपटी ख़बरों मे ज्यादा रूचि है। इस विषय पर आपका अपनी कविता के माध्यम से मीडिया पर किया गया तीखा व्यंग्यात्मक प्रहार निश्चय ही प्रशंसनिय है।

तुषारजी आपकी प्रत्येक कविता में एक मुद्दा होता है, और यही काव्य का सही अर्थो में सार्थक उपयोग है। बधाई स्वीकारें।

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

तुषार जी..
सचमुच "घाव करे गंभीर" वाली कविता है| व्यवस्था पर जिस मीडिया को चोट करनी चाहिये वही व्यवस्था का स्तम्भ है, धिक्कार है हमें|

राजीव रंजन

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

आपकी प्रत्यके कविता कम शब्दों में ज़्यादा कुछ बयाँ करती है। नमन्

Anonymous का कहना है कि -

आपने to gagar में सागर ही bhar दिया.utkrisht रचना.
badhai हो
alok singh "sahil"

Unknown का कहना है कि -

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