बात भूलने की चली
तो आज सोचा हमने
क्या-क्या भूल पायेंगे
इतना कुछ दिया तुमने
वो प्यारी-प्यारी बातें
वो हँसी मुलाकातें
वो प्यार बरसाते नैन
जो मिलता दिल को चैन
नहीं!!!
कुछ नहीं भूला पाऊँगा
मैं कभी...
.
.
.
बात याद करने की चली
तो आज सोचा हमने
क्या-क्या याद करेंगे
इतना कुछ दिया तुमने
वो बाय, ओके, टाटा
वो तन्हाई, वो सन्नाटा
वो जुदाई में बीते लम्हें
वो दीदार चाहती आँखें
नहीं!!!
कुछ नहीं कर पाऊँगा
मैं कभी याद...
कवि- गिरिराज जोशी
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6 कविताप्रेमियों का कहना है :
आप भी किन भूली-बिसरी बातों को लिए बैठे हैं।
बहरहाल कविता अच्छी लगी।
अच्छा लिखा है>>>>>>
पढ़कर लगता है कवि ज़ल्दी में था.....इसलिए याद करना भारी पड़ गया।
मजा आया पढ़कर।
ओके, टाटा... भूलना मत. :)
tanhaa jivan hamesha rahasymaye hi hota hai kintu bhai thodi khusi bhi to chahiye hi.Bahut acchaa laga apka lekhan.
maaf karna dostana lahje maien kah rah hon... baqwass mut karo kavita likho.
शब्दों के इस प्रकार के प्रयोग सराहनीय हैं|
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