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Sunday, January 07, 2007

आज सोचा हमने


बात भूलने की चली
तो आज सोचा हमने
क्या-क्या भूल पायेंगे
इतना कुछ दिया तुमने
वो प्यारी-प्यारी बातें
वो हँसी मुलाकातें
वो प्यार बरसाते नैन
जो मिलता दिल को चैन
नहीं!!!
कुछ नहीं भूला पाऊँगा
मैं कभी...
.
.
.
बात याद करने की चली
तो आज सोचा हमने
क्या-क्या याद करेंगे
इतना कुछ दिया तुमने
वो बाय, ओके, टाटा
वो तन्हाई, वो सन्नाटा
वो जुदाई में बीते लम्हें
वो दीदार चाहती आँखें
नहीं!!!
कुछ नहीं कर पाऊँगा
मैं कभी याद...

कवि- गिरिराज जोशी

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6 कविताप्रेमियों का कहना है :

bhuvnesh sharma का कहना है कि -

आप भी किन भूली-बिसरी बातों को लिए बैठे हैं।
बहरहाल कविता अच्छी लगी।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

अच्छा लिखा है>>>>>>

पढ़‌कर लगता है कवि ज़ल्दी में था.....इसलिए याद करना भारी पड़ गया।
मजा आया पढ़कर।

Anonymous का कहना है कि -

ओके, टाटा... भूलना मत. :)

Anonymous का कहना है कि -

tanhaa jivan hamesha rahasymaye hi hota hai kintu bhai thodi khusi bhi to chahiye hi.Bahut acchaa laga apka lekhan.

Avanish Gautam का कहना है कि -

maaf karna dostana lahje maien kah rah hon... baqwass mut karo kavita likho.

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

शब्दों के इस प्रकार के प्रयोग सराहनीय हैं|

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