लोग कहते हैं कि मैने सबकुछ खोया है
चाहा जिसे जान से ज्यादा हुआ वो पराया है
हम तो देख लेते है जी भर के फिर भी उसे
मगर उसने तो खुद को बंधन में पिरोया है
सोचो उसने क्या पाया, क्या खोया है
लोग कहते हैं मुर्ख मुझे, वो मेरा साया है
हम कहते हैं उसे अपना वो कहती पराया है
हम तो बांट लेते हैं जज्बात फिर भी यारों में
मगर उसने तो प्यार अपना दिल में दफनाया है
सोचो उसने क्या पाया, क्या खोया है
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4 कविताप्रेमियों का कहना है :
बहुत अच्छा लिखा है।
अरे सरकार चुनावी मौसम में इतने भावुक मत होईये
कविता अच्छी है
A nice poen Giriraj jee..
ढेरों बधाइयाँ।
आपकी कविता शायरी से प्रेरित लगती है, परन्तु भावनाओं की इतनी अच्छी समझ...... कुछ लिखने को शब्द कम पङ रहे हैं।
अति उत्तम।
शुभकामनाएं।
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