हम बनाएंगे वतन को
हम सजाएंगे चमन को
हम ।
हम बताएंगे सभी को
कूट कूट कर भरा है हम में
दम ।
हम बनाएंगे वतन को
हम सजाएंगे चमन को
हम ।
मंज़िल सबको लेकर चलना
मुश्किल राहों से गुज़रना
आँधी आए तुफाँ आए
हौसला हुआ कभी ना
कम ।
हम बनाएंगे वतन को
हम सजाएंगे चमन को
हम ।
सुख दुख चुनने की हिम्मत है
बढ़ते रहने की ताकत है
जहाँ जहाँ भी हम जाएंगे
हो जाएगा खुशनुमा
मौसम ।
हम बनाएंगे वतन को
हम सजाएंगे चमन को
हम ।
हम बताएंगे सभी को
कूट कूट कर भरा है हम में
दम ।
हम बनाएंगे वतन को
हम सजाएंगे चमन को
हम ।
तुषार जोशी, नागपुर
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2 कविताप्रेमियों का कहना है :
tushar जी बहुत ही सरल tarike से आपने deshbhakti की bhawna को ukera है.
badhai हो
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