उलझन में पड़ गया हूँ, मैं दिल का क्या करूँ
छूकर किसी ने दिल को, दीवाना कर दिया
पूनम की चाँदनी से, वो मुस्कुरा दिये
आबाद ज़िंदगी का, वीराना कर दिया
फुलों सी सादगी थी, मासूम हर अदा
बोले तो होश-ए-जाँ से, बेगाना कर दिया
दुनिया बनाने वाले, फरियाद है मेरी
क्यों झील सी आखों का, मैखाना कर दिया
नींदे मेरी उड़ादी, लेकर गये करार
दर्द-ए-जिगर का उसपे, नज़राना कर दिया
तुषार जोशी, नागपुर
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6 कविताप्रेमियों का कहना है :
भई यह तो किसी नए नए बने आशिक का दर्द बयान होता लग रहा है. किसने घायल किया हैं आपको?
अच्छी पंक्तियाँ हैं.
अच्छी पक्तियों का सृजन किया है, दिल के दर्द को दिल से बयान किया है, घायल दिल के दर्द को कीबोर्ड के जरिये सफलता पूर्वक लाने की सुभ कामनाऐ
मिंया, और भी ग़म हैं जमाने में मोहब्बत के सिवा।
तुषार जी,
इसमें कोई संदेह नहीं कि गज़ल की आपकी अच्छी समझ है। बधाई हो!
बढ़िया लिख रहे हैं आप।
Tushar Joshi ji,
Gazal ka aabhas hai aapko tazurba chahiye aur gazal ka rang lane ke liye. Ghabraiye nahin, likhate raho main aik mahan shayar dekh raha hun is kavita men aapki.Pahli bar aapki kavita aur yeh site dekhi.
"jalti rahe shama sukhan ki, zamane ke tufan sahne hain aapko.Likhate raho yun hi jane-bazm, bahut afsane kahne hain aapko./Jio/'Habeeb'u.s.a
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acchhi gazal,badhai ho
alok singh "sahil"
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