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Saturday, August 12, 2006

मेरा यार


फूलों की खूबसूरती से कब इनकार है मुझे,
मेरे यार की सूरत का ये जबाब तो नहीं।

माना कि 'मय' में मस्त हो झूमते हैं लोग,
उसकी नज़र से बढ़कर ये शराब तो नहीं।

अक्सर ही सुना करते हैं, हम दुनिया भर की बातें
मेरे यार की बातों का ये हिसाब तो नहीं।

मुझको तो तसल्ली बड़ी इस बात से है दोस्त,
मेरी 'जान' हक़ीकत है, कोई ख़्वाब तो नहीं।

वो मिल गया अब ख़ाक है दुनिया की दौलतें,
नादान समझते हैं, वो असबाब तो नहीं।

कोई खड़ा हो उसके मुकाबिल नहीं मुमकिन,
वो नूर-ए-नज़र है, कोई ख़िताब तो नहीं।

फुलों की खूबसूरती से कब इनकार है मुझे,
मेरे यार की सूरत का ये जबाब तो नहीं।


--पंकज तिवारी (जनवरी २००३)

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4 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

Jawaab Nahi Aapka Janaab... Yeh Pehli Nazm hai jo behad bha gayi...

Pradeep Gawande का कहना है कि -

kya bayan hai! phuloki nai surat!! khushabu bhi!!!

impressed.

Unknown का कहना है कि -

your poem is very sweet.keep it up

jeje का कहना है कि -

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