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फिर कोई बेटी न पैदा हो तेरी ज़मीन पर


यूनिकवि प्रतियोगिता की आठवीं कविता युवा कवि दिनेश "दर्द" की है। कवि ने अपने दम कर, बहुत-सी विषम परिस्थितियों में एम.ए. (मॉस कम्युनिकेशन) और PGDCA की डिग्री हासिल की। आकाशवाणी इंदौर से कई बार इनकी शायरी प्रसारित हुई है। कई अखबारों में इनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई है। "कौन बनेगा करोड़पति" में बिग बी द्वारा इनकी पंक्तियाँ पढ़ी गईं व अमिताभ द्वारा प्रशंसा भी की गई। फिलहाल इन्होंने अपनी दाल-रोटी का बंदोबस्त भारत के प्रतिष्ठित समाचार-पत्र "नईदुनिया" में कर रखा है। लिहाज़ा पत्रकारिता और अपनी जिंदगी के तजुर्बे बांटते हुए करीब पौने दो साल से इसी के साथ काम कर रहे हैं। इनकी कलम केवल संजीदा मसलों पर चलती है। कवि का मानना है कि कोई शक्ति है ज़रूर है। हम जब सबकी मदद अपने-आप को प्रताड़ित करने की हद तक करते हैं, तो दुनिया हमें पागल, मतलबी आदि-आदि कहने से बाज़ नहीं आती. ऐसे में भी न जाने कौन इन्हें हर परेशान की मदद के लिए आमादा करता है और इन्हें चैन नहीं लेने देता।

पुरस्कृत कविता

न चाहते थे मगर वजूद में आना पड़ा हमें
खतायें थीं किसी की, सर झुकाना पड़ा हमें

जिस्म से खेलकर मेरे दरिंदे बरी हो गये
तोहमतों को मगर उम्र भर उठाना पड़ा हमें

रस्मों के नाम पर कभी, जुल्मों के नाम पर
सुलगती आग में खुद को जाना पड़ा हमें

दुआओं के शहर में भी तू नहीं था मेरे मौला,
हर बार वहाँ से खाली हाथ आना पड़ा हमें

फिर कोई बेटी न पैदा हो तेरी ज़मीन पर,
ये सोचकर शम-ए-हयात बुझाना पड़ा हमें

इस पेट के लिये तो कभी बच्चों के वास्ते,
जहाँ पे जाना पाप है, ’दर्द’ जाना पड़ा हमें।


प्रथम चरण मिला स्थान- तीसरा


द्वितीय चरण मिला स्थान- आठवाँ


पुरस्कार- हिजड़ों पर केंद्रित रुथ लोर मलॉय द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तक 'Hijaras:: Who We Are' के अनुवाद 'हिजड़े:: कौन हैं हम?' (लेखिका अनीता रवि द्वारा अनूदित) की एक प्रति।