महानगरों में बने रहते हैं हम
अपने आप को लगातार
ढूँढ़ते हुये
महानगर के बोझ को
अपने कमजोर कंधों पर ढोते हुये
अभिमान से अभिज्ञान के लम्बे सफर में
बेतरतीब उलझे हुये हम
महानगर की धमक हमें
हर कदम पर
साफ सुनाई देती है
इसकी चाल में बड़ा बेरहम शोर है
वह घंटों अपने आप से ही बोलता बतियाता है
किसी जीवित शख्स के साथ
दो पल बतियाने का समय नहीं है उसके पास
हम महानगर के शयनकक्ष में आ गये हैं
यहीं अपने आप को पूरी तरह खोने का
सही सही मुआवजा लेंगे
दूर तक बिखरी हुई उदासी से खुशी के
बारीक कणों को
छानते हुये
महानगर के सताये हुये हम
अपने गाँवों-कस्बों से
बटोर लायी हुई खुशियों
को बड़ी कँजूसी से खर्च करते हैं
महानगर के करीब आने पर हमें
अपने बरसों के गठरी
किये हुये सपनों को
परे सरका कर उसकी कठोर जमीन पर
नंगे पाँव चलनें की आदत डालनी पडी है
उसके पास खबरों का दूर तक
फैला हुआ कारोबार है
पर जो महीन खबरें महानगर के पथरीले पाँवों के
नीचें आकर कुचली जाती हैं
वे ही हम सबके लिये बड़ी पीड़ा का
सबब बनती हैं
ये विशाल नगर
एक हाथ से देने में आना कानी
करते हैं पर
दोनों हाथों से छीनते हुये
जरा भी संकोच नहीं करते
अपनी अद्भुत विशेषताओं के कारण
एक साथ कई रंग दिखाने में माहिर है महानगर
फ्लाई ओवर के नीचे से गुजरते हुये
एक रेडिमेड उदासी हमारे अगल-बगल
हो लेती है
लम्बी चौड़ी इमारतें, मैट्रो हमें
तुम्हारी बादशाहत और
झोपडी हमें अपने फक्कड़पन का
अहसास दिला देती है
तुम्हें लाँघते हुये चलते चलना
अपने आप को
बड़ा दिलासा देना है
तुम्हारी चाल बहुत तेज है महानगर
पर तुम्हें शायद मालूम नही
एक समय के बाद
दौड़ते-फाँदते, इठलाते खरगोश की
चाल भी मंद पड़ जाती है।
कवयित्री- विपिन चौधरी
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5 कविताप्रेमियों का कहना है :
महानगर के सताये हुये हम
अपने गाँवों-कस्बों से
बटोर लायी हुई खुशियों
को बड़ी कँजूसी से खर्च करते हैं
और फिर
एक समय के बाद
दौड़ते-फाँदते, इठलाते खरगोश की
चाल भी मंद पड़ जाती है।
महानगर और गाँव के अंतर्द्वन्द को बहुत खूबसूरती से बयान किया है
फ्लाई ओवर के नीचे से गुजरते हुये
एक रेडिमेड उदासी हमारे अगल -बगल
हो लेती है
kya baat hai vipin ji, shaandar kavita, teekha kataksh.
तुम्हें लाँघते हुये चलते चलना
अपने आप को
बड़ा दिलासा देना है
तुम्हारी चाल बहुत तेज है महानगर
पर तुम्हें शायद मालूम नही
एक समय के बाद
दौड़ते-फाँदते, इठलाते खरगोश की
चाल भी मंद पड़ जाती है।
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
apni maa chudaaaiye
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