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Wednesday, March 17, 2010

दर्द की फ़स्ल का -gazal


यूं भला कब तक  मेरा इम्तिहान लोगे तुम
इस तरह तो एक दिन मेरी जान लोगे तुम


हाँ  खड़ी इक फ़स्ल गम की है मेरे इस  दिल में 
दर्द की इस फ़स्ल का भी लगान लोगे तुम

एक पैसा दे के मैने दुआ थी मांगी जब
कह उठा तब था फकीर आसमान लोगे तुम ?

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11 कविताप्रेमियों का कहना है :

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

सुंदर ..बहुत बढ़िया ग़ज़ल..

Anonymous का कहना है कि -

हाँ खड़ी इक फ़स्ल गम की है मेरे इस दिल में
दर्द की इस फ़स्ल का भी लगान लोगे तुम
बहुत सुन्दर गजल श्यामजी को बहुत बहुत बधाई धन्यवाद

विमल कुमार हेडा

Anonymous का कहना है कि -

वाह! सुन्दर गज़ल...
शाम जी बधाई! आप सभी को नवरात्री की बहुत-बहुत शुभ कामनाएं!

रानीविशाल का कहना है कि -

वाह! सुन्दर गज़ल..!!
आभार

रवीन्द्र शर्मा का कहना है कि -

खूबसूरत शेर ...वाह....
पर तीन ही क्यों ..!!
रवीन्द्र शर्मा 'रवि '

Bhawna का कहना है कि -

सुंदर........

निर्मला कपिला का कहना है कि -

एक पैसा दे के मैने दुआ थी मांगी जब
कह उठा तब था फकीर आसमान लोगे तुम
वाह बहुत खूब धन्यवाद

रंजना का कहना है कि -

बहुत सुंदर ग़ज़ल..

manu का कहना है कि -

सुन्दर ग़ज़ल/रचना...
बधाई...

gazalkbahane का कहना है कि -

मित्रो
गज़ल कबूलने के लिये आप सब का हृद्‌य से आभार
तीन शे‘र इसलिये की और दिल में उतरे ही नहीं और जबरदस्ती ठूंसने को मेरा मन कभी नही मानता
आपका श्याम

gazalkbahane का कहना है कि -

गज़ल/रचना हेतु वज्न
फ़ाइलातुन,फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन ,फ़ेलुन

फ़कीरा समान लोगे मदगम होकर

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