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Wednesday, December 02, 2009

क्षणिकाएं


१-सफर में


जिन्दगी के सफर में
कब
कोई
किसी के साथ चला है
शलभ
भी तो
शमा पर अकेला जला है


2-हंसते रहो

जब तक
चलती है सांस
कुछ सिरफिरे
कह चले हैं
क्योंकि
जब भी रूका है
हंसी का दौर
काफिले
आंसुओं के बह चले हैं

3-चिन्ता
चिन्ता
गीली लकड़ी है
जलती नहीं
सुलगती है
या फिर
धुआँती है
चिन्ता
ऐसी है
जो जाती नहीं
सिर्फ
आती है
चिन्ता
पानी में भीगी
बाती है
चिन्ता
के चक्कर में भूले से भी
गर कोई आ जाता है
लाख भुलाना
चाहकर भी
चिन्ता को भूल नहीं पाता है

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8 कविताप्रेमियों का कहना है :

Unknown का कहना है कि -

जब भी रूका है
हंसी का दौर
काफिले
आंसुओं के बह चले हैं
शाम सखा जी सुंदर रचना और संदेश के लिए बहुत-बहुत बधाई !

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

jindagi isi ka naam hai sangharsh har pal milenge hame hansate hue jeena chahiye..

badhiya kshanikaayen...dhanywaad shyamji

Anonymous का कहना है कि -

जीवन सन्देश देती छोटी और सुंदर रचनाएँ. आदरणीय मुझे "चिंता", "सफर" और "हंसते रहो" से कम पसंद आई. क्या इतनी काफी नहीं थी?
चिन्ता गीली लकड़ी है, जलती नहीं, सुलगती है
या फिर धुआँती है"

Kishore Kumar Jain का कहना है कि -

जीवन पर गहराई से चिंतन करते हुए अभिव्यक्त हुई है क्षणिकाएं। हंसी के बाद रोना,शमां पर अकेले जलना,चिंता चिता के समान है सब जानते है फिर भी बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है। सुंदर रचना के लिए बधाई।
किशोर कुमार जैन गुवाहाटी असम।

मनोज कुमार का कहना है कि -

आस्था और आशावादिता से भरपूर स्वर इस कविता में मुखरित हुए हैं। सरस, रोचक रचना के लिए बधाई।

निर्मला कपिला का कहना है कि -

तीनो क्षणिकायें बहुत सुन्दर हैं सखा जी को बधाई

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

Shyam Ji, achha likha hai aapne ............... baaki kuchh baate karenge jab milenge. Main chahta hoon ki aap gajal par koi aisee book likhen jo aaj ke yuva gajalkaron ko margdarshan pradaan kar sake

rachana का कहना है कि -

जब तक
चलती है सांस
कुछ सिरफिरे
कह चले हैं
क्योंकि
जब भी रूका है
हंसी का दौर
काफिले
आंसुओं के बह चले हैं
kitna sunder likha hai aur bahut gahre bhav.
badhai
saader
rachana

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