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Wednesday, October 21, 2009

विपश्यना - धरम के दोहे


१० दिनों के विपश्यना साधना शिविर मौनव्रत के साथ (धम्मगिरि, इगतपुरी, महाराष्ट्र) में जाकर अभूतपूर्व शांति मिली. साधना की यह एक वैज्ञानिक पद्धति है, जो एक अति प्राचीन भारतीय पद्धति है, जिसे भगवान बुद्ध ने पुन: खोज निकाला और करोड़ों लोगों को इससे लाब मिला. आज यह तकनीक पुन: भारत में सुस्थापित हो चुकी है और विश्व के लाखों लोग इससे लाभ उठा रहे हैं . इस पद्धति पर आधारित कुछ दोहे धरम के -

. धरम सिखाये शुद्धता, धरम सिखाये शील .

मर्यादा यह धरम की, कभी न देना ढ़ील .

. एक धरम बस जगत में, बिलकुल सीधी राह .

मार्ग मुक्ति का दिखाये, आओ जिसको चाह .

. कण कण ने धारण किया, धर्म प्रकृति अनमोल .

जो मानव सीखे सहज, सुख पाये अनमोल .

. कर्ता भाव दूर रहे, मत रख भुक्ता भाव .

दृष्टा भाव हो प्रधान, चित्त रहे समभाव .

. कण कण से निर्मित हुआ, तन का हर इक अंग .

सूक्ष्म दृष्टि से देख लो, कण कण होता भंग .

. श्रुत प्रज्ञा ने दी दिशा, चिंतन पज्ञा ज्ञान .

जो उतरी अनुभूति पर, प्रज्ञा वही महान .

. मैने डाले बीज जो, बने वही संस्कार .

राग द्वेष पैदा किये, बने वह चित विकार .

. संवेदनाएं अनित्य, चित्त जगा जब बोध .

मार्ह मुक्ति के खुल गये, रहा न इक अवरोध .

. जब से पाई विपश्यना, मिली धर्म की गोद .

चुन चुन कर सभी विकार, मन ने डाले खोद .

१०. आना जाना खेल है, जो समझे वह संत .

शुद्ध धर्म धारण करे, करे खेल का अंत .

११. दुनिया भर में ढ़ूंढ़ता, मिला न सच्चा ज्ञान .

अपने भीतर जब गया, हुआ सत्य का भान .

१२. सत्य धरम बस एक है, प्रकृति नियम ले जान .

पैदा हुए विकार ज्यों, दुख का होये भान .

१३. चित निर्मल हर पल रहे, रहे न एक विकार .

शुद्ध धरम की सीख यह, जो धारे भवपार .

१४. धर्म बसाया चित्त में, सोचा कभी न पाप .

धर्म खिलाए गोद में, कभी न हो संताप .

१५. धन्य गुरू की सीख है, धन्य गुरू के बोल .

चित निर्मल ऐसा किया, दिया धर्म अनमोल .

१६. रोम रोम कृतज्ञ हुआ, मिला गुरू का ज्ञान .

देख देख संवेदना, परम सत्य का भान .

१७. शील, समाधि, प्रज्ञा की, बही त्रिवेणी धार .

स्व वेदन अनुभव किया, निकले सभी विकार .

१८. सब धर्मों को खोजता, पढ़ डाले सब ग्रंथ .

शुद्ध धर्म धारण किया, हो गय सच्चा संत .

१९. बात धर्म की सब करें, धारण करे न कोय .

जो इसको धारण करे, दुख काहे को होय .

२०. अनुभव कर संवेदना, धरम है यां विज्ञान .

भावमयी प्रज्ञा करे, जन जन का कल्याण .

२१. धम्म सेवकों की सेवा, चढ़ी यहां परवान .

धम्म खुद धारण किया अब, औरों का कल्याण .

कवि कुलवंत सिंह


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9 कविताप्रेमियों का कहना है :

RAJNISH PARIHAR का कहना है कि -

बहुत ही खूब...!सुन्दर भवव्क्ति...

मनोज कुमार का कहना है कि -

रोचक, ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक दोहे, जीवन को एक नए ढ़ंग से जीने की प्ररणा देते हैं। ऐसी प्रस्तुति के लिए साधुवाद।

राकेश कौशिक का कहना है कि -

अध्यात्मक शिक्षाप्रद दोहों के लिए साधुवाद.
अनुभव कर संवेदना, धरम है यां विज्ञान.
भावमयी प्रज्ञा करे, जन जन का कल्याण.
ज्यादा सटीक लगा. बधाई.

दिव्य नर्मदा divya narmada का कहना है कि -

आध्यात्मिकता से परिपूर्ण चिंतनपरक दोहे...कहीं-कहीं मात्रा-दोष है जो अभ्यास से दूर हो सकता है.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

बहुत सुन्दर दोहे पढने को मिले. आभार.

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

ज्ञानवर्धक दोहे!!!बधाई.

kavi kulwant का कहना है कि -

Thank you dear friends..
with love

Anonymous का कहना है कि -

Life giving messages

Rajendra Mehta का कहना है कि -

Very true

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