१
हम तो
सो रहे बेखबर
तुम्हें सौंपकर
अपने गम
रहजनों ने
लूट लिया
कारवां तुम्हें परीशां देखकर
२
सहूलियतों
की चाह ने
हमें निक्कमा कर दिया
बन्धन तोड़कर
सिरफ़िरे जो चले
मंजिलें पा गये
३परिन्दे से
उडे थे हम भी
तेरा साथ पाकर
पर न देख पाया
जमाना हमारी यह सुखी
तुम्हें उड़ा दिया शाख से
और पर मेरे
काट डाले सैयाद ने
४
तुम और
तुम्हारी मासूमयित
मेरा सहारा है
बीते कल को
जाने दो
आज हम हैं तुम हो
आने वाला
कल भी हमारा है
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13 कविताप्रेमियों का कहना है :
बीते कल को
जाने दो
आज हम हैं तुम हो
आने वाला
कल भी हमारा है
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
Shyam ji, behad khubsurat panktiyan..badhiya kavita..dhanywaad
तुम और
तुम्हारी मासूमयित
मेरा सहारा है
बीते कल को
जाने दो
आज हम हैं तुम हो
आने वाला
कल भी हमारा है
सुन्दर भावाभिव्यक्ति ..!!
सहूलियतों
की चाह ने
हमें निक्कमा कर दिया
बन्धन तोड़कर
सिरफ़िरे जो चले
मंजिलें पा गये
bilkul sahi kaha aapne. nikamon ki aaj to phauj mil jayagi.
bahut achhi pratuti. Badhai
तुम्हें उड़ा दिया शाख से
और पर मेरे
काट डाले सैयाद ने
behad sunder rachana or abhivykti ke liye badhaai!
sunder chhadikayen .aap jo bhi likhte hain kamal likhte hain
हम तो
सो रहे बेखबर
तुम्हें सौंपकर
अपने गम
रहजनों ने
लूट लिया
कारवां तुम्हें परीशां देखकर
kitna sunder likha hai
saader
rachana
सार्थक शब्दों के साथ तार्किक ढ़ंग से विषय को प्रस्तुत किया गया है।
सहूलियतों
की चाह ने
हमें निक्कमा कर दिया
बन्धन तोड़कर
सिरफ़िरे जो चले
मंजिलें पा गये
achhi abhivykti
रहजनों ने
लूट लिया
कारवां तुम्हें परीशां देखकर
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
बेहतरीन क्षणिकाऎं बन गयी है सारी..खास कर दूसरी वाली तो सच को पारिभाषित सी करती है..शायद यही फ़र्क भी है..हममें और सिरफ़िरों मे!!
पहली तीन क्षणिकाएं बहुत अच्छी लगीं | गहरी और संवेदनशील |
प्रणाम
RC
पहली तीन बहुत अच्छी लगी
रिया
accha kaha hai syam jee.
badhayee.
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