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Monday, September 28, 2009

क्षणिकाएं (अभिषेक पाटनी)


बागीचा
‘माँ’ ने ख्वाबों का
बागीचा बना रखा है
वहीं से हर रोज़
तोड़ लाती है
हौसलों के फल

इत्तेफ़ाक़
उसके ख्वाब ...
मेरे ख्वाब ...
अलग-अलग हैं
ये महज इत्तेफ़ाक़ है
दोनों के ख्वाब में ...
दोनों ही हैं!

वंशज
बहन ने
भाई सरीखे पति के लिए
मन्नत माँगी थी
भाई ने भी
अपनी बहन जैसी ही
लड़की से शादी की ठानी है
ये आदम के वंशज
कहाँ आ गए हैं!

रहस्य
सुबह रास्ते पर...दोनों मिले थे
मैं भी...मेरा साया भी
शाम को मैं लौटा घर
रास्ते में साया कहीं रह गया...
ये नियम था या इंतज़ार..
..क्योंकि जिस दिन सिर्फ साया लौटा
उसके बाद से अब तक
मैं नहीं दिखा हूँ !

उलझन (1)
सड़क के किनारे
ख़ुद से टकरा कर
वो गिर पड़ा है...
वो निकला था शिकार को..
ख़ुद को पाकर
अब हिल चुका है

उलझन (2)
सड़क पर ही दोनों पड़े थे
ज़िंदगी भी...मौत भी...
संभल जाता तो मौत मिलती
बिखर जाता तो ज़िंदगी...
लेकिन वो सोच रहा है...
ठीक वैसे ही
जैसे...पहली बार
आदम फल खाने को सोच रहा था।

फितूर
इक चाहत...
उससे लिपटीं चाहतें...
उनके अंदर सिमटी चाहतें...
उन चाहतों से जुड़ी...
छोटी-छोटी शबनमी चाहतें....
...और फिर बेवजह
कोनों को देखना..मुस्कुरा देना...
फितूर ही तो है...

मजबूरी
बेवजह ज़िंदगी में बहुत कुछ हुआ
बेवजह हँसना-गाना...खाना-पीना...बहुत कुछ
लेकिन सच कह रहा हूँ
बेवजह आजतक रोया नहीं हूँ...
और रोना हर रोज़ पड़ता है...
पता नहीं क्यों….???

बुढ़ापा
अनुभव के पराकाष्ठा के साथ
समय के आगे नतमस्तक हो जाना
बुढ़ापा...कई कमियों का नाम है
इस अवस्था में कम हो जाती है...
नींद...भूख...प्यास और आकर्षण
लेकिन खत्म कुछ भी नहीं होता!

आकर्षण
विपरीत गुण-धर्म के बीच
आकर्षण...एक नियम है
समय के सापेक्ष
इसमें कमी भी...एक सत्य है
लेकिन एक झुकाव बना रहता है....
क्योंकि...नियम है !

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6 कविताप्रेमियों का कहना है :

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

माँ ने
ख्वाबों का बागीचा बना रक्खा है
वहीं से
हर रोज़ तोड़ लाती है
हौसलों के फल।
--वाह! क्या बात है।
सभी क्षणिकाएँ अच्छी हैं पर इसने ज्यादा प्रभावित किया।

Anonymous का कहना है कि -

सभी रचनाएं सुंदर हैं खासकर वंशज और फ़ितूर तो अर्थपूर्ण हैं। बधाई।

rachana का कहना है कि -

अभिषेक जी
सारी अच्छी लगीं खास कर बागीचा,मजबूरी बहुत अच्छी लगीं
सादर
रचना

मनोज कुमार का कहना है कि -

काफी अच्छी और सटीक क्षणिकाएं। कम शब्दों में भावों का पिटारा । बधाई।

Manju Gupta का कहना है कि -

सभी एक से एक बढ़कर प्रभावशाली हैं .

mona का कहना है कि -

Saare chanikayeen bahad sundar hai.Mere liye yah kah pana mushkil hai ki zyada sundar kaun se hai. Congratulations for it.

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