चढी घटा नयन नभ पर
बरसात होगी रात भर
अश्क आहे सिसकियों की
महफ़िल जमेगी रात भर
यादों की सौगात लाये
आंसू पाहुन आँखों में
सांझ के मेहमान है
ये रहेंगे रात भर
कच्ची धूप आषाढ़ की
मखमली सी चांदनी
बचपन की यादें मचलती
जुगनुओं सी रात भर
धूप धूप हुई मंजिलें
अंगारे निश्चय हुए
पलकें सोई चेन से
जागे सपने रात भर
लक्ष्याग्रह हुआ बिछौना
आग आग यादें हुई
सुखा फूल गुलाब का
जलता रहा रात भर
उम्र का बहका सा दरिया
भटका किया जंगल जंगल
अक्स तेरा लक्ष्य था
बहते रहे रात भर
पूरब में सूरज की कोंपल
अंतिम प्रहर है उम्र का
रामजी की गाडी मनवा मुसाफिर
साँसे हमसफ़र रात भर
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12 कविताप्रेमियों का कहना है :
खूबसूरत !..... बेहतरीन....!
इन पंक्तियों ने मन मोह लिया----
कच्ची धूप अषाड़ की
मखमली सी चांदनी
बचपन की यादें मचलतीं
जुगनुओं सी रातभर
धूप-धूप हुई मंजिलें
अंगारे निश्चय हुए
पलकें सोई चैन से
जागे सपने रातभर
----
अंतिम दो पंक्तियाँ को मैने कुछ इस तरह से पढ़ा---
रामजी की गाड़ी
मनवा मुसाफिर
सांसें हमसफर
रातभर।
--देवेन्द्र पाण्डेय।
मन सुकून देती हुइ बहुत सुन्दर रचना है.
अंतिम चार पंक्तियाँ कविता का निचोड़ है आभार .
बहुत ही अच्छा रचना. छोटी छोटी पंक्तियाँ सुन्दर लगी.
कच्ची धूप आषाढ़ की
मखमली सी चांदनी
बचपन की यादें मचलती
जुगनुओं सी रात भर
बहुत ही अच्छी रचना ।
कच्ची धूप आषाढ़ की
मखमली सी चांदनी
बचपन की यादें मचलती
जुगनुओं सी रात भर
कितना अच्छा कहा है मखमली सी चांदनी ,बचपन की याद जुगनू सी मुझे पढ़ के आनन्द आगया
सादर
रचना
kachchee dhoop aashaadh kee aur
makhmalee see chaandni...
yaad bachapan kee machaltee
jugnuon see raat bhar...
bahut pyaaraa kaha hai saahib...
kyaa-kyaa yaad nahi aa gayaa....
beautiful and natural lines
बहुत सुंदर रचना है .हर एक पंक्ति मन की बात कहती है
अमिता
Ek ahsaas man ke pinjre mai palta raha raatbhar
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