गजल
अपनी शर्तों पर हमेशा की तरह
मैं जिया हूँ जिन्दगी अपनी तरह
प्यार को न कैद कर सकता कोई
ये सदा उड़ता है खुशबू की तरह
आंसुओं का सार है ये शायरी
शब्द चाहे दो बदल कितनी तरह
बोल कैसा बेवफा कह दूं उसे
दे सका ना गम भी वो अच्छी तरह
दर्द से जीवंत है अब तो 'अरुण'
अब धड़कती है गजल दिल की तरह
अरुण मित्तल 'अद्भुत'
(बहर: फाइलातुन फाइलातुन फ़ाइलुन)
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
प्यार को न कैद कर सकता कोई
ये सदा उड़ता है खुशबू की तरह
आंसुओं का सार है ये शायरी
शब्द चाहे दो बदल कितनी तरह
बोल कैसा बेवफा कह दूं उसे
दे सका ना गम भी वो अच्छी तरह
तीनो ही शेर बहुत अच्छे लगे, मुझे गजल के बारे में बहुत अधिक ज्ञान तो नहीं है पर इन शेरों में आपने काफी अच्छे भावः प्रस्तुत किये हैं .........
रानी शर्मा
बोल कैसे बेवफा कह दूं उसे,
दे सका गम भी न वो अच्छी तरह.........
सभी शेर खूबसूरत ...पर ये वाला बेमिसाल शेर ,
जाने आपसे कैसे हो गया ....( ये तो दिल पर अच्छी चोट माँगता है भाई )
या शायद .....(दे सका गम भी न वो अच्छी तरह )
ये कारण रहा हो इस के पीछे....
मतला और मक्ता बराबर आपको ही पेश कर रहे हैं...
और शब्द दो चाहे बदल जितनी तरह....कमाल,,,,,
बोल कैसे बेवफा कह दूँ उसे्
दे सका ना गम भी वो अच्छी तरह्
बहुत ही सुन्दर गज़ल के लिये अरुण जी को बधाई और हिन्द युग्म के लिये धन्यवाद्
achchhi gazal.
आंसुओं का सार है ये शायरी
शब्द चाहे दो बदल कितनी तरह
yeh sh'er bahut hi umda qism ka.
लय ठीक है, थोड़ा वजन बढ़ाने की कोशिश और चाहिए.....अपनी नहीं, शेरों की....
निखिल
बहुत बढिया लिखा है।
आंसुओं का सार है ये शायरी
शब्द चाहे दो बदल कितनी तरह
...बहुत ही सही पेशकश...
sachmuch adbhut !!!!!
बोल कैसा बेवफा कह दूं उसे
दे सका ना गम भी वो अच्छी तरह
adbhut.. bahot khoobsurat
वाह भाई क्या परिभाषा दी है आपने एक बेवफा के लिए
वही है बेवफा जो अच्छे से गम दे सके ; काफी खुबसूरत लफ्ज है आपके अरुण जी
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