फागुन के रंग
हवाओं में उतर आए हैं
टेसू के फूल
सुगन्ध बिखराए हैं
पर मन है कि…
बेरंग हुआ जाता है
जाने किस रंग की
चाहत में…..
उम्मीद लगा रहा है
अतीत दिल में
उतरता जा रहा है
हर रंग…
तुम्हारे अहसास को
तीव्र कर देता है
और दिल को एक
मीठी सी…..
चुभन दे देता है
जो रंग ….
तुमने लगाया था
कब का धुल गया
पर उसका अहसास
आज भी …
तरो ताज़ा है
उसकी खुशबू से
दिल….
आज भी महकता है
और उसे पाने की
कामना से मन
बेचैन हो उठता है
तुम और तुम्हारे रंग
मेरी आँखों में
हसरत बनकर
उभरने लगे हैं
दिल
बहुत जोर से धड़कता है
और…..
मेरे सारे प्रयास
व्यर्थ हो जाते हैं
दीवानी होकर
हर रंग में
तुम्हें ढ़ूँढ़ती हूँ
जबकि जानती हूँ मैं
कि वो रंग नहीं आएगा
और…..
इस होली पर भी
ये दिल …
बेरंग ही रह जाएगा
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12 कविताप्रेमियों का कहना है :
इस होली पर भी
ये दिल …
बेरंग ही रह जाएगा
ऐसी भी कैसी नीरसता ?
हर मन रंगीन हो जायेगा ,
जब फागुन का दस्तक आयेगा |
- अवनीश तिवारी
शोभा जी ,
फाल्गुन के रंग के साथ बहुत दर्दीले एहसास लिखे हैं.
फागुन के रंग
हवाओं में उतर आए हैं
टेसू के फूल
सुगन्ध बिखराए हैं
पर मन है कि…
बेरंग हुआ जाता है
जब किसी की चाहत हो और वो न मिले तो ऐसा ही एहसास होता है.
थोडा सकारात्मक दृष्टिकोण रखिये..
शुभकामना के साथ
शोभा जी ,
कविता अच्छी लगी ,बहुत अच्छी लगी |अब जरा थोडी सी बेबाकी के लिए माफ़ी चाहूंगी |,(शोभा जी नाम तो बताईये उसका ,न आपके क़दमों में ला के डाला तो अपुन का नाम भी नीलम नहीं )
bura n mano holi hai, holi hai,
मन में तकलीफ हो तो फागुन भी नीरस लगता है ... बहुत सुंदर रचना।
बहुत बाच्पन में किसी हास्य कवि का एक शेर सुना था,,,,कहता हूँ,,
बड़ी मुश्किल से पहचाना उन्हें इस बार होली में,
गुलाबी हो रहे थे सांवले सरकार होली में,
पर आपकी रचना कुछ अलग ही रंग दे रही है,,,,,,पर गीत मन को छू गया ,,भारी पण लिए आनंद आया,,,,एक ख़ास बात और ,,,,के जो अपने पेंटिंग के साथ जो थोडा ,,,बड़े और खुले शब्दों में लिखा है,,,,,,तो चाहूंगा के यदि रचनाएँ इतने ही बड़े अक्षरों में छापें तो ज्यादा अच्छा लगेगा....बाकी नियंत्रक जी जाने,,,,,,,
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,,,,,,,,,
पर्व-त्यौहार तो खुशी के अवसर होते हैं. हजार ग़मों को छुपाकर मुस्कुराने से जूझने की नयी ताक़त मिलती है. क्या बच्चे के जन्म दिन पर अभावों की चर्चा करना उचित होगा? होली पर तो गरीब से गरीब व्यक्ति को भी मैंने मस्ती में नाचते-गाते-झूमते देख है और उसकी जिन्दादिली से प्रेरणा ली है. निर्माण कार्यों में फटी-मैली कमीज या सदी पहने मजदूरों के झुंड होली पर इतनी खुशी मानते हैं के रश्क होता है. वे दिन भर म्हणत करने के बाद मुट्ठी भर मिलने पर भी भगवान को सर झुकाकर खुशियाँ मानते हैं. उनके अभावों और संकटों के आगे हमारे दुःख-दर्द सुवन हिस्सा भी नहीं पर हम होली हो या दिवाली दर्द-दुःख और निराशा की ही कवितायेँ लिखते हैं. यह फैशन ही हो गया है शायद.
kya baat hai aacayra ji ,aapki baat se kuch had tak sahmat hoon ,magar kuch khaas ,apnon ki yaad bhi to inhi palon me aati hai ,
to udgar to hoga hi ,kavita to ek madhyam hai ,unhe apni yaadon me jinda rakhne ka
अच्छी मधुर कविता है. बधाई
अच्छी मधुर कविता है. बधाई
बिलकुल सही लगी आपकी बात नीलम जी,,
हलाँकि आचार्य जी ने भी सही कहा है,,एक जन साधारण की बात कही है,,,
पर आपका कथन भी उतना ही सही है,,,,
मेरा तो यही नजरिया है,,,,
saadar namaskar,
phagun main tesu ki apne esi yaad dila di ki holi ke samay main school se goal markar tesu beenane jata tha aur ghar lakar pani main daal deta tha aur usa jo run nikalta tha ussi se holi khelta tha. ghar pur maar bhi padti thi. aaj ke parivesh main humne itne ped kat diye hain ki tesu hamare jeevan se hi nikal gaya hain. bina tesu ke holi bhi koi holi hain, bahut khoob vaki attet dil main utar gaya. apko shubhkamnaye,
mera nivedan hain ki hum sub milkar pedo ko katne se bachane ke liye kuch kare, kuch likhe taki fir purana samay laut aye, apne dekha hoga gauraiya bhi ab to mohallo se apna basera utha le gayi. apko sadhuvaad, dhanyawad ek acchi krati ke liye,
Hanfee Sir IPSwale Bhaijaan
शोभाजी
रंग पर्व पर मेरा रंग तिलक स्वीकार करें. सुंदर रचना के लिए बधाई.
कभी किसी को सारा जहां नहीं मिलता.किसी को जमीं किसी को आसमां नहीं मिलता. बी पॉजिटिव. जीवन इसी का नाम है. मेरा फ़लसफ़ा याद रखें- जो मिला उसी पे दिल निसार कर. न मिला तो ना ग़मगुसार कर. वो खुश है गर इसी में तो खुश रहे 'आकुल'
और भी रंग है दुनिया में एतबार कर. क्योंकि
'दोस्त फ़रिश्ते होते हैं. बाकी सब रिश्ते होते हैं.'
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