कई बार
पलक झपकते ही....
बदल जाता है...
....हर कुछ
और कई बार....
सालों कुछ नहीं होता
बूंदे बरसीं...
बंज़र खेतों में
उग आए हैं घास
और लहरें....
थक गई हैं....
किनोरों पर...
सिर पटकते हुए
कुछ हो जाता है कहीं
कुछ कभी होता नहीं
एक सूनापन ही
रह जाता है हर कहीं
ज़िंदगी के इस तरफ....
ज़िंदगी के उस तरफ
फिर कई बार....
कुछ नहीं होने के लिए भी
तरसता है कोई....!
फिर भी...
हर पल....
हो रहे हैं...हादसे
कुछ नहीं होने के साथ
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
उदासीनता के साथ चिंता हुए यह रचना अच्छी लगी | रचनाकार की मनोदशा दीख जाती है शब्दों से |
बधाई|
अवनीश तिवारी
उदासीनता के साथ चिंता को झलकाते हुए यह रचना अच्छी लगी | रचनाकार की मनोदशा दीख जाती है शब्दों से |
बधाई|
अवनीश तिवारी
इस उमर में इतनी उदासीनता ठीक नही है ,कुछ उत्साह से लबरेज काव्य आना चाहिए
अगली कविता में ,
दुनिया को हँसते हुए देखो ,सब हँसते हुए नजर आयेंगे ,और रोना तो आपको अकेले ही
होगा ,तो मर्जी आपकी ,वतन आपका और हिन्दयुग्म भी आपका
कवि ह्रदय का भावुक होना कोई
नई बात नही है अभिषेक जी !!!
संवेदनशील अभिवक्ति !!
सादर
aapki iNHI sanvedanshil rachnanaaon ke chalte maine aapko galat estimate kar liya tha.
anyways,bahut dino baad aapki damdaar upasthiti achhi lagi....
ALOK SINGH "SAHIL"
कविता उदासीन है...
पर सुंदर भाव!!!
एक सीधी-सच्ची बात को कितनी सरलता से कह दिया। वाह
seedhi sachchi saral kintu bhaavpooran kavita ke liye badhaaii
उदासीन ..............
मुझे भी शायद यही कहना था ...इसके अलावा कुछ कहने को नहीं मिला ...सो कहने में देरी हो गयी....
11 JI,
YE KYA LIKH DALAA AAPNE,KYAA LIKHA HI AISA THA YAA PADHE JAANE KE LAAYAK HI NAHEEN THA........
AAPKE NAAM KI TARAH
AAP SHAAYAD GALAT BLOG PER AA GAYE/GAYEEN HAI........
FIR SE KAHEEN AUR SEARCH KAREIN....AUR APNE NAAM KE BAARE MEIN DOBAARA SOCHEIN
Its a deeply sentimental n emotional poem....Hats Off!
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