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Saturday, January 10, 2009

नीला आसमान


नसों में घुसा इंजेक्शन
खींच ली सारी पीड़ा
उडेल दी..
प्रिया धरती पर
सहम गयी वो
फूटते रहे ज्वालामुखी
कहते आसमान से
रुक जाओ..
पटकता ही रहा
सिर पहाड़ों पर
सूज कर बंद हुई आँखों से
निकाल देना था उसे
शरीर का सारा पानी!

आपे से बाहर था
उसे देख..
भाग गए तारे
छुप गया सूरज
अंधेरे मे कहीं जाकर!
चाँद ने रोका..
खाई ज़ोर की ठोकर
जा भिड़ा सूरज में
जल कर
सफेद पड़ गया बेचारा
माथा फट गया..
चोट के निशान
चेहरे पर हैं अभी तक!

पगला ही गया..
जब हाथ आया
बिजली का कोड़ा!
मारता रहा खुद को
नंगे बदन,रात भर
छलनी कर दिया जिस्म
टपकता रहा लहू..

उसे मार डालना था
दर्द को
दर्द चीख रहा था
गिड़गिड़ा रहा था
कि बस..
चमकती रही बिजली
वो मारता रहा
अपने दर्द को कोडे
बेहोश होने तक!

पता है..
तबसे आसमान ने
फेर लिया है मुँह
पीठ किए बैठा है
धरती की ओर!
रोज़ सिकाई करता है
सूरज धूप से
देखो
उस रात की मार से
अभी तक
नीला पड़ा है जिस्म!

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15 कविताप्रेमियों का कहना है :

manu का कहना है कि -

रोज़ सिकाई करता है
सूरज धूप से
देखो
उस रात की मार से
अभी तक
नीला पड़ा है जिस्म!
बहुत अच्छी कविता पढ़वा दी है जी ...
पर ये "अनजाने में किया हसीं पाप" इतने दिन बाद काहे ..? कहाँ रह गए थे...?

Harihar का कहना है कि -

वाह विपुल जी बस आपने तो गजब ही कर दिया

विपुल का कहना है कि -

मनु जी और हरिहर जी के लिए धन्यवाद|
मनु जी अभी परीक्षाएँ चल रही हैं,कल ही पेपर था| इन परीक्षाओं के कारण ही गायब हूँ अभी| अंजाने में तो क्या जानबूझकर भी पाप नही कर पा रहा हूँ आजकल!

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

अंतिम पंक्तियाँ जितनी जल्दी दीमाग में गुमसती हैं, उतनी जल्दी शुरूआत वाली नहीं घुसती हैं। रूपकों और उपमाओं को जटिल बनाकर ही कविता अच्छी नहीं बनती। फिर भी अंतिम चंद पंक्तियों ने कविता को बढ़िया बना दिया है।

Anonymous का कहना है कि -

behad nayab koshish
ALOK SINGH "SAHIL"

Sajal Ehsaas का कहना है कि -

behatareenta ke shikahr pe chadte rahiye bas...pareeksha ke liye shubhkaamnaa

Unknown का कहना है कि -

ati uttam rachana vipul :-)
sameer bhave

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

अच्छी कविता विपुल जी...

Anonymous का कहना है कि -

यह कविता उस आर्ट फिल्म की तारह है जो आरंभ मे उलझती है पर क्लाइमॅक्स मे हम फिल्म के निर्देशन की प्रशंसा किए बिना नही रह पाते...........अत: आपकी फिल्म की कहानी ही नही कॉन्सेप्ट और निर्देशन भी उच्च और स्तरीय है..........मैं मुग्ध हूँ.....शुभाकाँषाएँ

Unknown का कहना है कि -

ek paripakav kavi ki pehchan
bahut hi sunder rachana
badhai ho

Jayant Shimpi का कहना है कि -

Bahut hi Badhiya theme hai. Muze to kavita pasand aayee , aur sathamen site bhi, Pahali baar visit kar raha hun. Agali bar devnagari script men likhunga.

Unknown का कहना है कि -

vipul,as u know i m the biggest fan of ur poems, n i just love each an every poem of urs,so as usual this one i also perfect one realy nice.

Unknown का कहना है कि -

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