आज नहीं तो कल होगा
हर मुश्किल का हल होगा
जंगल गर औझल होगा
नभ भी बिन बादल होगा
नभ गर बिन बाद्ल होगा
दोस्त कहां फ़िर जल होगा
आज बहुत रोया है दिल
भीग गया काजल होगा
आँगन बीच अकेला है
बूढ़ा सा पीपल होगा
दर्द भरे हैं अफ़साने
दिल कितना घायल होगा
छोड़ सभी जब जाएंगे
‘तेरा’ ही संबल होगा
प्यार नहीं जाहिर करना
यह तो खुद से छल होगा
रोज कलह होती घर में
रिश्तों मे दल-दल होगा
पीर सभी की सुनता है
‘श्याम सखा’पागल होगा
वज्न=फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा
211,211,211,2
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
आँगन बीच अकेला है
बूढा सा पीपल होगा
आज के पारिवारिक हालत का दर्पण है यह शेर ,बधाई मधु
शानदार ग़ज़ल है, वाह!
"आँगन बीच अकेला है
बूढ़ा सा पीपल होगा"
"पीर सभी की सुनता है
‘श्याम सखा’पागल होगा"
ये दोनों शेर बहुत पसंद आए.....
निखिल
वैसे तो सारे शे'र ही अच्छे लगे लेकिन ये दोनो सबसे अच्छे लगे
छोड़ सभी जब जाएंगे
‘तेरा’ ही संबल होगा
प्यार नहीं जाहिर करना
यह तो खुद से छल होगा
सुमित भारद्वाज
हर मुश्किल का हल होगा
आपकी आशावादिता को सलाम |
रंजू
aaj yugm par pahli bar aana hua
बहुत बेहतरीन गजल है
पढ़वाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
वीनस केसरी
Good one again, but 'Saahib' was better.
आँगन बीच अकेला है
बूढ़ा सा पीपल होगा
Yeh sabse adhik pasand aaya.
~RC
माफ़ी चाहूँगा मैं इस रचना को गजल नहीं कह सकता,मेरे लिए तो यह एक गीत है.
सुंदर लगा,एक ले में पूरा पढ़ गया.बेहद सहज और सुंदर गीत.बधाई
आलोक सिंह "साहिल"
आलोक जी ,समझ से बाहर है की यह गीत है ,गीत का फॉर्मेट अलग होता है,जौसे पीछे पोस्ट किया था यारो मैंने खूब ठगा है हाँ एक बात पाठकों से कहानी रसभरी पढेंगे तो अच्छा लगेगा श्याम सखा
आज नहीं तो कल होगा
हर मुश्किल का हल होगा
आँगन बीच अकेला है
बूढ़ा सा पीपल होगा
प्यार नहीं जाहिर करना
यह तो खुद से छल होगा
सुंदर रचना...
jab jahir hi nahi kiya to sambal kaise bnegi???
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